धर्म से होती है प्रजा की रक्षा: साध्वी कृष्णप्रीता

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: जतिंदर प्रिंस। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से गौतम नगर आश्रम में धार्मिक कार्यक्रम करवाया गया। श्री गुरु आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या साध्वी कृष्णप्रीता भारती जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि शास्त्रों में कहा गया है कि ‘‘धर्मो धारयति प्रजा’’ धर्म से ही प्रजा की रक्षा होती है लेकिन आज हम अक्सर यह सुनते हैं कि धर्म खतरे में है, तो आश्चर्य होता है आज मानव के दृष्टिकोण में धर्म केवल एक शब्द मात्र ही रह गया है।

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मनुष्य धर्म के वास्तविक रहस्य को विस्मृत कर चुका है और यहाँ तक धर्म के प्रति मानव की मान्यताएं हैं, उन मान्यताओं का आधार भी कहीं नजर नहीं आता। सांप्रदायिक रीति रिवाजों, तत्कालीन प्रचलनों, कथा आदि किवदंतियों को ही धर्म का परिवत्नशील रूप मानकर अक्सर मनुष्य उन्ही को धर्म मान बैठता है। शास्त्रों के प्रमाण से यह स्पष्ट होता है कि धर्म में कभी परिवर्तन नहीं आता, परिवर्तन व्यवहार में आता है। आगे साध्वी जी ने कहा कि जगत एवं मनुष्य में सुख-शांति, प्रगति व उन्नति का एक मात्र आधार धर्म ही है। अर्थात! आहार, निद्रा, भय और मैथुन मनुष्यों और पशुओं के लिए एक ही समान स्वाभाविक है, यदि कुछ भेद है तो धर्म का।

जिस मनुष्य में धर्म नहीं वह पशु के समान ही है। आज मनुष्य वास्तविकता को न जानने के कारण बाहरी व्यवहार को ही धर्म माने बैठा है ,महापुरूष जब भी इस संसार में आए तो उनके जीवन के साथ दो पहलू जुडे रहे, एक उनका व्यवहार दूसरा उनका परमार्थ। महापुरूषों के व्यवहार में तो परिवर्तन उस समय एवं देशकाल के कारण होता है परन्तु सभी महापुरूषों का परमार्थ एक ही रहा, जैसा कि श्रीराम जी ने मर्यादा में रह कर धर्म की स्थापना की और श्री कृष्ण जी ने सभी मर्यादाएं तोडक़र धर्म स्थापित किया। लेकिन मानव के भाग्य की यह विड़म्बना रही कि उसने बाहरी कर्मो तथा व्हवहार को ही धर्म मान लिया और उन्ही कार्यों को दोहराने में लगे रहे।

अंत में उन्होंने कहा कि ‘‘धर्मस्य तत्चं निहितं गुहायां’’धर्म का तत्व अत्यंत गोपनीय है। धर्म के तत्व को पहचानने के लिए संतों महापुरूषों के द्वारा बताए गए मार्ग को जानना होगा। स्वामी विवेकानंद जी भी इसी बात को कहते हैं कि परमात्मा की प्रत्यक्ष अनुभूति ही धर्म है। ईश्वर दर्शन के बाद ही हमारी बुद्घि को विवेक मिलता है और मनुष्य आत्मा के साथ जुडक़र ही जीवन में फैसले लेते हैं, जो हमारे लिए और समाज के लिए उपयोगी होते हैं। इस अवसर पर संस्थान की और से लंगर भी लगाया गया। इस अवसर पर भारी मात्रा में श्रद्धालु मौजूद थे।

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