भाजी मुझे रिकार्डिंग की बुरी आदत नहीं, ‘आप’के साथ तो हैं पर मन तो आज भी ऊधर… बताओ करना क्या है, वही जो मन कहे

चुनाव लोकसभा सीट के लिए हों या विधानसभा, राजनीतिक दलों में उठापठक तो लगी ही रहती है तथा एक पार्टी से दूसरी में जाना तथा जाकर वापिस आने जैसी रौनकें केवल चुनाव के दिनों में ही देखने को मिलती हैं। लेकिन पहली पार्टी छोड़ दूसरी में जाकर भी अपनी जड़ों को पहली पार्टी के साथ जोड़ रखने का हुनर भी किसी किसी में होता है ताकि घर वापसी करनी पड़े तो दरवाजे खुले मिलें। कांग्रेस से आप में कुछेक कार्यकर्ताओं में चल रही चर्चाओं के बाजार भी पूरी तरह से गर्म हो रहे हैं तथा ऐसी चर्चाओं से राजनीतिक गलियारों में नई तरह की चर्चाएं जन्म ले रही हैं और लोग इन्हें पूरे इनटरस्ट से सुनकर ठहाके लगाना नहीं भूल रहे।

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हाल ही में आम आदमी पार्टी में गए कुछेक लोगों द्वारा आपस में चल रही चर्चा आम क्या हुई दल बदलने वालों की असलीयत जगजाहिर होने लगी कि आखिर लोग किस प्रकार स्वार्थ के चलते राजनीतिक टोकरियां बदल कर जनता के प्यार और सहयोग पर रोटियां सेंक लेते हैं। हाल ही में कांग्रेस से आप में गए एक नए-नए नेता जी की करीबी द्वारा आप के पुराने कार्यकर्ताओं और नेताओं को समझाने व दूसरी तरफ से क्या जवाब मिला की चर्चा आम हुई थी तो अब एक दूसरे पर फोन पर दल बदलने वाले क्या बातें करते हैं चर्चाओं में हैं।

कांग्रेस छोड़ आप में गए दो कार्यकर्ताओं में हुई बातचीत चर्चाओं में है और उनके मन के भावों का शब्दों में प्रकट होना उनके मन के दर्द को बयान करने के लिए काफी था। चर्चा है कि एक ने दूसरे को फोन किया और पहले यह पूछा कि यार तेरे फोन च रिकारडिंग तां नी हैगी, तां ही गल्ल करां। इस पर दूसरे ने कहा कि भाजी मुझे रिकार्डिंग करन वरगी बुरी आदत नहीं है, तुसी गल्ल करो। इस पर पहले ने पूछा कि भाजी किस तरफ चलना, इना नाल चलण नूं दिल नी करदा, इत्थे तां साडे नालों वी बुरा हाल आ। दूसरे ने कहा तूं टाइम पास करअसी केहड़ा इत्थे सदा रैहणा, जेहड़े लीडर आए वी आ ओह वी तां आपणा इ सारदे पे आ। पहले ने कहा कि भाजी हैगे तां ‘आप’के साथ ही हैं पर मन तां अज्ज वी ऊधर इआ, तुस्सी दसो करना की आ, दूसरे ने कहा कि करना की आ, ओही करो जो मन कहिंदा, असी किसे पिछे क्यूं लगणा।

आप में घमासान के चर्चे पहले से ही राजनीतिक गलियारों की शोभा बने हुए हैं और इस पर ऐसी चर्चाएं कि जो आपके हुए भी वह भी अपने नहीं तो फिर नैया किसके सहारे पार लगेगी को लेकर भी कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सूत्रों की माने तो सत्तापक्ष द्वारा अपनी ताकत का पूरा प्रयोग किया जा रहा है तथा ऐसे इसलिए भी कि अगर यह सीट जाती है तो कईयों के भविष्य पर तलवार लटक सकती है। राजनीति व्यवहार में वैसे भी कहा जाता है कि जो एक पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी में शामिल होते हैं वह और भी अधिक ऊर्जा और ताकत से अपना अस्तित्व बचाने और वर्चस्व दिखाने के लिए जोर लगाते हैं। देखों अब ये अदला बदली का खेल इस चुनाव में क्या रंग बिखेरता है और किसकी झौली में जीत और किसकी झौली में हार के हार चढ़ते हैं। क्या, कौन से कार्यकर्ताओं में हुई चर्चा, एक का ही नाम बता दो। देखिए पता आपको भी सारा है, बस हर बार की तरह सुनना मुझसे चाहते हैं और मैंने कभी बताया है जो आज बताऊंगा। आप चर्चा का मजा लें। मुझे दें इजाजत, जय राम जी की।

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