तथाकथित शंकराचार्य के कार्यक्रम पर रोक की मांग को लेकर शहर की संस्थाएं हुई एकजुट

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: मुक्ता वालिया। शहर की अलग-अलग धार्मिक संस्थाओं की तरफ से जिलाधीश को एक मांगपत्र देकर खुद को शंकराचार्य बताने वाले एक संत के शहर में होने वाले कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की गई है। संस्थाओं का कहना है कि शहर में कुछ लोगों द्वारा एक कार्यक्रम करवाया जा रहा है, जिसमें खुद को शंकराचार्य बताने वाले एक संत को बुलाया जा रहा है, जोकि सनातन धर्म की मान्यताओं के विपरीत है, क्योंकि सनातन धर्म के अनुसार भगवान आदि शंकराचार्य जी ने 2526 वर्ष पूर्व इस धरती पर अवतार लिया और उन्होंने सनातन धर्म की पुन: स्थापना की तथा धार्मिक वितंडावाद को खत्म किया। लेकिन कुछ कथित लोग सनातन धर्मियों को भ्रमित करके खुद को सनातन धर्म के सबसे बड़े धर्म गुरु शंकराचार्य होने का प्रचार कर रहे हैं। संस्थाओं ने जिलाधीश को बताया कि भगवान आदि शंकराचार्य जी ने धर्म नियंत्रित, पक्षपात विहीन, शोषण विर्नमुक्त शासनतंत्र की स्थापना की। राजा सुधन्वा को चक्रवती सम्राट के रुप में स्थापित किया।

Advertisements

जिलाधीश को शिकायतपत्र देकर की कार्यक्रम पर रोक की मांग, पंजाब सरकार और पुलिस अधिकारियों को भी भेजी शिकायत की कापी

धर्म की रक्षा के लिए उन्हंने भारत के चार कोनों में चार आध्यात्मिक पीठों की स्थापना की। पूर्व में गोवर्धनमठ पुरीपीठ, पश्चिम में शारदा द्वारका पीठ, उत्तर में ज्योतिर पीठ, जोशी और दक्षिण में श्रृगेंरी पीठ। उन्होंने अपने चार शिष्यों को इन पीठों पर विराजमान किया और एक महामठानुशासन इन पीठों को चलाने के लिए बनाया। इन पीठों पर विराजमान किए गए महापुरुषों को उन्होंने अपना नाम श्रीमज्जगदगुरु शंकराचार्य दिया और निर्देश दिया कि इन पीठों पर समय-समय पर विराजमान होने वाले महापुरुषों में मेरा ही तेज होगा। लगभग 2500 वर्षों से इन पीठों के माध्यम से सनातन धर्माबिलंबियों का मार्गदर्शन हो रहा है और हम सनातन धर्म को मानने वाले इनको पूरे विश्व का सर्वोच्च धर्मगुरु मानते हैं।

इस मौके पर राम राज्य परिषद के प्रदेश अध्यक्ष गौरव गर्ग, जिला प्रधान राजिंदर मोदगिल, डा. बिन्दुसार शुक्ला, सीमा शर्मा, तिलक राज चौहान, निपुण शर्मा, अजय शर्मा, संदीप शर्मा, अमिताभ, निशांत शर्मा, प्रिंस, पंकज, कृष्ण, जादू, नंदू, दिव्यांशू, भाविप के सचिव एच.के. नकड़ा, मास्टर रत्न चंद, रविंदर शर्मा, गुरदास, डा. रघुनाथ सिंह, राजेश कालिया आदि ने कहा कि आजादी के बाद कुछ साधू वेशधारी राजनीतिक दलों के पिठ्ठू बनकर इस धार्मिक मर्यादा को तोडऩे के लिए शंकराचार्य रद का दुरुपयोग कर रहे हैं और सनातनियों की धार्मिक भावनाओं के साथ छल करते हुए ठेस पहुंचा रहे हैं। ऐसे लोग अराजिक तत्व हैं और दंड के अधिकारी हैं।

उक्त चारों पीठों के अलावा अन्य किसी भी पीठ व संत के पास यह पद लिखने का अधिकार नहीं है और न ही सनातनी इन्हें धार्मिक ²ष्टि से मान्यता देते हैं। होशियारपुर में पवित्र स्थल श्रीहरि बावा जी के तपस्थान श्रीहरिबावा मंदिर में नकली व तथाकथित शंक्राचार्य बनकर घूमने वाले इस संत वेशधारी ने 30 एवं 31 अक्तूबर को आने का कार्यक्रम बनाया है। इस कार्यक्रम के आयोजन की घोषणा मात्र से ही सनातनियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है तथा ऐसे में धर्मप्रेमियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस कार्यक्रम पर रोक लगाई जाए। शहर की समस्त संस्थाएं इस तथाकथित शंकराचार्य का विरोध करती हैं तथा मांग करती हैं इस कार्यक्रम पर रोक लगाई जाए ताकि शहर में शांति व्यवस्था बनी रहे। अन्यथा समस्त संस्थाओं को संघर्ष का रास्ता अपनाने को विवश होना पड़ेगा। उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और जिला प्रशासन से उक्त कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की। इस संबंधी संस्था सदस्यों ने डी.एस.पी. (सिटी) जगदीश राज अत्री से भी भेंट की और उन्हें इस संबंधी बताया। डी.एस.पी. ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे उच्चाधिकारियों के ध्यान में सारा मामला लाएंगे और बनती कार्यवाही को अलम में लाया जाएगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here