भगवान की शरण पाकर खुलते है मोक्ष के द्वार: साध्वी सुमेधा भारती

हमीरपुर/दौलतपुर चौक(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाओं को बहुत सुगमता से जन मानस तक इन्हें पहुंचाने के लिए रामलीला ग्राऊंड दौलतपुर में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की और से पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा हैं। कथा के द्वितीय दिवस की शुरूआत अवतार और जगविंदर सिंह जसवाल ने परिवार सहित पूजन करके की। कथा में परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री सुमेधा भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण की महिमा का वर्णन किया। भगवान श्री कृष्ण निराकार ब्रह्म है,जो अर्धम, पाप व अत्याचार मिटाने के लिए अवतारित होते हैं। अवनारवाद की व्याख्या करते हुए कहा कि जब-जब इस धर्म की ग्लानि होती है तथा अर्धम का अभयुत्थान होता है तब-तब भगवान अपने को इस विश्व में अवतरित करते है। अजन्मा जन्म को स्वीकार कर लेता है। निराकार परमात्मा साकार हो जाता है। समय-समय पर अनेकानेक अवतारों ने भारत की भूमि पर जन्म लिया है। भारत जिसे विश्व का हदय भी कहा गया है क्योंकि ईश्वर सर्वभूत प्राणियों का धाम है। ईश्वर सर्व प्राणियों के हदय में निवास करता है। इसलिए भगवान भारत रूपी हृदय में अवतार धारण करते हैं। द्वापर युग में प्रभु ने इस धराधाम को अपने चरणकमलों से पावन किया। जैसे सूर्योदय होते ही अंधकार दूर हो जाता है।

Advertisements

अर्थात जो प्रभु का साक्षात्कार कर लेते है उनके लिए कारागर के द्वार तो क्या मोक्ष के द्वार खुले जाते है और उनके सभी बंधन टूट जाते हैं। यदि मानव भगवान श्री कृष्ण के चरित्र से प्राप्त शिक्षा व संदेश को जीवन मे धारण करले तो नि:संदेह एक आदर्श मानव का निर्माण होगा। जब एक आदर्श मानव का निर्माण होगा तब एक आदर्श परिवार का गठन होगा। यदि एक आदर्श परिवार का गठन होगा तो एक आदर्श समाज ,आदर्श राष्ट्र अंततागत्वा एक आदर्श विश्व स्थापित होगा। परन्तु विडंबना का विषय है कि आज कितनी ही प्रभु की गाथांए गाई जा रही है पर समाज की दशा इतनी दयनीय है। मात्र केवल प्रभु की कथा को कह देना या सुन लेना ही पर्याप्त नहीं है। प्रभु श्री कृष्ण के चरित्र से शिक्षा ग्रहण कर उसका जीवन में अनुसरण करना होगा कथा प्रवचनों मे नारी की महिमा पर विचार देते हुए उन्होंनें कहा कि भारतीय नारी ऐतिहासिक एवं पौराणिक दृष्टि से अपना एक विशिष्ट स्थान बनाए हुए है। वैदिक काल में भारतीय नारी का स्थान बहुत ऊंचा रहा है। विघा का आदर्श सरस्वती में धन का आदर्श लक्ष्मी में, पराक्रम का दुर्गा में, पवित्रता का गंगा में पाया जाता था।

उन्होंने कहा कि नारी को अबला समझकर उससे जीने का अधिकार भी छीना जा रहा है। परन्तु नारी अबला नहीं सबला है। आज के परिवेश में कन्याओं को जन्म लेने से पहले ही मार रहे हैं। आज दुर्गा के भारत की हालत देखिए जहां नारी देवी की भांति पूजित थी आज जन्म लेने से पहले ही मार दी जाती है। कथा में ज्योति प्रज्वलित करने के लिए विशेष रूप से कैप्टन डडवाल एवं पत्नी, भाटिया जी, पूजा जी, निर्मला,नीतू शर्मा,रजनीश शर्मा,रणवीर पटियाल,राजन चौधरी, प्रिंसीपल भारद्वाज, रजनीश,राजेश शर्मां एवं पत्नी, सुभाष परमार एवं पत्नी,मास्टर वेद प्रकाश आदि शहर के गणमान्य सज्जन भी उपस्थित थे। साध्वी बहनों ने सुमधुर भजनों के गायन किया और सारा पंडाल नंद महोत्सव के कारण गोकुल गांव की भांति लग रहा था। जब नन्हे से कृष्ण कन्हैया क ो पालने में डाला गया तो सभी श्रद्धा से नतमस्तक हो उठे एवं सारा पंडाल ब्रजवासियों की भांति नाच उठा। उपस्थित भगवद् प्रेमियों को आनन्द विभोर किया। कथा का समापन विध्वित प्रभु की पावन आरती से किया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here