धान की पराली को बिना आग लगाए प्रगतिशील किसानों ने की 22 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल में गेंहू की सीधी बिजाई

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। जिले में प्रगतिशील किसानों की तरफ से 99 प्रतिशत धान के क्षेत्रफल में अलग-अलग आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करके पराली को आग लगाए बगैर गेंहू की बिजाई करके राज्य के बाकी किसानों को वातावरण और धरती की उपजाऊ शक्ति की संभाल का संदेश दिया गया है। जिलाधीश ईशा कालिया ने प्रगतीशील किसानों की तरफ से उठाये गए इस कदम की प्रशंसा करते बाकी किसानों को भी आगे आने की अपील की, जिससे जमीन और वातावरण की तंदरुस्ती बरकरार रखी जा सके। उन्होंने बताया कि जिले के प्रगतीशील किसानों की तरफ से धान की पराली को आग लगाए बिना हैपी सीडर के साथ 7 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेंहू की बिजाई की गई है और जीरो टिल ड्रिल के साथ 15 हजार हैक्टेयर गेंहूं की बिजाई की गई है।

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जिलाधीश ने वातावरण हितैषी प्रगतीशील किसानों की प्रशंसा की

ईशा कालिया ने बताया कि जिले में इस बार 1.43 लाख हैक्टेयर गेंहू की बिजाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि साल 2019-20 दौरान फसलों की अवशेषों को खेतों में ही संभालने के लिए 370 अलग-अलग प्रकार की मशीने सब्सिडी पर मुहैया करवाई गई थी। उन्होंने कहा कि जो किसान मलचर, पलटवें हल, सुपरसीडर, रोटावेटर, हैपी सीडर, जीरो टिल ड्रिल आदि आधुनिक खेती मशीनों /यंत्रों का प्रयोग करते हैं, वह कभी भी फसलों के अवशेषों को आग नहीं लगाते। उन्होंने कहा कि जिले के प्रगतीशील किसानों से सेंध लेते बाकी किसानों को भी धान की पराली /अवशेषों को आग नहीं लगानी चाहिए, बल्कि गेंहू की सीधी बिजाई करनी चाहिए। उन्होंने जहां किसानों को फसली चक्कर में से निकल कर बदलवीं खेती करने की अपील की, वहीं अपनी आर्थिक स्थिती मजबूत करने के लिए सहायक धंधे अपनाने के लिए भी कहा।

मुख्य कृषि अफसर डा. विनय कुमार ने बताया कि किसान पराली को पैडी स्टराय चोपर /मलचर के साथ खेतों में मिला देते हैं और पलटवें हल, रोटवेटर का प्रयोग करते हुए गेंहू और धान के फसली चक्कर के अलावा और फसलों की काश्त करते है। उन्होंने बताया कि सब से सस्ती और कारगर विधी हैपी सीडर द्वारा गेंहू की सीधी बिजाई करना है। इस के साथ जहां गेंहू का झाड़ करीब 2 से 3 क्विंटल अधिक निकलता है, वहीं पराली को खेत में ही मिलाने के साथ रसायनिक खादों का प्रयोग आधा रह जाता है। इसके इलावा नदीन नाशक दवाओं का खर्चा कम होता है और फसल तेज हवाओं दौरान गिरने से बची रहती है। प्रगतीशील किसानों का कहना है कि वह लगातार बाकी किसानों को भी जागरूक कर रहे हैं कि धान की पराली को जलाकर वातावरण दूषित न किया जाये, बल्कि वह सीधी बिजाई करके धरती की उपजाऊ शक्ति में विस्तार करें।

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