पंजाब ने नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 43 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया: अमन अरोड़ा  

चंडीगढ़, (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने साल 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 43 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मोनैको में मोनैको हाईड्रोजन फोरम के दूसरे ऐडीशन के मौके पर संबोधन करते हुए अमन अरोड़ा ने कहा कि 15000 मेगावॉट क्षमता के साथ पंजाब पावर सरपल्स राज्य है और इसमें से 20 फीसदी (3000 मेगावॉट) ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्टों के द्वारा पैदा की जा रही है।  

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उन्होंने कहा कि पंजाब पराली से ग्रीन हाईड्रोजन पैदा करने के लिए 5 टीपीडी की क्षमता वाला टैकनॉलॉजी डैमोंस्ट्रेशन पायलट प्रोजैक्ट स्थापित करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि पंजाब भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए ग्रीन ऊर्जा के उत्पादन में देश का नेतृत्व करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ ऊर्जा सुरक्षा को भी सुनिश्चित बनाएगा।  


नवीकरणीय ऊर्जा फर्मों को पंजाब में निवेश करने का न्योता देते हुए अमन अरोड़ा ने बताया कि पंजाब बायोमास आधारित ग्रीन हाईड्रोजन प्रोजेक्टों को प्रोत्साहित करने के लिए उद्योगों को निर्माण कार्यों के दौरान बिजली ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट, चेंज ऑफ लैंड यूज (सी.एल.यू.) और ऐकस्टरनल डिवैल्पमैंट चार्जिज़ (ई.डी.सी.) पर छूट, ज़मीन की रजिस्ट्रेशन के लिए स्टैंप ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट और लैंड लीज़ के लिए स्टैंप ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट जैसी रियायतें दी जा रही हैं। राज्य सरकार द्वारा धान की पराली आधारित कम्प्रैस्ड बायोगैस (सी.बी.जी.) प्रोजेक्टों को प्रोत्साहित करने के लिए की गईं पहलों के बारे में बताते हुए अरोड़ा ने कहा कि सी.बी.जी. के 85 टन प्रति दिन (टी.पी.डी.) की कुल क्षमता वाले चार प्रोजैक्ट कार्यशील हैं, जो पूरी क्षमता से प्रति वर्ष लगभग 0.28 मिलियन टन धान की पराली का उपभोग करते हैं।

उन्होंने आगे बताया कि अगले 6 महीनों के अंदर छह और प्रोजेक्टों के चालू होने की संभावना है और 28 अन्य सी.बी.जी. प्रोजेक्ट अलग-अलग पड़ावों के अधीन हैं। इन प्रोजेक्टों के चालू होने से सालाना लगभग 1.6 मिलियन टन धान की पराली का उपभोग होगा।  अमन अरोड़ा ने कहा कि दो प्रमुख राष्ट्रीय स्तर के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पी.एस.यूज) गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (गेल) और हिन्दोस्तान पैट्रोलियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एच.पी.सी.एल.) ने भी पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी (पेडा) के साथ 20 सी.बी.जी. प्लांट स्थापित करने के लिए समझौते सहीबद्ध किए हैं। यह 20 सी.बी.जी. प्लांट 10-15 टी.पी.डी. क्षमता वाले हैं। उन्होंने आगे कहा कि राज्य को पहले ही कुल 100 मेगावॉट क्षमता वाले 11 बायोमास आधारित पावर प्रोजैक्ट अलॉट किए गए हैं, जो कार्यशील हैं और हर साल लगभग 1.2 मिलियन टन बायोमास का उपभोग करते हैं।  

कैबिनेट मंत्री बताया कि पंजाब मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है और इसमें बायोमास आधारित ईंधन की अथाह संभावनाएं हैं, क्योंकि यहाँ हरेक साल लगभग 20 मिलियन टन से अधिक पराली पैदा होती है। उन्होंने आगे कहा कि पंजाब सरकार ने एक तीर के साथ दो निशाने लगाते हुए पर्यावरण को बचाने के अलावा फ़सलीय अवशेष का प्रयोग ईंधन/ऊर्जा उत्पादन में करने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की है।  

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