होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्टः गुरजीत सोनू। सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल अज्जोवाल में प्रिंसिपल वैशाली चड्ढा के निर्देशों अनुसार वीर बाल दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया गया | इस मौके पर बच्चों ने छोटे साहबजादो को याद करते हुए उनके बलिदान से संबंधित शब्द गायन किया | इस मौके पर जानकारी देते हुए लेक्चरर उपेंद्र सिंह तथा हरमीत कौर ने कहा कि सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों छोटे साहिबजादों को 1704 ई. में मुगल शासक औरंगजेब ने शहीद कर दिया था। उस समय दोनों साहिबजादों की उम्र 9 वर्ष और 7 वर्ष थी। साहिबजादे जोरावर सिंह केवल 9 वर्ष के थे और साहिबजादे फतेह सिंह केवल 7 वर्ष के थे। उम्र के इस बालक रूप में साहिबजादो का हौसला बहुत बुलंद था|उन्होंने कहा कि मुगल शासक ने साहिबज़ादों को इस्लाम अपनाने के लिए कहा । लेकिन उन्होंने निडर होकर सिखी न छोड़ने को कहा और अपने धर्म के लिए अपना बलिदान देने को तैयार हो गये।
औरंगजेब ने दोनों को जीवित दीवार में चिनवा देने का आदेश दिया। दोनों साहिबज़ादों ने निडरता और साहस दिखाया और इसे स्वीकार किया। जब उन्हें दीवार पर उकेरा जा रहा था तो वे दोनों जपजी साहिब का पाठ कर रहे थे। जैसे ही दीवार उनके कंधों तक पहुंची, औरंगजेब ने बेरहमी से दोनों साहिबजादों के सिर कटवा कर उन्हें शहीद कर दिया।छोटी उम्र में अपने धर्म के लिए शहीद हुए दो बच्चों का शहादत दिवस वीर बल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका यह बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव गौरवपूर्ण रहेगा और इतिहास में उनका नाम सदैव स्वर्णिम अक्षरों में लिखा रहेगा । सरहिंद में गुरुद्वारा श्री ज्योति सरूप साहिब उनकी याद में बनाया गया । जिस भूमि पर यू का निर्माण किया गया है वह भूमि उस समय दीवान टोडर मलजी ने औरंगजेब से जमीन पर तंग स्थिति में सोने के सिक्के बिछाकर प्राप्त की थी और उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस मौके पर लेक्चरर शरणदीप कौर, सुकृति कश्यप, कुलविंदर कौर,रजनीश, अर्चना, संगीता सैनी, रणजीत कौर,देवकी रानी,राजेंद्र कौर, चरणजीत सिंह, रजिंदर पाल सिंह , अमनीत कौर, मनजीत कौर आदि भी उपस्थित थे।