होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: पुष्पिंदर। दिव्य ज्योति जाग्रति सस्ंथान द्वारा बाबा तारा गरु मंदिर, बस्सी वाजिद में तीन दिवसीय श्री हरि कथा का आयोजन किया गया। जिसके दूसरे दिवस में दिव्य ज्योति जाग्रति सस्ंथान से श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या कथा व्यास साध्वी सुश्री पूजा भारती जी ने भक्त विदुर जो भगवान श्री कृष्ण जी के अन्नय भक्त थे, उनकी जीवन गाथा का वर्णन किया।
साध्वी जी ने कहा जन्म से ही परमात्मा ने इंसान को पे्रम की दौलत देकर भेजा है। जीवन के मरुस्थल में जब पे्रम की बरसात होती है तो इंसान के उजड़े चमन में बसंत-बहार आ जाती है। मनुष्य के अतिरिक्त पशु पक्षी भी प्रेम करते है। जिनमें कुछ एक का पे्रम तो जगत प्रसिद्ध है। जैसे मछली का पानी के साथ, चकोर का चंद्रमा से, चात्रिक पक्षी का स्वाती नक्षत्र की बूंद से परंतु यह सब प्रेम एक तरफा प्रेम है और इसका अधार मोह है बंधन है। जबकी प्रेम शुद्ध और पुनीत होता है, बंधनमुक्त होता है।
प्रेम केवल भक्त और भगवान के बीच ही होता है। पे्रम का महादान पाने के लिए भगवान निराकार से साकार हो जाते है। धन्ना जाट, मीरां बाई, नामदेव, गोपियां ये ऐसे भगवान श्री कृष्ण के अन्नय भक्त हुए हैं। जिसके प्रेम वश प्रभु इनके समक्ष समय-समय पर प्रकट हो जाते थे। इन सब भक्तों का नाम स्मरण करने पर हमारे अन्त: करण से भी यह भाव प्रस्फुटित होते है कि हमारे भीतर इन भक्तो की तरह कैसे प्रेम प्रकट होगा।
तत्वज्ञानी संत ईश्वर के साथ प्रेम करने के सूत्र बताते हुए कहते है कि ईश्वर को जानने अर्थात देखने के पश्चात ही ईश्वर के साथ शाश्वत प्रेम हो सकता है। अन्य साध्वी बहनों ने सुमधुर भजनों का गायन किया जिससे सारा पंडाल खुशी से झूम उठा।
दूसरे दिवस कथा का समापन प्रभु की पावन आरती हुआ। आरती में विशेष रुप में साध्वी रुकमणि भारती जी, साध्वी शिप्रा भारती जी, बस्सी वाजिद सरपंच बीना शहरी, बलविंदर शहरी पूर्व सरपंच, विनोद ठाकुर प्रधान राजपूत करनी सेना, मनू पंच बस्सी वाजिद, प्रदीप कुमार, मुकेश कुमार, पंडित देवानंद और श्रद्धालुगण उपस्थित थे।