जन्मभूमि आंदोलन के नायक दिवंगत अशोक सिंघल को भारत रत्न दिया जाए संजय शर्मा

कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गौरव मढ़िया। श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन का इतिहास अशोक सिंहल के स्मरण के बिना अधूरा है। अशोक जी भले ही परंपरागत रूप से संत न हों, लेकिन उनका जीवन किसी मायने में संत से कम नहीं। एक ऐसा संत जिसके जीवन का एकमात्र उद्देश्य था अयोध्या में रामजन्मभूमि पर रामलला का भव्य मंदिर निर्माण करना।इसके लिए उन्होंने अपना जीवन न्योछावर कर दिया। सनातन धर्म में उनकी आस्था शंकराचार्य की तरह और दुनिया भर में हिंदू धर्म का प्रचार-प्रसार करने की उनकी मंशा स्वामी विवेकानंद जैसी थी। हिंदू समाज को सशक्त और समर्थवान बनाने तथा एकजुट रखने के लिए वह जीवनपर्यंत सक्रिय रहे। इसके लिए वह अनगिनत मठों,मंदिरों और आश्रमों में गए। उक्त बातें शुक्रवार को मस्जिद चौंक  में स्वर्गीय अशोक सिंघल जी की जयंती पर उन्हें याद करते हुए बजरंग दल प्रदेश कार्यकारणी सदस्य संजय शर्मा, जिला प्रधान जीवन प्रकाश वालिया, जिला प्रभारी चंद्रमोहन भोला, जिला उपप्रधान आनंद यादव, बजरंग दल नेता विजय यादव, विश्व हिन्दू परिषद् के सीनियर जिला उपप्रधान मंगत राम भोला ने कही।

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इस दौरान विहिप बजरंग दल कार्यकर्ताओ ने रामजन्मभूमि आंदोलन के नायक व विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे स्व.अशोक सिंघल को पुष्प अर्पित कर नमन करते हुए उनके द्वारा हिन्दू हिट में किये गए कार्यो को याद किया गया।इस दौरान बजरंग दल के जिला प्रधान जीवन प्रकाश वालिया ने राम जन्मभूमि आंदोलन के नायक व विश्व हिंदू परिषद के दिवंगत नेता अशोक सिंघल को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की है। सिंघल 20 साल तक विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष रहे। सिंघल ही वो व्यक्ति थे जिन्होंने अयोध्या विवाद को स्थानीय जमीन विवाद से अलग देखा और इसे एक राष्ट्रीय आंदोलन बनाने में अहम भूमिका निभाई। इस दौरान अशोक सिंघल की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए संजय शर्मा ने कहा की अशोक सिंघल ऐसे गृहस्थ संत थे, जिन्होंने सनातन धर्मियों में राम मंदिर के साथ ही उन्हें एकजुट करने की भी चेतना पैदा की थी।उन्होंने ने कहा कि अशोक सिंघल की अगुवाई की वजह से ही मंदिर आंदोलन न सिर्फ साकार हुआ है, बल्कि हिन्दू समाज अपने आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट भी हो रहा है।

उनके मुताबिक अशोक सिंघल ने एक अरब से ज्यादा देशवासियों में उनकी सांस्कृतिक चेतना को जागृत करने का बेहद अहम काम किया है, इसलिए उन्हें भारत रत्न मिलना ही चाहिए। आनंद यादव और मंगत राम भोला ने अशोक सिंघल को सफेद वस्त्रधारी महान संत और राम मंदिर आंदोलन का महानायक करार दिया। उन्होंने कहा कि अशोक सिंघल ने राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई करने के साथ ही देश और समाज के लिए कई दूसरे बड़े काम भी किए थे, इस वजह से वह ऐसे सम्मान के वास्तविक हकदार हैं। गौरतलब है कि अशोक सिंघल ने करीब तीन दशकों तक राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई की थी। उन्होंने सभी सम्प्रदायों के संतों को एकजुट कर उन्हें इस आंदोलन से जोड़ा था। इसके साथ ही वो समाज सुधारक की भी भूमिका में थे।यही वजह है कि अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण की शुरुआत के बाद से ही उन्हें भारत रत्न या कोई दूसरा सम्मान दिए जाने की मांग अब जोर-शोर से उठने लगी है।

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