-समाचारपत्र के पहली बार किए गए प्रयास के तहत 27 श्रद्धालुओं ने खेत्री कार्यालय पहुंचाई-टीम ने श्रद्धालुओं की आस्था व भावनाओं का ध्यान रखते किया जल प्रवाह- श्री सिद्धपीठ कमाख्या देवी मंदिर, जालंधर रोड से श्री शिवरात्रि एवं उत्सव कमेटी के प्रधान श्री हरीश खोसला ने शुभकामनाएं देते हुए किया रवाना-अरविंद शर्मा, सुमित गुप्ता और भूपेश प्रजापति ने भी दिया विशेष सहयोग-
होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। ‘द स्टैलरन न्यूज़’ की तरफ से पहली बार किए गए प्रयास को जनता ने खूब सराहा है। समाचारपत्र की टीम ने यह निर्णय लिया था कि नवरात्रों के दौरान अधिकतर श्रद्धालुओं द्वारा घर में खैत्री बोई जाती है तथा नवमीं व उससे अगले दिन उसे जल प्रवाह किए जाने का प्रावधान है। परन्तु आजकल बहते जल स्रोत का विकल्प नजदीक उपलब्ध न होने के कारण श्रद्धालुओं के समक्ष उसे जन प्रवाह करने की समस्या खड़ी हो जाती है तथा इसी समस्या को देखते हुए ‘द स्टैलर न्यूज़’ टीम ने एक प्रयास के तहत फैसला लिया कि क्यों न इस बार श्रद्धालुओं की इस समस्या को दूर करने हेतु श्रद्धालुओं को समय दिया जाए ताकि वे इतनी श्रद्धा से बोई खेत्री को जल प्रवाह के लिए हमारे कार्यालय पहुंचाएं और हम विधिपूर्वक उसे जल प्रवाह करके आएं। हमारे इस प्रयास में सेवा भारती के महामंत्री अरविंद शर्मा, ब्लड एसोसिएशन के सदस्य सुमित गुप्ता और पत्रकार भूपेश प्रजापति ने विशेष सहयोग दिया। पहली बार किए गए हमारे इस प्रयास को जहां हजारों लोगों ने सराहा वहीं 27 श्रद्धालुओं ने हमारे कार्यालय पहुंच कर पूरी श्रद्धा के साथ खेत्री जल प्रवाह के लिए दी। हमारी टीम समाचारपत्र के मुख्य संपादक ‘संदीप शर्मा, (डोगरा)’ की अगुवाई में गांव मोलट की खड्ड में पहुंची, जहां पर खेत्री को पूरी विधि के साथ जल प्रवाह किया गया।
इससे पहले सिद्धपीठ कमाख्या देवी मंदिर नजदीक आई.टी.आई. से श्री शिवरात्रि एवं उत्सव कमेटी के प्रधान श्री हरीश खोसला एवं पंडित गिरिश कौशल जी ने टीम सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए रवाना किया। इस मौके पर श्री हरीश खोसला ने ‘द स्टैलर न्यूज़’ के इस प्रयास की सराहना की वहीं इसे धर्म के मार्ग में एक अच्छा कदम बताया। उन्होंने कहा कि नवरात्रों में कई श्रद्धालुओं द्वारा खेत्री बोई जाती है तथा वे 9 दिन इसकी विधिवतपूर्वक पूजा करते हैं। परन्तु नवमीं व दशमी के दिन कईयों के समक्ष इसे जल प्रवाह की समस्या खड़ी हो जाती है, क्योंकि शास्त्रों अनुसार खेत्री को जल प्रवाह किया जाता है। परन्तु जल स्रोत नजदीक न होने के कारण कई श्रद्धालु खेत्री को मंदिर या किसी पीपल आदि के पेड़ की नीचे रख देते हैं। जोकि धर्म के उपहास के साथ-साथ भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ है। उन्होंने समाचारपत्र की टीम को अपनी शुभकामनाएं देते हुए भविष्य में भी नवरात्रों के उपरांत इसी प्रकार विधिवत रुप से खेत्री जल प्रवाह कार्यक्रम को करने की प्रेरणा दी।