तीन दिवसीय श्री हरि कथा संपन्न, शिव मंदिर फतेहगढ़ में 16 से होगी शुरू

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा शिव मंदिर फ तेगढ़ होशियारपुर में तीन दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया गया। कथा का आयोजन 16 से 18 जुलाई तक सायं 4.30 से 7.30 बजे तक शिव मंदिर फतेहगढ़़ होशियारपुर में होने जा रहा है। दिव्य ज्योति जाग्रति सस्ंथान की ओर से शिव मंदिर, बजवाड़ा में चल रही तीन दिवसीय श्री हरि कथा के अंतिम दिवस में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी श्वेता भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण के अन्नय भक्त सुदामा जी की जीवन गाथा का वर्णन किया। साध्वी जी ने कहा कि इस कथा का एक प्रतीकात्मक संदेश है। सुदामा का अर्थ है जो अच्छी तरह से बंधा हुआ है। हर वह जीव जो बंधनों में जकड़ा है, वह सुदामा है। कथा अनुसार सुदामा श्रीकृष्ण का मित्र है। यह जीव भी ईश्वर का मित्र है, ईश्वर का अंश है ईश्वर अंस जीव अविनासी । ये दो पक्षी एक ही वृक्ष के आश्रय में रहते हैं। एक वृक्ष के फलों को खाता है और दूसरा अनासक्त भाव से दृष्टा बन कर रहता है।

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जीव की यह भूल है कि वह संसारिक पदार्थों के प्रति इतना अनासक्त हो जाता है कि वह प्रमात्मा को बिल्कुल ही भूल बैठता है। मात्र अपने स्वार्थ तक ही सीमित रहता है। लेकिन जब कभी एक जीव के पुण्य कर्म जाग्रत होते हैं तो एक पुर्ण संत का जीवन में पदार्पण होता है। तुलसीदास जी कहते हैं। पुण्य पुंज बिनु मिलहिं न संता और संत वह मार्ग है,जो इष्ट तक पहुंचा सकते हैं। जीव संसारिक मोह से निकल कर उस वास्तविक प्रेम को जान सकता है, जो सनातन है पुरातन है। लेकिन इस प्रेम को जानने से पूर्व हमें इसके वास्तविक स्त्रोत को जानना होगा। जिसके बारे में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं। जाने बिन न होई प्रतीति। तत्वज्ञानी संत ईश्वर के साथ प्रेम करने के सूत्र बताते हुए कहते है कि ईश्वर को जानने अर्थात देखने के पश्चात ही ईश्वर के साथ शाश्वत प्रेम हो सकता है।

साध्वी जी ने कहा कि सुदामा के जीवन की गाथा एक आध्यात्मिक संदेश देती है कि मानव अपने जीवन में ऐसे सदगुरू की शरण में जाए जो उसके घट में धर्म के चार पदार्थ प्रकट कर दे जिसे ब्रहमज्ञान कहते है।
इस अवसर पर विशेष रूप में जीतो रानी पंच, राजरानी, मीना, मास्टर गुरदीप,पंडित उमेश,जगदीश लाल, फकीर चंद, कुलदीप,कमलजीत, आदि और श्रद्धालुगण मौजूद थे। कार्यक्रम का समापन प्रभु की पावन आरती के साथ किया गया।

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