ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रों में सुधार के लिए निजीकरण रामबाण नहीं: डा. अजय बग्गा

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। पंजाब सरकार की तरफ से ग्रामीण इलाकों में कन्युनिटी तथा प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्रों को स्वयं सेवी संगठनों तथा प्राइवेट संस्थाओं के साथ पब्लिक प्राइवेट सांझेदारी के तहत चलाने के लिए इश्तिहार के माध्यम से मांगे गए प्रस्ताव तथा मुलाजिम जत्थेबंदियों और राजनीतिक पार्टियों द्वारा कड़े विरोध के चलते, सरकार द्वारा कहा गया है कि सिर्फ 1-2 स्वास्थ्य केन्द्र ही पब्लिक प्राइवेट सांझेदारी में बतौर पब्लिक प्रोजैक्ट चलाए जाने का प्रस्ताव है।

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पंजाब सहित पूरे देश में ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों की दयनीय स्थिति बारे डा. अजय बग्गा सामाजिक कार्यकर्ता तथा पूर्व सिवल सर्जन ने जारी एक बयान में कहा कि एलमा-आटा में 1978 में हुई विश्व स्वासर््ंथ्य संगठन की कांफ्रैंस दौरान वर्ष 2000 तक सभी के लिए सेहत का नारा बुलंद किया गया था। सभी ने स्वास्थ्य देने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि इसके लिए मूलभूत स्वास्थ्य सहूलतों को मजबूत किया जाना जरुरी है। इस कांफ्रैंस में भारत ने भी हस्ताक्षर किए थे। परन्तु दुख की बात है कि हमारे देश में मूलभूत स्वास्थ्य सहूलियतों में सुधार होने की बजाए दिन प्रतिदिन गिरावट आ रही है।डा. बग्गा ने कहा कि कम्युनिटी एवं प्राइमरी हैल्थ सेंटरों की दयनीय स्थिति के लिए कम बजट, मुलाजिमों की कमी, राजनीतिक दखल, कामकाज के प्रति घटती जवाबदेही, प्राइवेट सेक्टर में ज्यादा वेतन व भत्ते मिलता। जिसके कारण माहिर डाक्टर जैसे कि महिला रोग विशेषज्ञ, बच्चों के माहिर, एनेस्थिसिया माहिर एवं अल्ट्रा साउंड क्षेत्र से संबंधित डाक्टर सरकारी क्षेत्र को नहीं चुनते।

डा. बग्गा ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्वास्थ्य सहूलतों में सुधार के लिए सरकार को पब्लिक हैल्थ एक्सपर्ट, एन.जी.ओ., मुलाजिम संगठनों तथा राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के साथ मिल बैठकर गंभीरता से सोच विचार कके ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिसे ग्रामीण स्वास्थ्य सहूलतों में सुधार लाया जा सके ताकि गरीब आदमी आम बीमारियों का ईलाज गांव में ही करवा सके। इसके साथ प्रदेश स्तरीय, जिला स्तरीय तथा तहसील स्तरीय अस्पतालों में कार्य का भार कम होगा।

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