यूं ही नहीं होती छोटा मंत्री-छोटा मंत्री, अधिकारी को कही बात बन जाता है बड़े मंत्री का आदेश, फिर नहीं होती कार्यवाही

शहर में इन दिनों जहां मंत्री साहिब, मंत्री साहिब हो रखी है वहीं छोटे मंत्री के किस्से भी किसी से छिपे नहीं हैं। आलम यह है कि जहां पर पहुंचे साहब, वहां पहुंचे छोटे मंत्री साहिब। कई कार्य तो ऐसे हैं जिन्हें करने का साहस शायद मंत्री का भी न होता हो, लेकिन छोटे मंत्री की कही बात को अधिकारी बड़े साहब का आदेश मानकर तुरंत कार्यवाही करने को तैयार हो जाते हैं। आप भी सोच रहे होंगे कि अब क्या हो गया? जो फिर से छोटे मंत्री की याद आ गई। तो हुआ यूं कि सरकार का एक विभाग है प्रदूषण विभाग और इस विभाग का कार्य होता है प्रदूषण की रोकथाम करना ताकि वातावरण की शुद्धता बनी रहे। उद्योगों द्वारा फैलाए जाने वाले प्रदूषण को रोकना भी इस विभाग का मुख्य कार्य है। शायद हाल की घड़ी में तो ये संभव दिखाई नहीं दे रहा। जिसके चलते पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के हौंसले बुलंद होते दिखाई दे रहे हैं।

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ताजा उदाहरण तब देखने को मिली जब विभाग ने एक फैक्ट्री द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण को लेकर उसे नोटिस दिया और कार्यवाही को आगे बढ़ाया। लेकिन विभाग के अधिकारी ऐसे कैसे कार्यवाही को आगे बढ़ा सकते हैं, जबकि फैक्ट्री मालिक का दोस्त कोई और नहीं बल्कि छोटे मंत्री हैं। ऐसे दोस्त भगवान सबको दे ताकि दोस्ती एवं पहुंच की आड़ में पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचाया जा सके तथा इसके साथ ही बिना आज्ञा अधिक यूनिट भी चलाए जा सकें। तो हुआ यूं कि फैक्ट्री मालिक द्वारा बिना आज्ञा चलाए जा रहे यूनिट्स व फैलाए जा रहे प्रदूषण को लेकर विभाग ने कड़ा नोटिस लिया। नोटिस लेने पर फैक्ट्री मालिक पहुंचा अधिकारियों के दरबार में, लेकिन बात बनती न दिखी तो उसे छोटे मंत्री की याद आई और वह उसके दरबार में पहुंच गए। फिर क्या था, छोटे मंत्री को उसकी शक्तियां याद दिलाते ही भाई साहब ने अधिकारियों को कार्यवाही को ठंडे बस्ते में डालने के आदेश दे डालें। अधिकतर अधिकारी वर्ग भी जानता है कि छोटे मंत्री क्या हैं और उनका कहा कभी नहीं मोडऩा, क्योंकि बड़े मंत्री के आशीर्वाद प्राप्त यह छोटे मंत्री जी साक्षात उन्हीं का रुप हैं।

सही भी है जनाब जब अधिकारी काम के लिए छोटे मंत्री के घर जाते हों वहां पर उनका कहा कैसे टल सकता है। इतना ही नहीं छोटे मंत्री जी का रुतबा भले ही पर्दे के पीछे का हो, लेकिन बड़े मंत्री जी सब कुछ जानते हुए भी न जाने किस मजबूरी में उसकी तरफदारी करके बात को घुमाने के प्रयास में रहते हैं। हम भी बात को किस तरफ घुमाने लगे, तो बात हो रही थी छोटे मंत्री की और भाई साहब एेसी चर्चा है कि अगर आपने भी सरकारी कार्यालयों में कोई काम करवाना है तो आपको उनकी छत्र छाया में जाना ही पड़ेगा। अन्यथा, अधिकारी, नोटिस, कार्यवाही और फिर. . . आगे तो आप समझदार हैं। क्या छोटे मंत्री का नाम, कहां की बात है, फैक्ट्री कौन सी है, जैसे सवाल न ही पूछें तो अच्छा है। क्योंकि, हम तो ठहरे छोटे से पत्रकार और ऐसे सवालों से हमें तो बहुत डर लगता है। वैसे एक बात बता देता हूं कि मामला होशियारपुर से ही जुड़ा है। बाकी आप समझदार हैं, इशारे में सब समझ ही गए होंगे। मुझे दें इजाजत। जय राम जी की।

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