एक पुलिस कर्मी जो दे रहा ‘चिट्टे’ का केस डालने की धमकियां

Stellar mike logo copy-पुलिस को धक्केशाही करने से रोकने वाले जनप्रतिनिधियों को भी धमकियां देने से गुरेज नहीं कर रहे चंद भ्रष्ट पुलिसकर्मी-चंद काली भेड़ों के चलते पुलिस का अक्स हो रहा धूमिल-
होशियारपुर (पंजाब) (वरिष्ठ पत्रकार संदीप डोगरा)। एक तरफ होशियारपुर में मन्ना हत्याकांड ने पुलिस की नींद हराम कर रखी है वहीं दूसरी तरफ पुलिस के भीतर बैठी काली भेड़ें पुलिस विभाग को बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। आलम यह है कि भ्रष्टाचार की चक्की में पूरी तरह से पिस चुके चंद पुलिस कर्मियों की कार्यप्रणाली को लेकर इन दिनों शहर में खासी चर्चा है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार पुलिस विभाग में ऐसे कर्मचारी हैं जो असली तस्करों को छोड़ इन दिनों जनप्रतिनिधियों को ‘चिट्टे’ के केस में फंसाने की धमकियां देने से गुरेज नहीं कर रहे। कहते हैं एक सेब पूरी पेटी को खराब कर देता है, उसी प्रकार भ्रष्टाचार व अपनी वर्दी का गलत प्रयोग तो चंद पुलिस कर्मी कर रहे हैं परन्तु बदनाम सारा विभाग हो रहा है। हालांकि, कई मासूमों को ऐसे केसों में उलझाकर उनकी जिंदगियां खराब करने के कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं व आते रहते हैं, बावजूद इसके भ्रष्ट पुलिस कर्मी अपनी हरकतों से बाज आना जरुरी नहीं समझते। जिसके चलते जहां उनके समर्थकों में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर रोष व्याप्त हो रहा है वहीं पुलिस अधिकारियों ने अगर इस तरफ जल्द ध्यान न दिया तो पुलिस-पब्लिक सहयोग से अपराध पर काबू पाने की योजना धूमिल होते देर नहीं लगेगी और जनता के बीच एक बार विभाग का अक्स खराब हुआ तो उसे सुधारने में पुलिस विभाग व सरकार को कितना समय लगे इसका किसी के पास स्पष्ट जवाब नहीं है। मन्ना हत्याकांड में पुलिस द्वारा जांच के नाम पर युवकों को उठाकर उन्हें थर्ड डिग्री देने की जो घटना सामने आई है उससे पुलिस की छवि को चार चांद नहीं लगे हैं बल्कि जनता का विश्वास उससे उठा है। इस मामले में अगर हाई कोर्ट से वारंट अधिकारी न आते तो शायद पुलिस इस केस को सुलझा चुकी होती। हालांकि पुलिस द्वारा किसी भी केस खासकर कत्ल केस को सुलझाने गहनता से जांच की जाती है, परन्तु इस केस में पुलिस द्वारा जो किया गया उसे किसी भी सूरत में तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता। जिसकी पूरे शहर में कड़ी निंदा की जा रही है। शहर निवासियों का कहना है उन्हें मृतक के परिवार के साथ पूरी सांत्वना है। पुलिस द्वारा एक पुलिस कर्मी के बेटे की हत्या के मामले को सुलझाने में जितनी तेजी दिखाई जा रही है, उतनी तेजी अगर एक आम आदमी के मामले में भी दिखाए तो जनता का कानून के प्रति विश्वास सुदृढ़ होगा। अब ऊपर से पुलिस कर्मी द्वारा जनप्रतिनिधि को धमकियां देने की सामने आई बात ने लोगों के दिलों में पुलिस के प्रति गुस्से को और भडक़ा दिया है। जिसे पुलिस अधिकारियों को गंभीरता से लेते हुए ऐसे पुलिस कर्मियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से मुक्त करदेना चाहिए ताकि वे जनता के बीच गलत संदेश न दे सकें।
इतना ही नहीं पिछले दिनों ऑल पार्टी डैलीगेट के साथ पुलिस के एक आला अधिकारी द्वारा किए गए व्यवहार को भी तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता। जिला होशियारपुर में पुलिस की सारी कार्यप्रणाली पर नकार दौड़ाई जाए तो इसे जन हितैषी नहीं कहा जा सकता, भले ही पुलिस को कई दवाबों के तहत काम करने को मजबूर होना पड़ता है। दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर धमकियां भिजवाने वाला पुलिस कर्मी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो वे उसके खिलाफ पुलिस के उच्चाधिकारियों को लिखित शिकायत करेंगे और और रोष प्रदर्शन करेंगे।

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