गंगा मां की निर्मलता व पवित्रता के लिए कब तक कुबार्निया: डा. अजय बग्गा

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। सामाजिक जागरुकता के लिए कार्यरत संस्था सवेरा द्वारा स्वामी निगमा नंद व स्वामी ज्ञान स्वरुप सानद की याद में श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन राम भवन बहादुरपुर होशियारपुर में किया गया। श्रद्धांजलि समारोह में डा. अजय बग्गा, डा. अवनीश ओहरी, हरीश सैनी, डा. सरदूल सिंह, सुनील परिए, एस.पी. दीवान ने स्वामी निगमा नंद और स्वामी ज्ञान स्वरुप सानद की निर्मल व अवरिल गंगा के लिए शहादत का जिक्र करते उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। सवेरा के कनवीनर डा. अजय बग्गा ने कहा कि गंगा मां की पवित्रता बहुत महत्वपूर्ण है। सरकारे गंगा की निर्मलता व पवित्रता के लिए और कितना बलिदान चाहती है? उन्होंने कहा कि स्वामी निगमा नंद जी ने 13 जून 2011 को गंगा की खुदाई के विरोध में अपने जीवन का बलिदान दिया था। उनके बलिदान के बाद गंगा की खुदाई पर काफी हद तक रोक लगी।

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स्वामी ज्ञान स्वरुप सानद ने गंगा की पवित्रता के लिए 112 दिन भूख हड़ताल की और अपना बलिदान भी दिया। डा. बग्गा ने कहा कि स्वामी ज्ञान स्वरुप शानद का पहला नाम डा. गुरु दास अग्रवाल था और वह कैलोफोर्निया से ट्रेंड पर्यावरण इंजीनियर थे। श्रद्धांजलि समागम में डा. बग्गा ने बताया कि माननीय उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 11 जुलाई को निर्देश जारी किए थे कि स्वामी ज्ञान स्वरुप सानद की जिंदगी को बचाने के लिए जरुरी प्रयास करते गंगा के पानी का बहाव उचित मात्रा में रखा जाए। पर अफसोस की बात है कि उत्तराखंड और केंद्र की सरकारों ने जरुरी प्रयास नहीं किए और 11 अक्तूबर को स्वामी ज्ञान स्वरुप सानद ने अपने प्रण त्याग दिए।
स्वामी ज्ञान स्वरुप सानद द्वारा मरणोपरांत अपना शरीर आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मैडिकल साईंस रिशीकेश को दान करने के फैसले की प्रशंसा करते डा. अजय बग्गा ने कहा कि स्वामी सानद जी ने 22 अगस्त को भूख हड़ताल दौरान इच्छा जाहिर की थी कि मरणोपरांत उनका शरीर मैडिकल कालेज को दान कर दिया जाए ताकि मैडिकल विद्यार्थी मनुष्य शरीर बारे जानकारी हासिल करने के लिए उनके मृतक शरीर का प्रयोग कर सके। डा. बग्गा ने सियासी दलों द्वारा गंगा सफाई मुहिम को वोटों के लिए प्रयोग करने की आलोचना करते कहा कि 1985 में राजीव गांधी जी ने गंगा की सफाई के लिए गैप नाम की योजना शुरू की थी। भारतीय जनता पार्टी ने नमामी गंगे प्रयोजने शुरु की थी। पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी गंगा मां के प्रदूषण में जरुरी कमी नहीं आई है।

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