इकबाल व संतोष बाला ने शरीर दान प्रण पत्र भरकर कायम की मिसाल: संजीव अरोड़ा

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। जिस प्रकार नेत्रदान एक आंदोलन का रूप धारण कर चुका है उसी तरह मरणोपरान्त देह दान को लेकर भी लोग जागरुक हो रहे हैं । क्योंकि देह दान करने से मैडिकल साइंस में नई खोज और तकनीक विकसित करने में सहयोग मिलता है। यह विचार रोटरी आई बैंक के प्रधान व प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा ने देह दान करने का संकल्प लेने वाले दंपति स. इकबाल सिंह व उनकी धर्मपत्नी संतोष वाला निवासी माउंट एवेन्यू को सम्मानित करते हुए व्यक्त किये। इस मौके संतोष वाला ने बताया कि उनकी बहन की मृत्यु 17 वर्ष पूर्व लीवर की बीमारी के कारण हुई थी तब उन्होंने प्रण कर लिया था कि वह मरणोपरांत अपना शरीर दान करेंगी। आज उन्होंने अपने पति सहित मरणोंपरांत शरीर दान करने का प्रण पत्र भरकर रोटरी आई बैंक के प्रधान संजीव अरोड़ा व अन्य सदस्यों को सौंपा ।

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इस अवसर पर संजीव अरोड़ा ने कहा कि नेत्र दान व शरीर दान के प्रति जागरुकता ही कॉर्निया ब्लाइंडनेस को दूर करके पीड़ित को नई रौशनी देने तथा मैडिकल साइंस को बढ़ावा देने का सबसे उत्तम साधन है। इसके साथ जहां कई लोगों को नई रौशनी मिल रही है वही मरणोपरांत शरीर दान से मैडिकल की पढ़ाई कर रहे बच्चों को मदद मिलती है। इस पुण्य के कार्य के लिए स. इकबाल सिंह और उनकी धर्मपत्नी संतोष वाला ने समाज के समक्ष मिसाल पेश की है तथा उनकी मिसाल समाज सेवा हेतु कुछ करने की इच्छा रखने वालों के लिए सदैव प्रेरणा स्रोत रहेगी। श्री अरोड़ा नें दंपति को बताया कि अब तक रोटरी आई बैंक की प्रेरणा से 24 लोग शरीर दान कर चुके हैं ।

इस मौके पर प्रो. दलजीत सिंह, वीणा चोपड़ा व प्रो. जसवंत सिंह ने बताया कि नेत्रदान व शरीर दान की एक ऐसा दान है जो मरणोपरांत करना होता है। इसके लिए हमें जीते जी प्रण पत्र भरकर अपनी इच्छा व्यक्त करनी होती है ताकि व्यक्ति के जाने के बाद कोई अड़चन पेश न आए और समाज सेवा का मनोरथ भी पूरा हो सके । उन्होंने कहा कि इस तरह की जागरूकता से ही जहां नेत्रहीनता को खत्म किया जा सकता है वहीं मैडिकल की पढ़ाई कर रहे बच्चों के लिए मानव शरीर से जुड़ी खोज को और विस्तार से करने में सफलता मिलेगी। इस अवसर पर प्रो. दलजीत सिंह, वीणा चोपड़ा व प्रो. जसवंत सिंह भी मौजूद थे

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