गीतों व फिल्मों में हथियारों के प्रयोग और गुंडागर्दी के दृश्य दिखाने पर लगाई जाए पाबंदी:अश्विनी गैंद

ashwani gaind-कहा, सोशल मीडिया के माध्यम से भी अश्लिीलता और हिंसा फैलाने पर बने कड़ा कानून-भडक़ीले दृश्यों को देखकर युवाओं में बढ़ रही हिंसक प्रवृति चिंता का विषय-होशियारपुर। वर्तमान समय में युवा वर्ग में बढ़ती हिंसक प्रवृति के पीछे के कारण को गंभीरता से खोज कर इस बढ़ती समस्या पर काबू पाने हेतु कदम उठाने की जरुरत है। अगर समय रहते ऐसा न किया गया तो आने वाले समय में भटकी हुई युवा पीढ़ी को संभालना मुश्किल होगा। इसलिए अब यह जरुरी हो चुका है कि पंजाबी व हिंदी गीतों व फिल्मों में दिखाई जाने वाले गुंडागर्दी व हथियारों के प्रयोग को उकसाने वाले दृश्यों पर पाबंदी लगाई जाए तथा इसके लिए एक जनआंदोलन की शुरुआत आवश्यक है। ऐसा होने की सूरत में ही हम युवा वर्ग को सही मार्ग पर ला सकेंगे। अन्यथा आने वाले समय में हमारे पास लकीर पीटने के सिवाये कुछ नहीं बचेगा। उक्त बात सामाजिक संस्था ‘नई सोच’ के संस्थापक अध्यक्ष अश्विनी गैंद ने युवाओं में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति एवं आपसी लड़ाई-झगडों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए एक बयान में कही। अश्विीन गैंद ने कहा कि बच्चे गीतों के माध्यम से जो सीखते हैं उसे जीवन में धारण करने का प्रयास करते हैं। जिसके चलते आज अधिकतर बच्चे अपने मूल संस्कारों से दूर होकर गलत रास्तों पर चल पड़े हैं। जैसे नशा एवं हथियारों का शौक तथा उनका प्रयोग उनकी पसंद बनते जा रहे हैं। ऐसा इसलिए है कि हमारे सभ्यचारा के नाम पर गीतों के माध्यम से जो अश्लीलता एवं गुंडागर्दी परोसी जा रही है उसका हमारी युवा पीढ़ी पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। इसके चलते कई माता पिता अपने बच्चों को खो चुके हैं। समाज को एकजुट होकर भारत व पंजाब सरकार पर दवाब बनाना चाहिए कि वे अश्लीलता एवं गुंडागर्दी परोसने वाले गीतों तथा फिल्मों पर पाबंदी हेतु कड़ा कानून बनाने के लिए मजबूर हो जाएं। श्री गैंद ने कहा कि इसके अलावा सोशल मीडिया के माध्यम से एक दूसरे को गाली-ग्लोच करना तथा अश्लिीलता व हिंसा फैलाने को रोकने के लिए भी कड़ा कानून बनाया जाना चाहिए ताकि सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोका जा सके। अश्विनी गैंद ने कहा कि जिन युवाओं को देश और समाज के लिए काम करना चाहिए वे पथभ्रष्ट होकर अपनी जवानी और जीवन दोनों खराब कर रहे हैं। इसके लिए हम सभी भी कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं। मगर अब जरा सी भी देरी किए बिना समाज में बढ़ती इस समस्या को काबू करने के लिए हम सभी को प्रयास शुरु करने होंगे ताकि नौजवान पीढ़ी को बचाया जा सके। उन्होंने गीत व फिल्म निर्माताओं से भी अपील की कि व समाज व देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए हिंसक दृश्यों को दिखाने से परहेज करें, अन्यथा उनके घरों व कार्यालयों के समक्ष रोष प्रदर्शन करके उनके पुतले फूंके जाएंगे। अश्विनी गैंद ने कहा कि जल्द ही नई सोच शहर की अलग-अलग संस्थाओं के साथ बैठक करके इस संबंधी आंदोलन की रणनीति तैयार करेगी।

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