होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। पूर्व मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता तीक्ष्ण सूद के कार्यालय से जारी प्रेस नोट में बताया गया है कि पंजाब सरकार ने जो पंजाब क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 2020 का अध्यादेश जारी किया है वह किसी भी पक्ष के लिए लाभदायक नहीं है। पुराने चल रहे नर्सिंग होम, पुराने स्थानीय नियमों के मुताबिक बनाए गए थे तथा लंबे समय से उनमें अपना क्लीनिक चला कर डाक्टर लोगों की सेवा कर रहे हैं , नये कानून से उन बिल्डिंगों में मुलचूक बदलाव लाना पड़ेगा जो कि कई जगह पर संभव नहीं है तथा जिस जगह पर संभव है वहां भी अतिरिक्त खर्चा आएगा। इसी तरह नए कानून में स्टाफ के जो मापदंड रखे गए हैं वह भी खर्चों में बढ़ोतरी करेंगे।
शहरों में जहां सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था नगर निगम तथा नगर परिषदों द्वारा की जा चुकी है। वहां पर एसटीपी तथा ईटीपी की आवश्यकता पूरी तरह गैर जरूरी है। श्री सूद ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पंजाब के होशियारपुर के प्रधान तथा अन्य पदाधिकारियों ने उनसे मिलकर मांग की है कि क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट अध्यादेश लगाने में तथा मेडिकल कॉलेजों की फीसों में बेतहाशा वृद्धि के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पंजाब की मांगो को पंजाब सरकार तक पहुंचाया जाए। इसलिए श्री सूद ने माननीय मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की मांग को मानने के लिए सिफारिश की। श्री सूद ने कहा कि अकाली-भाजपा सरकार के समय भी क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट बिल पेश हुआ था, परंतु सरकार ने इसे लागू करने के लिए मना कर दिया था, क्योंकि इससे सभी संबंधित पक्षों को नुकसान होगा।
मरीजों के लिए डाक्टरी इलाज कई गुणा महंगा हो जाएगा, जिसे गरीब लोग सहन नहीं कर पाएंगे तथा नर्सिंग होम व क्लिनिक वेबजह के नए खर्चों से दब जाएंगे व इंस्पेक्टरी राज का बोलबाला होग। श्री सूद ने कहा कि पिछले दिनों मेडिकल कॉलेजों की फीस में की गई बेतहाशा वृद्धि को भी तुरंत वापिस लिया जाए। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट से जूझ रहे डॉक्टरों को इस मौके पर ऐसे मामलों में उलझाना समाज तथा देश के हित में नहीं है।