होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। सामाजिक जागरूकता के लिए कार्यरत संस्था सवेरा ने जनता को करोना वायरस से चौकन्ना रहने की अपील करते हुए कहा कि तंदरूस्त व्यक्ति को सर्जिकल मास्क का उपयोग करने की जरूरत नहीं है। सवेरा ने लोगों को अपील की कि हाथ धोने के लिए सैनेटाइजर का उपयोग करने की जगह पर भीड़ वाले इलाकों में जाने से गुरेज करें तथा अपने हाथों को साबुन से बार-बार धोने की आदत को जीवन का हिस्सा बनाएं। आज 14 मार्च को जारी एक प्रैस बयान में सवेरा के कनवीनर डा. अजय बग्गा ने बताया कि कुछ लालची एवं बड़े लोग मास्क व सैनेटाइजर महंगे दामों पर बेच कर लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। जोकि किसी भी सूरत में तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने डिज़ास्टर मैनेजमैंट एक्ट लागू करने पर सरकार की सराहना करते हुए कहा कि इसके साथ मास्क आदि को अधिक कीमतों में नहीं बेचा जा सकेगा। डा. बग्गा ने कहा कि बुखार उतारने वाली दवाई तथा विटामिन-सी की मांग भी बाजार में बढ़ रही है। इसको भी कई जगहों पर अधिक कीमतों में बेचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि विटामिन-सी इस वायरस का इलाज नहीं है, पर विटामिन-सी मनुष्य में बीमारियों के विरूद्ध लडऩे की ताकत बढ़ाता है। आंवला, निंबू तथा संतरे में विटामिन-सी की मात्रा भरपूर होती है। इसलिए इन का सेवन किया जाना चाहिए।
मॉस्क और सेनेटाइजऱ को महंगे भाव बेचना किसी भी सूरत में नहीं है तर्कसंगत
डा. बग्गा ने कहा कि किसी भी तरह का महामारी फैलने पर व्यापारिक घराने हमेशा से ही पैसा कमाने की फिराक में रहते हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका के पूर्व डिफैंस सचिव “डोनालड रमसफैल्ड” ने दुनियां में वल्र्ड फ्लू फैलने के समय पर 5 मिलियन डालर के शेयर बायो टैक्नॉलॉजी घराने के बेच कर कमाए थे। क्योंकि, बहुत सारे देशों ने “टैमी फ्लू” नामक दवाई इस बायोटैक्नॉलॉजी हाऊस से खरीदी थी। डा. बग्गा ने कहा कि कोरोना वायरस का डर दिखाकर अपनी तिजोरियां भरने वाले बड़े व्यावसायिक घराने कर देश विरोधी कार्य कर रहे हैं।
डा. बग्गा ने बताया कि साल 2009 के दौरान भारतीय लोगों ने एकजुटता दिखाकर रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठा कर सवाइन फ्लू को रोकने में सफलता प्राप्त की थी। उन्होंने बताया कि भारत में वर्ष 2009 दौरान 33,761 मामले स्वाइन फ्लू के सामने आए थे। जबकि अमेरिका में 61 मिलियन लोगस्वाइन फ्लू की चपेट में आए थे। उन्होंने कहा कि भारतीय हर बीमारी का मुकाबला कर सकते हैं तथा वे इसमें समर्थ हैं।
डा. बग्गा ने कहा कि केन्द्रीय सरकार ने विदेशी सैलानियों के आने पर फौरी तौर पर पाबंदी लगाकर कोरोना विरूद्ध लड़ाई में राजनीतिक इच्छा शक्ति दिखाई है। कुछ राज्य सरकारों की तरफ से शिक्षा संस्थानों तथा सिनेमा घरों को बंद करवाने के फैसले प्रशंसा योग्य हैं। उन्होंने मांग की कि सत्ता रैलियों, सैमीनार तथा धार्मिक समागमों में लोगों की शमूलियत को कम किया जाए व लोग खुद भी इसके प्रति जागरुक हों।
डा. बग्गा ने बताया कि सरकार को चाहिए कि कोरोना वायरस के मद्दोनजऱ सरकारी स्वास्थ्य सहूलियतों को मजबूत करने के प्रयास करे ताकि बच्चे, महिलाएं तथा गरीब लोग भविष्य में हर तरह की महामारी का और मजबूती से सामना कर सकें।