होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी का व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 06 जनवरी, बृहस्पतिवार को है। उक्त बातों का प्रगटावा करते हुए पंडित श्याम ज्योतिषाचार्य ने कहा कि धर्म ग्रंथों के अनुसार इस व्रत को करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इस व्रत की विधि इस प्रकार है भीष्म द्वादशी के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद संध्यावंदन करें और षोडशोपचार विधि से लक्ष्मी नारायण भगवान की पूजा करें। भगवान की पूजा में केले के पत्ते व फल, पंचामृत, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुंकुम, दूर्वा का उपयोग करें। पूजा के लिए दूध, शहद केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार कर प्रसाद बनाएं व इसका भोग भगवान को लगाएं।
इसके बाद भीष्म द्वादशी की कथा सुनें और भगवान का पूजन करें। देवी लक्ष्मी समेत अन्य देवों की स्तुति भी करें तथा पूजा समाप्त होने पर चरणामृत एवं प्रसाद का वितरण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं व दक्षिणा दें। इस दिन स्नान-दान करने से सुख-सौभाग्य,धन-संतान की प्राप्ति होती है। ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद ही स्वयं भोजन करें और सम्पूर्ण घर-परिवार सहित अपने कल्याण धर्म, अर्थ, मोक्ष की कामना करें।