होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। एक इंसान को अपना घर बनाने क लिए अपने ही खेत या गांव से बहती खड्ड से रेत के लिए सरकार द्वारा थोपे गए रेत माफिया के गुंड़ों पर निर्भर क्यों रहना पड़ता है। जबकि रेत पर पहला अधिकारी भूमि पूत्रों का होना चाहिए, जो मिट्टी के साथ मिट्टी होकर देश का पेट भरता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वो रेत माफिया से लोगों को राहत देने के लिए इससे संबंधित एक्ट में संशोधन करे।
यह बात सफल भारत गुरु परंपरा संस्था के अध्यक्ष वीर प्रताप राणा ने आज यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि मुझे घर बनाने क िलिए रेत की आवश्यकता होती है तथा यह रेत प्रकृति ने मानव को दी है, सरकार ने नहीं। यह भी सत्य है कि सरकार इसे लेकर कुछ नियम बनाकर लोगों को राहत तो दे सकती है, मगर दुख की बात है कि सरकार ने नियम तो बनाए पर उनका पालन नहीं होता नहीं आ रहा तथा भूमि पुत्रों यानि एक आम गांव निवासी व किसान को रेत माफिया के गुंडों पर निर्भ रहना पड़ता है तथा ऊपर से कोई न कोई ऐसा व्यक्ति जिसका यह कार्यक्षेत्र भी नहीं होता वह भी लोगों के काम में विघ्न डालने पहुंच जाता है। जिसके कारण लोगों की समस्याएं और भी बढ़ जाती हैं। जो लोग कालोनियां काटते हैं या घर बनाकर बेचते हैं उनके लिए रेट की ठेकेदारी होनी चाहिए, जबकि जो गांव निवासी जिनके गांव से खड्ड गुजरती है उन्हें अपना घर आदि बनाने व गांव में विकास कार्य करवाने के लिए खेत या खड्ड से रेत व मिट्टी उठाने की आज्ञा होनी चाहिए और यह बिलकुल मुफ्त होनी चाहिए।
रेत प्रकृतिक स्रोत है तथा यह पैट्रोल या शराब नहीं है, जिसका सरकार व्यापारिकरण करे। इसलिए सरकार को रेत व मिट्टी से जुड़े एक्ट में संशोधन करके भूमि पुत्रों को इसकी उपलब्धता मुफ्त करवाई जाए। ॠवीर प्रतार राणा ने कहा कि अगर सरकार हमारे लिऐ प्रकृति द्वारा दिए गए इस तरह के संसाधनों का व्यापारीकरण करती रही और हम चुप बैठे रहे, तो वह दिन दूर नहीं जब सरकार में बैठे कारोबारी जल्द ही आक्सीजन पर भी टैक्स लगा देंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील है कि इस पाप एवं धरती के चीरहरण को रोकने के लिए रेत को आम आदमी की जरुरत अनुसार उसे मुफ्त किया जाए। उन्होंने कहा कि जरुरत पड़ी तो इसके लिए देशव्यापी आंदोलन भी किया जाएगा।