विहिप बजरंग दल धूमधाम से मनाएगी राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता का प्रतीक गणेशोत्सव पर्व: जीवन वालिया

कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़), गौरव मढ़िया: गणेश चतुर्थी के पर्व का आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्त्व है। हिन्दू मान्यता के अनुसार हर अच्छी शुरूआत व हर मांगलिक कार्य का शुभारम्भ गणपति के ध्यान और पूजन से किया जाता है। मान्यता है कि वे विघ्नों के नाश करने और मंगलमय वातावरण बनाने वाले हैं। गणेश शब्द का अर्थ होता है जो समस्त जीव जाति के ईश अर्थात् स्वामी हो। गणेश जी को विनायक भी कहते हैं। विनायक शब्द का अर्थ है विशिष्ट नायक। वैदिक मत में सभी कार्य का आरम्भ जिस देवता के पूजन से होता है, वही विनायक है। भारत त्योहारों का देश है और गणेश चतुर्थी उन्हीं त्योहारों में से एक है। गणेशोत्सव को 10 दिनों तक बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को गणेशोत्सव या विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। पूरे भारत में भगवान गणेश के जन्मदिन के इस उत्सव को उनके भक्त बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं। विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल की और से हर साल की तरह इस साल भी विरासती शहर कपूरथला में गणेश चतुर्थी का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जायेगा।

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बुधवार को गणेश उत्सव की तैयारियों सबंधी आयोजित विश्व हिन्दू परिषद व बजरंग दल की बैठक को संबोधित करते हुए बजरंग दल के जिला प्रधान जीवन प्रकाश वालिया, विश्व हिन्दू परिषद के जिला मंत्री ओमप्रकाश कटारिया, सीनियर जिला उपप्रधान मंगत राम भोला, जिला उपप्रधान जोगिन्दर तलवाड़ ने बताया कि विहिप बजरंग दल द्वारा 19 सितंबर दिन मंगलवार को गणेश उत्सव हनुमंत अखाड़ा नजदीक मंडी जंज घर कपूरथला में बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दौरान सुबह 10 बजे बाईपास चौंक से एक विशाल शोभायात्रा निकली जाएगी, जिसमे में शहर की सभी सामाजिक, धार्मिक, राजनितिक पार्टिओ के लोग बड़ी संख्या में शामिल होंगे उसके बाद शोभायात्रा के रूप में भगवान गणेश जी की मूर्ति श्री हनुमंत अखाडा पहुंचेगी जहाँ पूजन एवं हवन यग कर भगवन गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाएगी। इस दौरान दस दिन तक चलने वाले इस कार्यकम्र में शहर के अलग अलग समुदाय के लोगो द्वारा रोजाना भगवान श्री गणेश की आरती की जाएगी और 28 सितंबर दिन गुरुवार को पुरे शहर में एक विशाल शोभायात्रा निकल कर भगवान गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा। इस अवसर पर बजरंग दल के जिला प्रधान जीवन प्रकाश वालिया ने बताया कि हमारे धर्म ग्रंथ वेद, पुराण, गीता, भागवत, रामायण में भगवान श्री गणेश की विशेष स्तुति, अराधना का उल्लेख मिलता है।

इसमें श्री गणेश की महिमा का उल्लेख करते हुए उनके अनेकानेक रूप, गुण, महिमा को वंदनीय बताया गया। भगवान श्री गणेश को सभी देवगणों में सबसे पहले पूज्य और पूजनीय माना गया है। इसीलिए सबसे पहले इनकी पूजा अर्चना की जाती है। श्री गणेश जी बुद्धि के देवता और विघ्न–विनाशक माने जाते हैं। प्रत्येक शुभ कार्य शुरू करने से पहले इनकी पूजा–अर्चना की जाती है। ताकि वह शुभ कार्य बिना किसी विघ्न–बाधा के संपन्न हो जाए। भगवान श्री गणेश मात्र विघ्न–बाधाओं को दूर नहीं करने वरन मानव जीवन से दुख दर्द पीड़ा भय से मुक्ति भी दिलाते हैं। और जीवन में सुख–शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। हमारे देश में गणेश पूजा की एक अलग परंपरा रही है। जो सदियों से चली आ रही है। और इसी का पालन करते हुए हमारे हिंदू धर्म के लोग गणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश का ससम्मान स्थापना करते हैं।और अगले दस दिनों तक बड़ी आस्था विश्वास के साथ इनकी पूजा–अर्चना करते हैं। वालिया ने कहा कि आजादी के पूर्व हमारे देश में गणेश की पूजा–अर्चना और स्थापना एक नए कलेवर में, नई परम्परा के रूप शुरू हुई। और यह परंपरा  महाराष्ट्र मुंबई में शुरू हुई।

यहां पर गणेश पूजा का एक विशेष महत्व होता है। पूरे भारत से अलग हट के यहां पर गणेशोत्सव का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है।इसका एक विशेष कारण भी है, और वह कारण हैं यह है की यहां पर सारे जाति धर्म संप्रदाय के लोग अपनी जाति धर्म को भूल कर सिर्फ और सिर्फ गणेश भगवान की पूजा भक्ति अराधना में डूब जाते हैं।हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी, सभी एक होकर इस गणेशोत्सव में शामिल होते हैं। एक तरह से यहां राष्ट्रीय, सांस्कृतिक एकता, सद्भावना, भाईचारा, की झलक देखने को मिलती है। और ऐसे सांस्कृतिक गणेशोत्सव की शुरुवात यदि किसी ने शुरू किया तो वे थे, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी थे। जिन्होंने गणेश की पूजा को गणेशोत्सव का रूप देते हुए एक नई परम्परा की शुरुवात की। तिलक ने गणेशोत्सव के माध्यम से भारतीय समाज में राष्ट्रीय एकता, सद्भावना, मानवीय मूल्य, स्वतंत्रता के प्रति चेतना, आदर्शों के प्रति निष्ठा, का ऐसा बीज बोया की वह एक मिसाल के रूप में स्थापित हो गई। इस अवसर पर संजय शर्मा, मोहित जस्सल, राकेश वर्मा, ओमप्रकाश कटारिया, जोगिंदर तलवाड़, मंगत राम भोला, ईशान मेहर, हैप्पी छाबड़ा आदि मौजूद रहे।

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