परमात्मा असीम दैवी गुणों की खान है: माता सुदीक्षा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। सहनशीलता और विशालता इस जीवन में दैवी गुणों की जननी है। उक्त बात निरंकारी सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि सच्चा मनुष्य वही है जो इस निरंकार परमात्मा रूपी सत्य के साथ जुड़ा हुआ है और उस में परमात्मा जैसे दैवी गुण बसे हुए हैं, क्योंकि मनुष्य जिस के प्रभाव अधीन रहता है उसके जैसे गुण उस के अंदर पैदा होते हैं। यह परमात्मा असीम दैवी गुणों की खान है ।

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इस परमात्मा को अपने जीवन में स्थान देने वाले मनुष्य में भी दैवी गुण पैदा होने शुरू हो जाते हैं। प्यार, विनम्रता, सहनशीलता, विशालता और माफ करना यह सब दैवी गुण हैं। परमात्मा के साथ नाता जोडऩे के बाद ही यह गुण मनुष्य के जीवन में प्रवेश होते हैं। ब्रह्म ज्ञान मिलने के बाद ही मनुष्य वैर विरोध, नफरत, निंदा और ईष्र्या ऊंच-नीच, जात-पात जैसी तंग दिलीयों से ऊपर उठ कर एक परमात्मा का रूप प्रत्येक में देख कर विशालता को अपनाता है। विशालता के गुण वाला मनुष्य सब को ही माफ करता चला जाता है और सहनशीलता भी फिर उस के जीवन का श्रृंगार बन जाती है।

सहनशीलता से भाव है कि दूसरों की कमियों को स्वीकार करते हुए माफ करते जाना। सहनशीलता को कई बार कायरता की निशानी समझा जाता है परन्तु वास्तव में यह तो बहादुरी की निशानी है। हर कोई बंदा सहनशील नहीं हो सकता जो मनुष्य इस परमात्मा के एहसास में जीता है वही सहनशील और विशाल बन सकता है। जिस तरह धरती हर तरह के मौसम को, गर्मी को, धूप को सहन करके हमेशा सहज अवस्था में रहती है। इसी तरह ही परमात्मा के भक्त भी सब कुछ सहन करते हुए एक रस रह कर जीवन जीते हैं।

जितने भी ईश्वरीय भक्त हुए हैं उन्होंने अपने जीवन में विशालता, सहनशीलता, प्यार, विनम्रता और माफ करने की भावनायों को अपने जीवन में अहम स्थान दिया है। यही कारण है कि आज उन के जीवन महान माने जाते हैं। यह अवस्था अपने आप ही जीवन में बन जाती है, जब मनुष्य ब्रह्म ज्ञान के मार्ग की तरफ अपना जीवन समर्पित कर देता है। आओ हम सभी इस तरह संतों महांपुरुषों के बताए मार्ग पर चल कर अपने जीवन को सहज और सुखी बनाए और धरती पर रहने वाले हर जीव के लिए यह स्थान स्वर्ग जैसा बनाने के लिए इन गुणों को जीवन में अपनाते चले जाए।

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