मात्र पवित्र नदियों में स्नान करने से मन नहीं होता पावन: बी.के. उषा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। इस पतित दुनिया का विनाश निश्चित है। उक्त बात प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय जगतपुरा में आयोजित एक धार्मिक सभा को संबोधित करते हुए मुख्य संचालिका उषा दीदी ने कही। उन्होंने कहा कि जो परमात्मा को पहचानते हैं, वही पावन दुनिया में आकर राज्य करते हैं। पवित्र बनने के लिए ब्राह्मण भी जरुरी बनना है। यह संगम युग है अर्थात उत्तम पुरुष बनने का योग।

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उन्होंने कहा कि लोग समझते हैं कि नदियों में स्नान करने से सब पावन हो जाता है। पर अगर नदियों में स्नान करने से ही सब लोग पवित्र हो जाते तो दुनिया में कोई भी पतित ना होता। सारी सृष्टि पावन होती। जो पुरानी रस्में चली आ रही है उनके महत्व को समझना होगा। आत्मा को पावन बनाना होगा। आत्मा को पावन बनाओ, आत्मा के पावन होते ही आप पवित्र हो जाओगे। अगर हम भीतर से पवित्र नहीं है तो किसी भी तरह की पूजा का कोई लाभ नहीं है। भगवान हमें सृष्टि से आदि मध्य अंत का ज्ञान देकर फिर सृष्टि का चक्रवर्ती राजा-रानी बनाते हैं।

इस चक्कर के राज को कोई बुद्धिमानी समझ सकता है। हम दुनिया में अपना-अपना पात्र निभाते रहते हैं। लेकिन स्वयं को पवित्र बनाना भूल जाते हैं। अंत काल के समय हमें यह सब बातें याद आती हैं परंतु तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। हम जन्म जन्मांतर के चक्कर में फंस जाते हैं। भगवान कहते हैं कि वह सभी आत्माओं के पिता है परंतु वह अपनी संतान से आशा करते हैं कि विकारों से दूर रहकर पवित्र बनने का प्रयास करे।

आज लोग सुख भोगने को ही पहल देते हैं और इसके लिए वह गलत काम करने से भी परहेज नहीं करते। पहले लोग एक की पूजा करते थे। फिर देवताओं की पूजा करने लगे। आज 5 भूतों के बने हुए शरीर की पूजा करते हैं। चैतन्य के साथ-साथ जड़ की भी पूजा करते हैं। पांच तत्वों से बने हुए शरीर को देवताओं से भी ऊंचा समझते हैं।

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