फसल प्रबंधन के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरी के प्रचार पर दो साल में 665 करोड़ रुपये किए जाएंगे खर्च: विश्वजीत खन्ना

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पराली जलाने को रोकने की समस्या से निजात पाने के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए सरकार की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी बड़ी सब्सिडी पर मुहैैया करवाई जाएगी। यह जानकारी देते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) विश्वजीत खन्ना ने बताया कि फसल अवशेष के इन-सिटू प्रबंधन के लिए कृषि मशीनकरण को बढ़ावा देने के लिए इस नई योजना के अंतर्गत दो वर्षों में अलग-अलग हिस्से में 665 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस योजना के अंतर्गत कृषि मशीनरी सहकारी सोसायटियों और अन्य समूहों को 80 प्रतिशत सब्सिडी पर मुहैया करवाई जाएगी जबकि किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर मशीनरी मुहैया होगी।

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श्री खन्ना ने कहा कि किसानों को पराली न फूंकने के लिए प्रेरित करने के लिए पिछले कई सालों से अलग-अलग प्रयास किए जा रहे हैं परंतु बड़े स्तर पर पराली के निपटारे के लिए कोई उचित तकनीक उपलब्ध नहीं थी और धान की कटाई व गेहूं और सब्जियों जैसी फसलों की बिजाई में कम समय होने के कारण किसान आम तौर पर पराली जलाने को तरजीह देते थे। इस लिए मकैनिकल तरीकों पर काम किया गया व इस बारे में जल्द ही बड़े स्तर पर मुहिम चलाई जाएगी। इस मुहिम में मशीनीकरण के बुरे प्रभावों संबंधी शंकाओं को दूर किए जाने व किसानों को पराली प्रबंधन मशीनरी के उपयोग के लिए प्रशिक्षित करने पर ध्यान दिया जाएगा।

– पराली प्रबंधन मशीनी को उत्साहित करने के लिए बड़े स्तर पर चलाई जाएगी जागरुकता मुहिम

श्री खन्ना ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म, व्हाट्स एप, डाक्यूमेंट्री, रेडियो जिंगलस व प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से प्रगतिशील किसानों को साथ जोडऩे के लिए कृषि विभाग ने कई गतिविधियां चलाई जाएंगी, जिनमें खेतों का दौरा, प्रर्दशनियां, प्रशिक्षण, साहित्य वितरण व और प्रयास किए जाएंगे।
श्री खन्ना ने वालंटियरों, प्रसिद्ध किसानों, जन प्रतिनिधियों व मशीनरियों को साथ जोडऩे का सुझाव दिया व कहा कि पराली प्रबंधन मशीनी पर सब्सिडी हासिल करने वाले किसानों के लिए यह लाजमी बनाया जाए कि वह फसल अवशेष को नहीं जलाएंगे, नहीं तो उनको सब्सिडी राशि सरकार को वापिस करनी होगी। उन्होंने कहा कि पराली जलाने की समस्या से निपटने के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए विभाग की तरफ से की गतिविधि के बारे में बताया और कहा कि इसके अंतर्गत 38 गांवों को अपनाया गया है।
इस मौके पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के वाइस चांसलर श्री बलदेव सिंह ढिल्लों ने कहा कि फसलों के अवशेष जलाने से बहुत बड़े स्तर पर प्रदूषण की समस्या खड़ी होती है, जिससे हवा व मिट्टी की सेहत खराब होती है। इस लिए कृषि विश्वविद्यालय फसल अवशेष मैनेजमेंट व किसानों को जागरुक करने की दिशा में लगातार काम कर रही है। इसके अंतर्गत हजारों किसानों को उन खेतों का दौरा करवाया गया जहां हैप्पी सीडर व मल्चर्स के माध्यम से सफलता पूर्वक पराली का प्रबंधन किया गया।
इस मौके पर कृषि विभाग के सचिव श्री काहन सिंह पन्नू, सूचना एवं लोक संपर्क विभाग की निदेशक श्रीमति अनंदिता मित्रा, कृषि विभाग व किसान भलाई कार्पोरेशन के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा बागवानी, भूमि संभाल, पशु पालन, ग्रामीण विकास व पंचायत, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना के वैज्ञानिक, कृषि खोज के बारे में भारतीय कौंसिल के जोनल सेंटर लुधियाना के अधिकारी व प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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