हिन्दू, सिख, जैन, पारसी एवं बौद्ध अल्पसंख्यकों को स्वाभिमान भरा जीवन देने के लिए भारत सरकार ने उठाया है साहसिक कदम: प्रशांत हरतालकर

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। नागरिकता संशोधन अधिनियम से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने एवं इसके प्रति समाज के अलग-अलग वर्गों को जागरुक करने के लिए विश्व हिन्दू परिषद की तरफ से एक गोष्ठी का आयोजन गौतम नगर स्थित कम्युनिटी हाल में की गई। विहिप के जिला अध्यक्ष हरभजन लाल की अगुवाई में आयोजित की गई गोष्ठी में विहिप के केन्द्रीय मंत्री प्रशांत हरतालकर ने विशेष तौर से पहुंचकर गोष्ठी को संबोधित किया और सी.एन.ए. के बारे में जानकारी दी। गौरतलब है कि श्री हरतालकर पिछले 10 सालों से इस एक्ट को बनाए जाने संबंधी कार्य कर रहे थे तथा पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बंगलादेश के अलावा अन्य कई देशों में भ्रमण करके वहां के अल्पसंख्यकों की स्थिति संबंधी जानकारी जुटा चुके हैं तथा इसे लागू करवाने में उनका विशेष योगदान माना जा रहा है ताकि उक्त देशों के अल्पसंख्य स्वाभिमान भरा जीवन व्यतीत कर सकें।

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कहा, किसी भी धर्म के खिलाफ या किसी की नागरिकता छीनने वाला एक्ट नहीं है बल्कि यह तो नागरिकता प्रदान करने वाला नियम है

इस अवसर पर उपस्थिति को संबोधित करते हुए प्रशांत हरतालकर ने बताया कि जब वह पाकिस्तान गए तो वहां पर उन्होंने अल्पसंख्यकों की समस्याओं को नजदीक से देखा और उसे समझने का उन्हें मौका मिला कि किस प्रकार वहां के बहुसंख्यक अल्पसंख्यकों की बहु बेटियों एवं महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों पर भी अत्याचार कर रहे हैं और वहां की सरकारें और न्यायालय भी उनकी सुनवाई नहीं कर रहीं। पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान में भी बहुत बुरे हालात हैं। किसी समय अपना देश समझकर वहां रुकने वालों हिन्दू, सिखों, जैन, ईसाई एवं बौद्ध आदि वर्ग तो आज समाप्ति की कगार पर है और इनमें कुछेक की गिनती तो उंगलियों पर की जा सकती है। उन्होंने बताया कि जब देश में डा. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने यह मुद्दा उनके समक्ष भी उठाया था और उस समय डा. मनमोहन सिंह ने भी इसे लागू किए जाने पर अपनी सहमति तो जताई थी, मगर इसे एक्ट का रुप देने में असमर्थता भी जाहिर कर दी थी। इसके पीछे के कारण सभी जानते हैं।

नरक से भी बदतर जिंदगी बसर कर रहे हैं पाकिस्तान, अफगानीस्तान एवं बंगलादेश के अल्पसंख्यक

प्रशांत हरतालकर ने कहा कि इस एक्ट में देश में रह रहे किसी भी धर्म विशेष के लोगों को यहां से निकालने एवं उनके विरोध में कोई बात नहीं है बल्कि इसमें तो सिर्फ उक्त तीन देशों के धार्मिक तौर पर प्रताडि़त लोगों को शरण देने की बात कही गई है और इसमें भी सिर्फ उन्हें नागरिकता देने संबंधी पहले 11 साल की शर्त को सिर्फ 5 साल किया गया है और यह कोई पहला संशोधन नहीं है बल्कि इससे पहले भी संशोधन किए जा चुके हैं। इंदिरा गांधी ने भी अपने कार्यकाल में इस एक्ट के तहत हजारों शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी थी। तो अब सवाल यह है कि अब जबकि सरकार ने इस विधि को और सरल बनाया है तो इसमें किसी को क्या समस्या हो रही है और हमारा यह फर्ज बनता है कि हम इस एक्ट का विरोध जता रहे लोगों के खिलाफ सडक़ों पर उतरें तथा हमारी एकजुटता देशविरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब है।

विश्व हिन्दु परिषद ने गोष्ठी का आयोजन कर शहर के बुद्धिजीवी वर्ग को अलग-अलग वर्गों एवं समुदायों को जागरुक करने का किया आह्वान

श्री हरतालकर ने कहा कि जो लोग हिंसा कर रहे हैं उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब देना चाहिए व हमारे सुरक्षा उन्हें समझा भी रहे हैं। लोग धीरे-धीरे इसे लेकर जागरुक हो रहे हैं और जहां भी दंगा फसाद फैलाने वाले निकल रहे हैं वहां पर लोग उनका विरोध जता रहे हैं तथा वहां शांति लौट रही है। उन्होंने उपस्थित बुद्धिजीवीयों से आग्रह किया कि देशहित में लिए गए इस फैसले का स्वागत करें व दूसरों को भी इसके प्रति जागरुक करें ताकि हमारे पड़ोसी देशों में रह रहे अल्पसंख्यक भी खुद की सुरक्षित महसूस कर सकें। उन्होंने कहा कि देश में कुछ ताकतें हमेशा ही धर्म और जाति के नाम पर सियासत करती रही हैं और अब जबकि उनके पास कोई मुद्दा नहीं है तो वे इस एक्ट को ढाल बनाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। जिसे देश की जनता कामयाब नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि हमारी चुप्पी ही दंगईयों के हौंसले बढ़ा रही है तथा अब समाज के हर वर्ग को देशहित में लिए गए फैसले के समर्थन में खुलकर सडक़ों पर उतरना चाहिए ताकि ऐसे लोग अपना सिर न उठा सकें। कार्यक्रम के प्रारंभ में राकेश सहारन, पार्षद मीनू सेठी व अमरदीप जौली द्वारा देशभक्ति से जुड़ी कविताएं पेश की गईं। इस मौके पर आर.एस.एस. के जिला संघचालक अशोक चोपड़ा, मनोज गुप्ता, अविनाश राय खन्ना, विजय सांपला, तीक्ष्ण सूद, शिव सूद, डा. रमन घई, डा. दिलबाग राय, डा. अनूप कुमार, कमल चौधरी, संजीव तलवाड़, महिंदरपाल मान, करण कपूर, जसवीर शीरा, संदीप रल्ह, भूपेश कुमार, ठाकुर लक्की सिंह, संदीप जोशी, दर्पण गुप्ता, संजू अरोड़ा, जगतार सिंह सैनी, राकेश सूद, सर्बजीत कौर, नीति तलवाड़ के अलावा बड़ी संख्या में अलग-अलग संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं शहर के बुद्धिजीवी वर्ग से जुड़े लोग मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने उपस्थिति की तरफ से एक्ट से जुड़े सवाल पूछे, जिनका श्री हरतालकर ने बहुत ही सरल एवं सटीक शब्दों में उत्तर दिया।

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