आज भी प्रेरणास्रोत हैं तहसीलदार वर्मा के पिता तरसेम वर्मा और माता शकुंतला देवी के आदर्श

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। होशियारपुर के तहसीलदार अरविंद प्रकाश वर्मा के पिता स्व. तरसेम प्रकाश वर्मा एवं उनकी माता शकुंतला देवी वर्मा की 12 मार्च को पुण्य तिथि है। यह दिन इसलिए भी विशेष है कि एक तरफ जहां उनके पिता गरीबों के हितैषी के तौर पर जाने जाते थे तथा उन्होंने देश की एकता एवं अखण्डता को कायम करने के लिए बलिदान दिया था वहीं उनकी माता भी गुणों की खान थी। बहुत ही शांत स्वभाव और धर्मानुसरन करने वाली इस महान महिला के आदर्श आज भी वर्मा परिवार व समाज का मार्ग दर्शन कर रहे हैं। उन्हीं के आदर्शों पर चलते हुए तहसीलदार अरविंद प्रकाश होशियारपुर में सरकारी कार्य के साथ-साथ सामाजिक, पर्यावरण एवं धार्मिक कार्यों में बढ़चढ़ कर भाग लेकर समाज के लिए प्रेरणास्रोत का कार्य कर रहे हैं।

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तहसीलदार अरविंद प्रकाश वर्मा के माता-पिता की 12 मार्च को पुण्य तिथि पर विशेष

गौरतलब है कि जिला जालंधर के गांव नकोदर के तहत पड़ते गांव बजुहांकला में 2 फरवरी 1934 को जन्में स्व. तरसेम प्रकाश वर्मा ने अपने जीवन काम में अपनी संस्कृति, समाज एवं धर्म को आगे बढ़ाते हुए जो कार्य किए उनके लिए उन्हें आज भी उत्तर भारत में विशेष सम्मान दिया जाता है। गांव के स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने उपरांत जालंधर से वकालत की डिग्री हासिल करके उन्होंने वकालत शुरु की। स्व. वर्मा गरीबों और जरुरतमंद लोगों के केस मुफ्त में लड़ा करते थे तथा उनकी इसी खासियत के चलते वे काफी लोकप्रिय था तथा सदैव सत्य का साथ देने के चलते उनकी वकालत में एक अलग पहचान भी थी। जीवन काल में वे महावीर दल पंजाब के साथ-साथ सनातम धर्म प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे तथा इस दौरान उन्होंने समाज सेवा एवं धार्मिक कार्यों से संबंधित कई प्रकल्प चलाए। इसके साथ-साथ वे राजनीति में भी अच्छी पकड़ रखते थे तथा उन्होंने पूर्व सी.एम. बेअंत सिंह, पूर्व गृह मंत्री बूटा सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पंडित मोहन लाल, पूर्व विदेश मंत्री स्वर्ण सिंह तथा पूर्व एम.पी. यश के साथ राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई तथा प्रदेश में समाज के प्रत्येक वर्ग में समन्वय बनाने में अहम योगदान डाला। 12 मार्च 1986 का काला दिन था जब तरसेम प्रकाश जी समाज सेवी संस्थाओं द्वारा आयोजन एक कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे थे तो इस दौरान समाज विरोधी ताकतों ने उन्हें अपना निशाना बनाते हुए गोली मार कर शहीद कर दिया था। जिसके बाद जालंधर में काफी दिनों तक लोग शोक में डूबे रहे तथा उस काले दौर के काले दिन को याद करके आज भी उनकी आंखें नम हो जाती हैं।

अपने पति तरसेम प्रकाश वर्मा के अधूरे छोड़े कार्यों को आगे बढ़ाते हुए श्रीमती स्व. शकुंतला देवी वर्मा अपने नम्र, धार्मिक एवं दयालु स्वभाव के चलते समाज के हर वर्ग के लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहीं। अगर उन्हें गुणों की खान कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा, क्योंकि पति के जाने के बाद एकदम से घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ पड़ी तथा अपने इन गुणों के चलते ही वे अपने बच्चों का पालन पोषण सुसंस्कारित कर पाईं। जिसकी बदौलत आज उनके बच्चे समाज के अलग-अलग क्षेत्रों से जुडक़र जनकल्याण के दिखाये उनके मार्ग पर चलते हुए अलग पहचान स्थापित कर रहे हैं। पूर्वजों से मिले उच्च संस्कारों, शिक्षाओं, उद्देश्यों एवं आदर्शों के बल पर उन्होंने समाज की कुरीतियों के खिलाफ आवाज़ बुलंद की और लोगों को जागरुक करने का कार्य किया।

12 मार्च 1986 को पति की शहादत के 31 साल बाद जन कल्याण कार्यों को करते हुए शकुंतला देवी वर्मा ठीक 12 मार्च 2017 को प्रभु चरणों ेमं विलीन हुो गईं।

तहसीलदार अरविंद प्रकाश वर्मा के अलावा उनके अन्य बेटों अनिल प्रकाश, आनंद प्रकाश, बेटियां अरुणा लाल, अंजु वर्मा व अजय कुमारी अपने माता पिता के दिखाये रास्ते पर चलते हुए समाज सेवा में अग्रणिय भूमिका निभाने को प्रयासरत रहते हैं। बच्चों द्वारा अपने पिता की याद में उनके पैतृक गांव में मंदिर का निर्माण भी करवाया गया, जहां पर प्रतिवर्ष लंगर लगाकर उन्हें श्रद्धा के पुष्प अर्पित किए जाते हैं। आज भले ही दोनों पुण्य आत्मा हमारे बीच नहीं हैं, मगर उनकी शिक्षाएं, आदर्श और उच्च संस्कार आज भी समाज व संस्थाओं का मार्ग दर्शन कर रहे हैं।

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