ग्लोबल सिख काउंसिल ने साहबजादों के शहीदी दिवस का नाम बदलकर ‘वीर बाल दिवस’ करने को किया खारिज

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। करीब तीन दर्जन देशों के सिख संगठनों और गुरुद्वारों की अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि संस्था ‘ग्लोबल सिख काउंसिल’ (जी.एस.सी.) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वह ‘वीर बाल दिवस’ नाम पर पुन्य विचार करते हुए इसे बदलकर ‘साहिबजादे शहीदी दिवस’ रखें ताकि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों, बाबा फतेह सिंह जी और बाबा जोरावर सिंह जी, के महान बलिदान की याद में मनाया जाने वाला वार्षिक शहीदी दिवस सिख संस्कारों और भावनाओं से मेल खा सके।

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                प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में जी.एस.सी. अध्यक्ष लेडी सिंह डा. कंवलजीत कौर ने काउंसिल की ओर से भारत सरकार द्वारा श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे सपुत्रों के 26 दिसंबर के शहीदी दिवस का नाम बदलकर ‘वीर बाल दिवस’ करने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 10वें गुरु साहिब के इन प्रिय सपुत्रों को सार्वभौमिक रूप से धर्म से ऊपर उठकर सम्मान दिया जाता है और उन्हें ‘साहिबजादा’ के नाम से जाना जाता है। उस समय के मुगल शासकों के अत्याचार के विरुद्ध उनकी निडर चुनौतियों के कारण इतिहास में उनके नाम के आगे ‘बाबा’ उपाधि भी लगाई जाती है। पत्र में लेडी सिंह ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह सिख क़ौम के लिए निराशाजनक है कि इन सम्मानित ‘बाबाओं’ और ‘साहबजादों’ को अब केंद्र सरकार द्वारा ‘बाल’ (बच्चे) कहा जा रहा है जो सिखों को स्वीकार्य नहीं है। इसलिए हम केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि वह सिखों की भावनाओं का सम्मान करें।

काउंसिल की अध्यक्ष डा. कंवलजीत कौर ने यह भी लिखा है कि बीजेपी द्वारा रखा गया यह नया नाम सिख ‘पंथ’ को मंजूर नहीं है। यहां तक कि सिखों की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और अन्य धार्मिक संगठनों ने भी इस नए नाम पर कड़ी आपत्ति जताते हुए चिंता व्यक्त की है क्योंकि यह नया नाम साहिबजादों की अविश्वसनीय शहादत और सिखों से जुड़ी भावनाओं, परंपराओं और विचारधाराओं से मेल नहीं खाता है। गौरतलब है कि जी.एस.सी. दुनिया भर में सिख समुदाय को एकजुट करने और सिख धार्मिक संस्थानों की बेहतरी और समुदाय के जरूरतमंद वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिए काम करते हुए अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनका प्रतिनिधित्व करती है।

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