शादी की वर्षगांठ पर शरीरदान प्रणपत्र भरकर सुरिंदर व सरिता समाज के लिए बने प्रेरणास्रोतः संजीव अरोड़ा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। नेत्रदान व शरीरदान के प्रति जागरुकता ही कार्निया ब्लाइंडनैंस को दूर करके पीड़ितों को नई रोशनी देने तथा मैडीकल साइंस को बढावा देने का सबसे उत्तम माध्यम है। इसके द्वारा जहां कई लोगो को नई रोशनी मिल रही है, वहीं मरणोपरांत शरीर दान से मैडीकल की पढ़ाई कर रहे बच्चों को मदद मिलती है। यह विचार रोटरी आई बैंक एंड कार्नियल ट्रासप्लांटेशन सोसायटी के प्रधाव व प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा ने भीम नगर निवासी सुरिंदर कुमार व उनकी पत्नी सरिता रानी द्वारा अपनी शादी की वर्षगांठ के अवसर पर शरीरदान प्रणपत्र भरने दौरान उन्हें सम्मानित करते हुए व्यक्त किए। संजीव अरोड़ा ने कहा कि खुशी के मौके पर मानव सेवा का प्रणपत्र भरकर सुरिंदर कुमार व उनकी पत्नी सरिता ने समाज के समक्ष मिसाल पेश की है तथा इनकी यह मिसाल समाज सेवा हेतु कुछ करने की इच्छा रखने वालों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत का काम करेगी।

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अरोड़ा ने दंपत्ति को बताया कि रोटरी आई बैंक की प्रेरणा से अब तक 23 लोग शरीरदान कर चुके हैं तथा नेत्रदान एवं शरीरदान ही एक एसा दान है जो मरणोपरांत किया जाना होता है। इसके लिए बस हमें जीतेजी प्रणपत्र भरकर अपनी इच्छा व्यक्त करनी होती है ताकि व्यक्ति के जाने के बाद प्रक्रिया को पूरा करने में किसी तरह की कोई अड़चन पेश ना आए और समाज सेवा का मनोरथ भी पूरा हो सके। इस मौके पर शरीरदान प्रणपत्र भरने उपरांत सुरिंदर कुमार एवं सरिता ने कहा कि उनकी जितनी सामर्था है उसके हिसाब से जीतेजी तो वह समाज सेवा में थोड़ा बहुत योगदान डाल ही रहे हैं तथा मरणोपरांत भी वह कुछ एसा करना चाहते थे कि उनकी देह किसी के काम आ सके। इसलिए उन्होंने अपनी विवाह की वर्षगांठ पर शरीरदान करने का प्रणपत्र भरा। उन्होंने बताया कि उनके गुरुदेव का भी यही आदेश है कि अंगदान करना चाहिए तथा उन्होंने गुरुदेव के आदेशों की पालना करते हुए यह कदम उठाया है। इस मौके पर सोसायटी के चेयरमैन जेबी बहल व लायन डा. रणधीर सिंह ने उक्त दंपत्ति द्वारा उठाए गए कदम की सराहना करते हुए उनका धन्यवाद किया।

बहल ने कहा कि इस प्रकार की जागरुकता से जहां नेत्रहीनता को खत्म किया जा सकेगा वहीं मैडीकल साइंस कर रहे बच्चों के लिए मानव शरीर से जुड़ी खोज को और विस्तार से करने में सफलता मिलेगी। क्योंकि, आर्टिफीशन शरीर पर शोध करना और एक व्यक्ति के शरीर पर शोध करने में बहुत अंतर होता है तथा शरीर पर शोध के साथ मैडीकल साइंस को बीमारियों पर काबू पाने एवं उनके इलाज में सहयोग मिलता है। इसलिए सोसायटी द्वारा नेत्रदान एवं शरीरदान के लिए जागरुकता फैलाई जा रही है। इस मौके पर मदन लाल महाजन, वीना चोपड़ा, डा. रणधीर सिंह आदि मौजूद थे।

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