चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। कोविड महामारी और लॉकडाऊन के निष्कर्ष के तौर पर राज्य सरकार को पड़े बड़े राजस्व घाटे का हवाला देते पंजाब कैबिनेट ने मंगलवार को भारत सरकार से राज्य की कठिन समय में मदद के लिए उचित मुआवज़े की मांग की। महामारी के चलते वित्तीय स्थिति की समीक्षा करते हुये मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता अधीन कैबिनेट के ध्यान में आया कि साल 2020 -21 की पहली तिमाही में राजस्व संग्रह में आई गिरावट चालू पूरे वित्तीय साल के अनुमानित घाटे को देखते हालत बहुत गंभीर हैं।
वित्त विभाग की तरफ से कैबिनेट के आगे पेशकारी देते हुये बताया गया कि अप्रैल-जून 2020 के दौरान राज्य के अपने टैक्स एकत्रित करने में कुल 51 प्रतिशत की गिरावट आई है और इस समय के दौरान बजट अनुमानों के मुकाबले अकेला जी.एस.टी. का घाटा 61 प्रतिशत है।
इस तिमाही में जी.एस.टी. और वैट राजस्व एकत्रित करने में इक_े 54 प्रतिशत की गिरावट आई। अप्रैल -जून तिमाही के दौरान कुल राजस्व प्राप्तियों में 21 प्रतिशत गिरावट आई है। मंत्रीमंडल ने आगे चिंता ज़ाहिर करते हुये इस बात पर ध्यान दिया कि राज्य के ग़ैर टैक्स राजस्व एकत्रित करने के मामले में वित्तीय साल 2020 -21 की पहली तिमाही के बजट अनुमानों के मुकाबले 68 प्रतिशत का घाटा है। यह आंकड़े आई.एफ.एम.एस. (अकाउँटैंट जनरल पंजाब की तरफ से अब तक हासिल हुए) प्राप्त शुरुआती अनुमानों के अनुसार हैं।
कैबिनेट ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुये इस बड़े घाटे की भरपायी के लिए केंद्र से वित्तीय सहायता की माँग की। मंत्रीमंडल ने यह भी ध्यान लाया कि राजस्व घाटा न सिफऱ् कोविड के खि़लाफ़ जंग पर बुरा प्रभाव डालेगा जो इस समय पर राज्य में अपने पूरे शिखर पर है बल्कि वेतनों की अदायगी समेत रुटीन के खर्चों के अलावा राज्य सरकार की मुख्य स्कीमों और प्रोग्रामों को लागू करने में भी रुकावट बनेगा। मंत्रीमंडल ने महसूस किया कि भारत सरकार को मौजूदा संकट में से पंजाब को निकालने के लिए लाजि़मी वित्तीय सहायता देने की ज़रूरत है।