बिजली कर्मियों से धोखा

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Exclusive Story. . .By Sandeep Dogra
-पंजाब सरकार के पैट्रन पर दिनांक 1 दिसंबर 2011 की बजाए 1 अप्रैल 2015 से पे-बैंड में बढ़ोतरी की कर दी सिफारिश-होशियारपुर (पंजाब)। पावर कारपोरेशन और सरकार द्वारा अपने ही कर्मचारियों को एक ऐसा झटका दिया गया है कि कर्मचारियों को समझ में नहीं आ रहा कि आखिर सरकारें उनके पीछे क्यों पड़ी हैं। कर्मियों का कहना है कि जब भी बिजली कर्मियों के पे-बैंड एवं ग्रेड-पे बढ़ाने की बात आती है तो इसे किसी न किसी ढंग से या तो लागू होने से रोका जाता रहा है और या फिर किसी चलाकी के तहत इसे देरी से लागू करने के प्रयास किए जाते हैं। कर्मियों का कहना है कि परन्तु अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।

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प्रत्येक 10 वर्ष के बाद सरकारी कर्मचारियों का वेतनमान संशोधित किया जाता है। पंजाब सरकार की नोटीफिकेशन 5/10/2009-5एफ.पी.आई./207 दिनांक 27 मई से दिनांक 1 जनवरी 2006 से कर्मचारियों को नया वेतन दिया गया था, जिसे ‘डिफरैंशीयल मेंटेन’ रखते हुए पावरकॉम द्वारा 15/2009 सर्कुलर जारी करते हुए 1 जुवरी 2006 से लागू किया गया था। 15 दिसंबर 2011 को एक अन्य नोटीफिकेशन द्वारा पंजाब सरकार द्वारा अपने अधिकारियों को पे-बैंड और ग्रेड-पे में 1 दिसंबर 2011 से वृद्धि कर दी गई। दिनांक 14 अप्रैल 2010 को बिजली बोर्ड को कारपोरेशन में बदलते हुए ट्राईपार्च समझौते के अनुसार यूनियनों ने बिजली कर्मचारियों के भी पे-बैंड और ग्रेड-पे में बढ़ोतरी की मांग की। यहीं से ही उनके साथ धोखा प्रारंभ हुआ। हाई लैवल कमेटी का गठन कर दिया गया। जिसमें सचिव पंजाब सरकार बिजली, सचिव पंजाब (वित्त खर्च) एवं चेयरमैन पावरकॉम मैंबर बनाए गए। इस कमेटी ने ग्रेड-पे में वृद्धि की तो सिफारिश कर दी, परन्तु पे-बैंड में वृद्धि को लटका दिया गया।

9 मार्च 2016 को ज्वाइंट फोर्म की चेयरमैन के.डी. चौधरी के साथ हुई बैठक का हवाला देते हुए यूनियन नेताओं ने मान लिया है कि उनके कर्मचारियों को 1 दिसंबर 2011 की बजाए 1 अप्रैल 2015 से पे-बैंड में वृद्धि कर दी जाए संबंधी पावरकॉम के प्रमुख सचिव (पावर) चंडीगढ़ को दिनांक 11 मई 2016 को पत्र लिख दिया गया। इस संबंधी इम्पलाइज ज्वाइंट फोर्म के सचिव व इम्पलाइज फैडरेशन (भारद्वाज) के प्रधान कर्मचंद भारद्वाज से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह सरासर झूठ है। इम्पलाइज ज्वाइंट फोर्म के बैनर के नीचे ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ, जिसमें कर्मचारियों को 1 अप्रैल 2015 से पे-बैंड में वृद्धि की बात की गई हो। ज्वाइंट फोर्म के पत्र 106/109 दिनांक 12 अप्रैल 2016 और 137/38 दिनांक 30 मई 2016 द्वारा निगम मैनेजमैंट को लिखा गया कि 9 मार्च 2016 को तो मैनेजमैंट से किसी एजेंडे पर बात ही नहीं हुई। सिर्फ इतना कहा गया था कि आज सिर्फ 15 जनवरी 2016 को हुई बैठक में लिए फैसलों की प्रगति बारे ही बात की जाएगी। तो अब प्रश्न यह उठता है कि यदि 9 मार्च 2016 को किसी एजेंडे पर बात ही नहीं हुई तो किस आधार पर 9 मार्च 2016 की बैठक का हवाला देते हुए कर्मचारियों को 1 दिसंबर 2011 की बजाए 1 अप्रैल 2015 से पे-बैंड देने संबंधी सिफारिश कर दी गई।
होशियारपुर सर्कल के इम्पलाइज फैडरेशन (भारद्वाज) की चीफ अर्गेनाइजर राकेश शर्मा ने कर्मचारियों से अपील की कि अब समय आ गया है कि जब ऐसी काली भेड़ों को पहचानना होगा जो अपने निजी स्वार्थों की खातिर कर्मचारियों के हितों से खिलवाड़ करने से भी पीछे नहीं हट रहे।

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