अगर भाजपा गांधीवादी है तो साध्वी प्रज्ञा जैसों को क्यों नहीं दिखाती बाहर का रास्ता?: प्रेम कौशल

हमीरपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता प्रेम कौशल ने भाजपा की गांधीवादी सोच पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर भाजपा राष्ट्रपिता की 150 वीं जयंती को जोरशोर से मनाने की घोषणाएँ करती है तो दूसरी ओर साध्वी प्रज्ञा जैसी भाजपा नेत्री महात्मा गांधी के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग कर रही है। प्रेम कौशल ने कहा कि अगर भाजपा सरकार इतनी ही गांधीवादी है तो साध्वी प्रज्ञा जैसे और कई हैं तो उन्हें बाहर का रास्ता क्यों नहीं दिखाती।

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उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वी जयंती के अवसर पर भाजपा द्वारा आयोजित किए जा रहे कार्यक्रम एक राजनीतिक नोटंकी से अधिक कुछ भी नहीं क्योंकि भाजपा, आर.एस.एस. तथा इनके सहयोगी संगठन एवं नेता महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के विषय में अभद्र टिप्पणियां करने के साथ-साथ गांधी के हत्यारे नत्थू राम गोडसे का महिमा मण्डल भी करते रहे हैं, एक तरफ भाजपा महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने का नाटक करने जा रही है दूसरी तरफ भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा गांधी के हत्यारे गोडसे का महिमा मण्डल करती हैं।

उन्होंने खुलासा किया कि इंदौर भाजपा आई टी सेल के प्रभारी विक्की मित्तल जिस पिस्तौल से गांधी की हत्या की गई थी उसकी नीलामी कर गोडसे की लोकप्रियता परखने की बात करते हैं, यदि भाजपा और आरएसएस सही मायने में गांधी वादी हो गए हैं तो सर्वप्रथम साध्वी प्रज्ञा जैसों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाए तथा सार्वजनिक रूप से गांधी की हत्या की निंदा करने के साथ ही गांधी के सर्वधर्म सम्मान एवं धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को आत्मसात करते हुए महात्मा गांधी के सहयोगी स्वतंत्रता सेनानियों पंडित नेहरू, अब्दुल गफ्फार खां, मौलाना आजाद सहित अन्य तमाम स्वतंत्रता सैनानियों को सम्मान देना सीखे।

उन्होंने कहा कि भाजपा नेहरू जैसे महान सेनानी, दार्शनिक एवं वर्तमान भारत की आधारशीला रखने वाले देश के प्रथम प्रधानमंत्री के बलिदान और योगदान को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करें क्योंकि देश के स्वतंत्रता संग्राम में इन महान नेताओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। महात्मा गांधी का अपने इन सहयोगियों पर अटूट विश्वास था समस्त विश्व ने गांधी के विचारों तथा विचारधारा को स्वीकार किया है भाजपा भी उनका अनुसरण करे परन्तु आप राजनीतिक रोटियाँ सेंकने के लिए गांधी, नेहरू, अब्दुल गफ्फार खां सरदार पटेल एवं मौलाना आजाद को अलग नहीं कर सकते क्योंकि यह सब गांधी के आजादी के संघर्ष की माला के अमूल्य मोती थे जिन पर देश को गर्व है।

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