अवैध माइनिंग: उदासीन सरकारी तंत्र, मजबूर ग्रामीण, खतरे में जान


-राजनीतिक पहुंच और गुंडागर्दी के प्रभाव से दबा दी जाती है अवैध माइनिंग के खिलाफ उठने वाली आवाज़: गांव निवासी – अपने घरों और खेत-खलियानों में डरे सहमें जीवन व्यतीत करने को मजबूर हो रहे इलाका निवासी-
Report: Sandeep Dogra (If you want to convey any information about illegal mining contact on – 95011-64452)-

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पिछली अकाली-भाजपा सरकार के समय में उसकी बदनामी का सबसे बड़ा कारण बनी थी ‘अवैध माइनिंग’ तथा मौजूदा कांग्रेस सरकार के लिए यह मुद्दा किसी चुनौती से कम नहीं होगा। आलम यह है कि जहां पंजाब के लगभग हर क्षेत्र में अवैध माइनिंग के गौरखधंधे से जुड़े लोग अपनी राजनीतिक पहुंच और गुंडागर्दी से अपने नापाक मनसूबों को अंजाम देते हुए धरती मां का सीना छन्नी कर रहे हैं वहीं उनके इन इरादों से जिला होशियारपुर भी अछूता नहीं है। अन्य क्षेत्रों की तरह ही होशियारपुर में भी अवैध माइनिंग मुख्य मुद्दा रहा है। सरेआम पर्यावरण और इंसानी जिंदगियों से हो रहे इस खिलवाड़ से होशियारपुर शहर के आसपास पडऩे वाले चो व खड्डों में जहां अवैध माइनिंग जोरों पर है वहीं तहसील मुकेरियां में सबसे अधिक माइनिंग होने से जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है, जिससे वहां के लोगों का जीवन नरक से भी बदतर बनता जा रहा है। एक तरफ जहां अपनी जरुरत के लिए अपने ही खेत से मिट्टी खोदना एक अपराध माना जाता है वहीं अवैध माइनिंग से जुड़े लोग रोजाना धरती मां की कोख को छन्नी करके लाखों टन मिट्टी, रेत और पत्थर निकालने में लगे हैं तथा इसकी रोकथाम के लिए बनाया गया विभाग खुली आंखों से सारा खेल देख अपने फर्ज की इतिश्री करने में लगा है। जिसका खामियाजा इलाका निवासियों को भुगतना पड़ रहा है।
होशियारपुर के आसपाल पडऩे वाले चो व खड्डों से दिन रात हो रही माइनिंग से गांव व शहर निवासियों को तो परेशानी है ही साथ ही मुकेरियां में धडल्ले से चल रही माइनिंग लोगों की जान की दुश्मन बनती जा रही है। मुकेरियां के दगन से बुड्डाबढ़ बाया भवनाली मार्ग (गांव कांजूपीर, मोरी चक्क, दगन, धामियां, कुलियां, संदवाल, बद्धणा, बरियाणा, जीउणोवाल, गोदां, बजीरां, छड़ोया, अर्थेयाल, बरिओआल, भवनाली, सरियाणा, पनखू व बड्डाबढ़ आदि) पर ऐसे कई क्रैशर हैं (रेत, मिट्टी व बजरा/बजरी आदि निकलने में लगी मशीनरी व लोग) जो नियमों को ताक पर रखकर माइनिंग में लगे हैं तथा विभाग जानते हुए भी न जाने क्यों कार्रवाई नहीं करता। सूत्रों की मानें तो अगर कभी-कभार कोई अधिकारी चैकिंग पर जाता भी है तो उसके आने की खबर पहले ही क्रैशर मालिकों को पहुंच जाती है और वे अपनी राजनीतिक आकाओं की शरण में पहुंच कर कार्रवाई से बच जाते हैं।

घर में कैद होकर रह गए हैं बच्चे

आबादी के पास गहरी खाई खोदे जाने से अभिभावक बच्चों को घरों से निकलने नहीं देते, क्योंकि अगर कोई बच्चा खाई में गिर गया तो उसे बचाना मुश्किल हो जाएगा। यहां तक कि सडक़ों पर दौड़ते ओवरलोड वाहनों और गहरी खाई व खड्डों के कारण बच्चे स्कूल भी मुश्किल से पहुंच पाते हैं। गहरी खाई बच्चों की जान की दुश्मन बनी हुई है और उनका बचपन घर की चार दीवारी में दम तोडऩे को मजबूर है तथा सरकार बच्चों को पूरा पोषण मिले इसके लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही है, और यहां बच्चे घरों में कैद होने को मजबूर हैं, जो सरकारी तंत्र की सुशासन व्यवस्था को मुंह चिढ़ाने के लिए काफी है।

 


दो गाडिय़ों का माल एक में लेकर निकलते हैं ट्राले

माइनिंग में लगी मशीनरी जहां धरती का सीना चीरने में लगी हैं वहीं मिट्टी व बजरी ढोने में लगी गाडिय़ां पूरी तरह से ओवरलोड होकर चलती हैं। कई ट्रालों की बॉडिय़ां बढ़ाई गई हैं ताकि उनमें अधिक माल भरा जा सके। इतना ही नहीं क्रैशरों के समीप बनाए गए धर्मकंडे भी बंद पड़े हैं तथा किसी भी लोड ट्राले का भार नहीं जोखा जाता। दो-दो गाडिय़ों का माल एक गाड़ी में भर कर ओवरलेडिड ट्राले जब माल लेकर निकलते हैं तो वे किसी चलती फिरती मौत से कम नहीं होते। सरेआम चल रहे इस गौरखधंधे और ट्राला चालकों को मनमर्जी से रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस भी शायद आंखें मूद कर उन्हें अनदेखा करके जाने देती है। इतना जरुर है कि कभी कभा दिखावे के लिए 2-4 गाडिय़ों के चालान जरुर काट दिए जाते हैं ताकि जनता में कार्रवाई का संदेश जाए, परन्तु उसका नतीजा जीरो ही है।


बुरी तरह से डरे सहमें हैं लोग

अवैध माइनिंग से जुड़े लोगों की पहुंच और गुंडागर्दी का आलम यह है कि आज कोई भी उनके खिलाफ मुंह खोलने को तैयार नहीं है। मगर दबी जुबान में लोगों का दर्द उनके चेहरे पर आ ही जाता है। लोगों का कहना है कि, सर जी! किससे कहें, कोई सुने तब न, अगर कोई अधिक शोर मचाता है तो अवैध माइनिंग वाले अपनी पहुंच से आवाज़ को दबा देते हैं। ऐसे कई लोग हैं इलाके में जिन्हें नाजायज तौर से केसों में फंसाया गया है तथा इसके डर से अब चुप रहने में ही भलाई समझते हैं। लोगों का कहना है कि नियमों के तहत काम हो इससे उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। परन्तु नियमों को ताक पर रखकर मिलीभगत करके चल रहे इस गौरखधंधे से उनकी जान खतरे में है। अबादी के समीप करीब 80-100 फुट तक जमीन खोद दी गई है, खाई इतनी गहरी है कि अगर कोई उसमें गिर जाए तो उस की आवाज़ भी शायद किसी को न सुनाई दे। ऐसे में लोगों का घरों से निकलना दूभर बना हुआ है। लोगों ने आरोप लगाया कि यह गौरखधंधा पुलिस, माइनिंग विभाग और राजनीतिक आकाओं की कथित मिलीभगत से चल रहा है। लोगों ने बताया कि इस काम में कुछेक गांवों के सरपंच व रसूखदार लोग भी शामिल हैं, जिनकी मिलीभगत के साथ-साथ उनकी संपत्ति की जांच भी करवाई जानी चाहिए। लोगों ने चेतावनी दी कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो उनके घर, खेत-खलियान उजड़ जाएंगे और उन्हें पलायन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

पर्यावरण/प्रदूषण कंट्रोल विभाग को भी है त्रास्दी का इंतजार

लोगों का कहना है कि पुलिस, माइनिंग व राजनीतिक आकाओं की कथित मिलीभगत तो हो सकती है, परन्तु दुख इस बात है कि पर्यावरण और प्रदूषण विभाग भी इस बड़े स्तर पर चल रहे गौरखधंधे को रोकने के लिए किसी तरह कार्रवाई नहीं कर रहे। जिससे उनकी कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में आनी स्वभाविक है। लोगों ने भारत सरकार और जिलाधीश से मांग की कि अवैध माइनिंग को रोकने के लिए कड़ी से कड़ी कार्रवाई करते उनके जीवन को सुरक्षित बनाया जाए।

न ड्यूटी में कौताही बर्दाश्त की जाएगी और न ही गैरकानूनी काम: जिलाधीश विपुल उज्ज्वल
होशियारपुर के नवनियुक्त जिलाधीश विपुल उज्ज्वल के ध्यान में अवैध माइनिंग का मामला लाए जाने के बाद उन्होंने कड़े स्वर में कहा कि न तो ड्यूटी में कौताही बर्दाश्त की जाएगी और न ही जिले में गैरकानूनी काम। उन्होंने कहा कि अवैध माइनिंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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