फतेहगढ़ रोड कोचिंग सैंटर: कोचिंग के बावजूद छात्र ट्यूशन लेने को मजबूर

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: अरविंद शर्मा/गिरिश ओहरी। अगर आपका बच्चा होशियारपुर के फतेहगढ़ रोड स्थित एक प्रसिद्ध कोचिंग सैंटर में पढ़ता है तो सावधान हो जाएं और सुनिश्चित कर लें कि आपके बच्चे को पढ़ाने वाले सभी अध्यापक अपने विषय के माहिर हैं या नहीं और क्या आपका बच्चा हर सबजैक्ट को अच्छी तरह से समझ पा रहा है। अगर नहीं तो यह आपके लिए चिंता का विषय बनने वाला है, क्योंकि मोटी फीस देकर कोचिंग सैंटर में बच्चे को पढ़ाने के बावजूद अगर वे किसी एक भी सबजैक्ट की दूसरी जगह से ट्यूशन लेने को मजबूर हो रहा है तो निश्चित तौर पर आप अपना आर्थिक शोषण करवा रहे हैं। हैरानी की बात ये है कि उक्त कोचिंग सैंटर के कई बच्चे ऐसे हैं जो कुछेक सबजैक्ट को पढऩे के लिए और कहीं से कोचिंग ले रहे हैं, जबकि उक्त कोचिंग सैंटर का दावा है कि उनसे अच्छी पढ़ाई कहीं और नहीं करवाई जाती तथा वे ही नंबर-1 हैं।

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प्राप्त जानकारी अनुसार उक्त कोचिंग सैंटर में पढऩे वाले कई बच्चे अतिमहत्वपूर्ण सबजैक्ट को कोचिंग सैंटर में सही ढंग से न पढ़ाए जाने के चलते दूसरी जगह से किसी अन्य अध्यापक से ट्यूशन लेने को विवश हो रहे हैं। जिससे अभिभावकों को कोचिंग सैंटर की आड़ में व्यवसाय करने वालों के हाथों दोहरे आर्थिक शोषण का शिकार होना पड़ रहा है।

नाम न छापने की शर्त पर कुछेक बच्चों ने बताया कि कोचिंग सैंटर में वैसे तो सब ठीक ही है, मगर फलां-फलां सबजैक्ट के अध्यापक जो पढ़ाते हैं वे उन्हें समझ नहीं आता और उन्हें लगता है कि अगर वे उनसे पढ़ते रहे तो परीक्षा परिणाम उनके मुताबिक नहीं आएगा। इसलिए उन्हें एक-दो सबजैक्ट के लिए कोचिंग सैंटर के अलावा भी दूसरी जगह पर ट्यूशन लेने के लिए जाना पड़ता है। बच्चों ने बताया कि अगर वे इस बाबत सैंटर हैड से बात करते हैं तो उनका कहना होता है कि कक्षा में और भी कितने बच्चे हैं, उनमें से तो किसी ने भी ऐसी शिकायत नहीं की तो वे इसमें क्या कर सकते हैं। बच्चों की बातों से लग रहा था कि सैंटर संचालकों को केवल मोटी फीस से ही वास्ता है, बच्चों को विषय संबंधी समझ आए या न आए उससे उन्हें कोई लेना देना नहीं है। बात को गंभीरता से लेने की बजाए वे इधर-उधर की बातें करके टाल देते हैं।

और तो और जब बच्चे यह जानकारी दे रहे थे तो प्रबंधकों का खौफ उनके चेहरों पर साफ दिख रहा था। क्योंकि सैंटर संचालकों द्वारा इनटरनल असैसमैंट के नंबर जो लगाए जाने हैं और परीक्षा भी तो सैंटर में ही होनी है तो ऐसे में अगर कोई बात खुलकर चर्चा में आती है तो सैंटर की हकीकत बताने वाले बच्चों को वे तंग परेशान करेंगे, इस बात की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। इसलिए बच्चों ने नाम न छापने की शर्त पर कोचिंग सैंटर की असली तस्वीर और उनके दावों की पोल खोलते हुए सारी हकीकत से रूबरू करवा दिया।


शिक्षाविदों का मानना है कि पिछले कुछ सालों से कोचिंग सैंटर की आड़ में कई लोगों ने शिक्षा को व्यवसाय बना डाला है। एक साल की फीस इतनी है कि कोई साधारण व्यक्ति अपने बच्चे को इस प्रकार के कोचिंग सैंटर में पढऩे का सपना भी नहीं देख सकता। उनका मानना है कि अगर ऐसे कोचिंग सैंटर में पढऩे के बावजूद कोई एक भी बच्चा किसी भी सबजैक्ट के लिए अलग से ट्यूशन लेता है तो अभिभावकों को यह बात समझ लेनी चाहिए कि कोचिंग सैंटर सिर्फ और सिर्फ लूट के अड्डे के अलावा कुछ भी नहीं है।

शिक्षाविदों का मानना है कि अगर आप सिर्फ यह सोचते हैं कि स्टेटस सिंबल के तौर पर आपका बच्चा शहर की नामी कोचिंग सैंटर में पढ़ रहा है तो अभी संभल जाएं अन्यथा आपको यह दावा आपके बच्चे के भविष्य पर भारी पड़ सकता है और आप इसके लिए कोचिंग सैंटर द्वारा मांगी जाने वाली मोटी फीस भी भर रहे हैं तो आपकी यह झूठी शान आपके बच्चे के भविष्य के लिए खतरा साबित हो सकती है। इसलिए जहां सरकार को ऐसे कोचिंग सैंटरों, जिन्होंने शिक्षा के व्यापारीकरण को बढ़ावा दिया है पर नकेल कसनी चाहिए वहीं अभिभावकों को भी चाहिए कि वे सिर्फ स्टेटस सिंबल के लिए बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ न करें बल्कि कोचिंग सैंटर संबंधी पूरी जानकारी एवं वहां के माहौल के बारे में भी पूरी जानकारी हासिल करने उपरांत ही कोई कदम उठाएं। कहीं ऐसा न हो कि आपका स्टेटस सिंबल का झूठा दिखावा आर्थिक शोषण के अलावा और कुछ भी न हो?

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