छोटी सी उम्र में 5 हजार से अधिक स्टंट डालने के मल्टीपल आप्रेशन कर चुके हैं डा. आर.एल. भगत

-शिवम अस्पताल होशियारपुर में अप्रैल 2013 से दे रहे हैं सेवाएं- होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। होनहार बिरवान के होत चिकने पात कहावत होशियारपुर के शिवम अस्पताल के एच.ओ.डी. कारडियोलॉजी डा. आर.एल. भगत पर पूरी तरह से चरितार्थ होती है। 36 वर्ष की छोटी सी आयु में डा. भगत ने जिस प्रकार अपने फील्ड में महारत हासिल की है उसका दिल के मरीजों को काफी लाभ मिल रहा है तथा डा. भगत जिन्होंने अप्रैल 2013 में शिवम अस्पताल में सेवाएं प्रारंभ की थी अब तक स्टंट डालने एवं अन्य प्रकार की ब्लाकेज खोलने से संबंधित सफल आप्रेशन कर चुके हैं।

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मूल रुप से जम्मू-कश्मीर से संबंधित डा. भगत ने बताया कि उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के बाद जम्मू मैडीकल कालेज से एम.बी.बी.एस. करने उपरांत एम.डी. (मैडीसिन) पी.जी.आई. से करने उपरांत एम.डी. (कारडियोलॉजी) किंग जार्ज मैडीकल यूनिवर्सिटी लखनऊ से की और इसके बाद अलग-अलग अस्पतालों में सेवाएं निभाने उपरांत उन्होंने अप्रैल 2013 में शिवम अस्पताल में बतौर कारडियोलॉजिस्ट अपनी सेवाएं शुरु की। उन्होंने बताया कि वे अब तक पांच हजार से अधिक दिल व अन्य नाडिय़ों की ब्लॉकेज से संबंधित आपरेशन कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने बताया कि उनकी इनवेजू (आपरेट करके) एवं नॉन इनवेजू (बिना अपरेट किए दवाओं के माध्यम से ईलाज करना) में महारत है तथा मैडीकल लाइन में आने वाली नई-नई तकनीकों के साथ अपरेट किया जाता है।

उन्होंने बताया कि अस्पताल में प्राइमरी इनजोप्लास्टी एवं इमरजैंसी सेवाएं 24 घंटे उपलब्ध रहती हैं और एक रीजनेवट पैकेज पर उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि एक समय था जब स्टंट आदि विदेश से व महंगी कंपनियों के आते थे तथा ईलाज की कोस्ट अधिक होती थी, मगर अब भारत में स्टंट बनने से इनकी कीमत में काफी कमी आई है। जिससे ईलास सस्ता हुआ है। उन्होंने बतया कि अस्पताल में सिंगल, डबल, ट्रिपल एवं मल्टीपल ब्लाकेज को दूर करने के लिए सभी प्रकार का ईलाज उपलब्ध है तथा दिल, किडनी, टांगों एवं बाजुओं की नाडिय़ों की ब्लाकेज तथा कैरोटिड स्टंटिंग (गर्दन से ऊपर के हिस्से की नाडिय़ों की ब्लाकेज) की जाती है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार हर प्रकार की सर्जरी में रिस्क फैक्टर रहता है उसी प्रकार दिल से जुड़ी बीमारी में भी काफी रिस्क रहता है, मगर नई तकनीकें ईजात होने से रिस्क फैक्टर काफी कम हुआ है और 99.9 प्रतिशत परिणाम सकारात्मक आते हैं।

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