बदलते हालातों में मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी, मैडीकल इलाज के साथ मनोचिकित्सा भी अहम : स्वीन सैनी

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। आधुनिकता के दौर में वक्त की कमी व प्रगतिषील जीवन की दौड़ में रोज़मर्रा की जिंदगी चुनौतियों का सबब बन गई है और एकल परिवार, अभिभावकों की व्यस्तता, टैक्नॉलोजी में खोये व कम्पीटीषन के दबाव से ग्रस्त होता बचपन-छोटी उम्र में ही मानसिक सेहत में असंतुलन व हर किसी का तनावग्रस्त होना जैसे सामान्य ही होता जा रहा है और वर्तमान में तो हर साधारण व्यक्ति को असाधारण, अप्रत्याषित व अनिष्चित परिस्थितियों में जीना पड़ रहा है। यूं तो हर युग में युद्ध, प्राकृतिक विनाष या अन्य, हर तरह की आपदाओं ने अपने दुुष्प्रभाव छोड़े हैं और प्रभावित क्षेत्रों व लोगों के मन पर नकारात्मक असर भी डाला है। लेकिन मौजूदा वक्त में कोरोना वायरस का जो कहर ग्लोबल स्तर पर बरपा है, उसके वैष्विक स्तरीय परिणाम अवष्य ही दूरगामी व चिंताजनक होने वाले हैं। यह विचार होषियारपुर की प्रमुख कैरियर काउंसलर व साईकॉलोजिस्ट स्वीन सैनी ने मौजूदा हालातों में बीमारी के लक्ष्णों के साथ साथ मनोस्थिति व मेंटल हेल्थ पर चर्चा करते हुये रखे।

Advertisements

उन्होंने बताया कि ऐसा वक्त, ऐसी भावनायें व डर दुनिया की किसी पीढ़ी ने एक साथ नहीं अनुभव किया। वैष्विक स्तर पर सेहत, षिक्षा, असुरक्षा, आय व सामान्य जीवन से जुड़े हर पहलू में इतनी अनिष्चितता है कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ रहा है। जागरूकता की कमी नहीं है लेकिन उचित जानकारी का अभाव व असुरक्षित सोषल मीडिया के जरियेे अवांछित जानकारी का तेज़ बहाव हर मन में भय, चिन्ता व नकारत्मकता को बढ़ा रहा है और इस बार यह केवल भुक्तभोगी ही नहीं बल्कि हर कोई इसकी बेचैनी को जी रहा है। हर उम्र व वर्ग का तनाव अलग है जिससे हर मन इस प्रभाव को अलग तरीके से ले रहा है और सोशल डिस्टेंसिंग, एकांतवास, मास्क व वायरस से जुड़े अन्य स्टिगमा को लेकर उसके बुरे असर भी शारीरिक व मानसिक स्तर पर अलग अलग हैं।

ऐसे हालात में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों जैसे कि तनाव, अवसाद व अनियंत्रित गुस्सा या हर वक्त के अनदेखे डर पर ध्यान देना अति आवश्यक है वर्ना समय के साथ इनके प्रभाव बहुत विनाषकारी होने वालेे हैं। मैडीकल इलाज के साथ मनोचिकित्सा भी अहम है और बहुत सारे उदाहरण देखने को मिले हैं कि सही वक्त पर सही माध्यम से ली गई साईकॉलोजिकल काउन्सलिंग से कई बार दवाईयों के चक्रव्यूह से भी बचा जा सकता है।

होशियारपुर में द नाईस मांईड मेन्टरज़ के माध्यम से पर्सनल काउन्सलिंग व मेंटल हेल्थ की बेहतरीन सर्विसीज़ देने में प्रयासरत सर्टीफाईड क्लीनिकल साइकॉलोजिस्ट स्वीन सैनी के अनुभव अनुसार डाक्टर, हेल्थ वर्करज़ व केयर टीम के साथ साथ मनोचिकित्सक व साईकोलोजिस्ट की चुनौतियां व जि़म्मेवारियां भी लॉकडाउन के दौरान बढ़ गई हैं। चूंकि यह षत प्रतिषत सच है कि इंसान को हालात इतना नहीं तोड़ते जितनी कि उसकी सोच कमज़ोर करती है। सो ‘मन जीते जग जीत, इस कहावत के अनुसार चुनौतीपूर्ण हालातों में वे सोच को पॉजि़टीव कर मन की ताकत के ज़रिये हल निकालने में मदद करते हैं। उनके प्रौफैशनल स्तरीय सैशन में की गई बातचीत की जानकारी पूर्ण रूप से गुप्त रखी जाती है और किसी को हालातों या मनोस्थिति के आधार पर आंका नहीं जाता।

इस कार्य में उनका बराबर हौंसला बढ़ाने में उनके पति समाजसेवी प्रेम सैनी भी भरपूर योगदान दे रहे हैं। प्रेम सैनी के विचारानुसार जब भी मेंटल हेल्थ की बात आती है तो अक्सर ध्यान केवल युवाओं पर जाता है लेकिन सीनियर सिटीजऩ, प्रेग्नेन्ट लेडीज़, केयर टेकर, मेडीकल सर्वीसिज़ से जुड़े लोग व अन्य जिनके कारोबार या नौकरियां आहत हुई हैं, सभी पर बराबर काम करना ज़रूरी है। जिसके लिए ना केवल स्वीन सैनी उनके पास आने वाले केसीज़ पर काम कर रही हैं बल्कि डिजीटल माध्यम से जुडक़र सोशल मीडिया पर लाइव टॉक में अलग अलग मुद्दों को लेकर जागरूक करने के साथ मेंटल हैल्थ में अपनी सेवायें निरन्तर प्रदान कर रही हैं। इसके साथ ही घरों से दूर परिवार के बिना अकेले रह रहे युवाओं के लिये उनका वक्त 24ग7 आपातकालीन हैल्पलाइन की तरह उपलब्ध है, जिस पर बहुत से लोग निरन्तर काउंसिलिंग की सेवाएं ले रहे हैं। सैनी दंपति ने समाज के सभी वर्गों से अपनी अपनी प्रतिभानुसार एकजुट हो इस समय में एक दूसरे की ताकत बनने की अपील की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here