बेहाल भाजपाः इतना किया पर ये अपने न हुए, 2009 याद दिला दिया, इनके चक्कर में सब नाराज कर लिए, लेकिन अब और नहीं…

कहते हैं राजनीति में कोई किसी का स्थायी मित्र नहीं और न ही कोई शत्रु। जो आज किसी का विरोधी है वह कल साथ बैठकर एकता पर ज्ञान का पाठ भी पठा सकता है। इसलिए राजनीति भी एक जुआ बन चुकी है, जिसमें कभी भी कुछ भी हो सकता है। परन्तु इतना जरुर है कि जो अपने होते हैं अगर वह अपने बने रहें तो रास्ते की कठिनाईयां भी लक्ष्य तक पहुंचने से रोक नहीं सकतीं। परन्तु इन दिनों बेहाल भाजपा के एक नेता जी का दर्द रह-रह कर छलक रहा है और उन्हें अपनी गलतियों पर काफी अफसोस भी हो रहा है। क्योंकि, जिनके लिए उन्होंने सभी को नाराज किया, जिनके कहने पर काम किया और जिस खेमे के कहलाए वही उनके रास्ते में कांटे बिछाने का काम कर रहे हैं तथा पग-पग पर उनके लिए परेशानियां खड़ी करने से जरा भी गुरेज नहीं किया जा रहा। उनके समक्ष स्थिति ऐसी पैदा कर दी गई कि हार कर उन्हें कहना ही पड़ा कि जिस तरह से उनके साथ बर्ताव किया जा रहा है, उससे उन्हें 2009 याद आ गया तथा 2024 जोकि उनके और पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण साल है तो इस स्थिति में भी उनके जख्मों को कुरेद-कुरेद कर हरा रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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इतना ही नहीं सुनियोजित ढंग से मीडिया के माध्यम से उन्हें जनता से दूर किए जाने के प्रयास भी जारी हैं। क्योंकि, मीडिया में कुछेक लोगों को पहले से ही पढ़ाकर भेजा जाता है कि उन्हें सूई किस पर रखनी है और क्या-क्या पूछना है ताकि उन्हें लगे कि इस गुट के बिना चलना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है। जबकि राजनीतिक माहिरों के अनुसार नेता जी को पहले दिन से गुटबाजी से दूर रहते हुए सभी गुटों को साथ लेकर चलने का दम दिखाना चाहिए था तथा पार्टी हाईकमान को भी सख्त रवैया रखना चाहिए था, लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। जिसके चलते आज भाजपा जीत के करीब होते हुए भी दूर होती दिखाई दे रही है।  सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार भाजपा का एक गुट जोकि पिछले काफी सालों से अन्य गुटों पर भारी ही रहा तथा जिसके चलते कई नेता नाराजगी और अनदेखी के चलते पार्टी को अलविदा कह गए से उनके गुट के नेता भी खासे खुश नहीं हैं। इन दिनों में जो हालात पैदा कर दिए गए हैं, उससे भाजपा को क्षति तय है तथा इसके उदाहरण हाल ही में पार्टी छोड़ कर गए नेताओं के रुप में सभी के सामने है।

पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो 2024 में अपने खेमे के नेताओं की कार्यप्रणाली देखकर नेता जी का मन 2009 की स्थितियों को याद कर भर आता है तथा उनके मन में एक ही ख्याल आ रहा है कि जैसे तैसे अब का समय निकालो, भविष्य में वह गलतियां नहीं होंगी जो पहले हुईं, जिस कारण दूसरे उनसे दूर हो गए। स्थितियां कैसी रहती हैं, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इतना जरुर है कि जैसा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि पार्टी आला कमान की ऐसी क्या मजबूरी है कि होशियारपुर में भाजपा का एक गुट सभी पर भारी पड़ नज़र आ रहा है और नेता जी 2009 को याद करने को विवश हो गए।

क्या, नाम बता दो। एक-दो हों तो बता भी देता, यहां तो लिस्ट इतनी लंबी है कि…, खैर छोड़ो आप सब जानते हो और आपकी वही पुरानी आदत कि मेरे मुंह से सुनना चाहते हैं। न भाई न। गुटबाजी के जाल से मुझे दूर ही रखें। छोटा सा पत्रकार हूं, कईयों का गुनहगार हूं, और नाराजगी न भाई न। मुझे दें इजाजत। जय राम जी की।

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