गढ़शंकर(द स्टैलर न्यूज़)। केंद्र सरकार द्वारा किसान विरोधी कृषि संबंधी पास किए तीन आर्डीनैंस देश व किसानों के लिए खतरनाक है। इन आर्डीनैंसों के लागू होने के बाद धीरे धीरे किसानों की ज़मीन सरमाएदारों के हाथों में पहुंचाने की एक सािजश है। जिसे आल इंडिया जाट महासभा किसी भी हालत में सहन नहीं करेंगी और शीघ्र ही पंजाब सहित पूरे भारत में अंदोलन शुरू कर दिए जाएगे। यह शब्द आल इंडिया जाट महासभा के राष्ट्रीय बरिष्ठ उपाध्यक्ष हरपाल सिंह हरपुरा ने प्रैस ब्यान में कहे। उन्होंने सभी आर्डीनैंसों को केंद्र सरकार को वापिस लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि शांता कुमार की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिर्पोट में न्यूनतम सर्मथन मुल्य को धीरे धीरे वापिस लेने और एफसीआई को खत्म करने की सिफारिश की थी, उसी दिशा पर यह आर्डीनैंस लाए गए है। इससे अभूतपूर्व कृषि संकट पैदा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पंजाब कृषि अधारित प्रदेश है जिसके चलते केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम सर्मथन मुल्य खतम करने की साजिश से पंजाब का सबसे ज्यादा नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि अकाली दल बादल व भाजपा ने आर्डीनैंसों का सर्मथन कर साफ कर दिया कि वह किसान व मजदूर विरोधी है।
सुखबीर सिंह बादल तो अपनी पत्नी की कूर्सी बचाने के लिए पंजाब के किसानों को तबाह करने के लिए आर्डीनैंस का सर्मथन कर रहे है। उन्होंने कहा कि यह आर्डीनैंस पंजाब के मंडीकरण को खत्म करने के लिए भी रास्ता बना रहे है। सरकार किसानों की ज़मीनों व मंडियों पर निजी कंपनियों, अंबानी व अडानी जैसे सरमाएदारों का कबजा करवाना चाहती है। जिससे धान, मक्की, गन्ने, दालों के न्यूनतम सर्मथन मुल्य का कोई अर्थ ही नहीं रह जाएगा और अपने आप न्यूनतम सर्मथन मुल्य खतम होता जाएगा। जिसके चलते किसान अपनी फसलों को बेचने के लिए ससते दामों पर बेचने व भुगतान के लिए ठोकरें खाने को मजबूर हो जाएगे। इसके साथ किसानों की तबाही के ईलावा आढ़ती, मुनीम, पल्लेदार, ड्राईवर, ट्रांसपोर्ट की भूमिका कृषि क्षेत्र में खत्म हो जाएगी।