धान की पराली का सुचारु प्रबंधन करने में अग्रणीय है गांव टोडरपुर, गांव में फार्म मशीनरी बैंक भी किया स्थापित

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। जिला होशियारपुर के ब्लाक माहिलपुर का गांव टोडरपुर अपने प्रगतिशील किसानों की सोच व मेहनत के चलते धान की पराली के सुचारु प्रबंधन करने में अग्रणीय गांव बन कर उभरा है। यह गांव कृषि विज्ञान केंद्र(के.वी.के) बाहोवाल की ओर से वर्ष 2013 में अपनाया गया था। गांव के प्रगतिशील किसानों संदीप सिंह, सुखविंदर सिंह, कुलविंदर सिंह, परमजीत सिंह, जसबीर सिंह, जुझार सिंह, मनोहर सिंह, गुरदीप सिंह, सतबीर सिंह, सतनाम सिंह, हरविंदर सिंह आदि धान की पराली को खेत में भी संभाल कर गेहूं की सफलतापूर्वक सीधी बिजाई करते हैं।

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इसके अलावा कृषि विभाग के प्रयासों से गांव के किसान सुखविंदर सिंह, जसबीर सिंह, हरविंदर सिंह, हरदीप सिंह, सतबीर सिंह, संदीप सिंह व सुखविंदर सिंह लड्डू आदि ने फार्म मशीनरी बैंक भी बनाया है, जिसके अंतर्गत कृषि विभाग ने धान की पराल प्रबंधन बाबत मशीनरी मुहैया करवाई है, जिसके चलते गांव में वर्ष 2019-20 के दौरान हैप्पी सीडर के माध्यम से बिजाई का रकबा करीब 200 एकड़ था। गांव के सूझवान किसानों की ओर से बड़े रकबे में धान की पराली को जमीन में मिलाया जा रहा है, जिससे जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। इसके साथ ही पशु चारे के लिए पराली इक_ी की जा रही है। इसके अलावा पिछले 3 वर्षों से इस गांव में बेलर का प्रयोग कर भी धान की पराली का योग्य प्रबंधन किया जा रहा है।

गांव टोडरपुर के किसान संदीप सिंह ने बताया कि उसने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय(पी.ए.यू) की सिफारिश तकनीकों को अपनाया है और 2013 से ही हैप्पी सीडर विधि से गेहूं की सीधी बिजाई करता आ रहा है। रबी 2019-20 के दौरान उसने 25 एकड़ फसल को सफलतापूर्वक बिजाई की थी व इस वर्ष भी इतने ही एकड़ बिजाई होगी। उसका मानना है कि वातावरण पक्षीय हैप्पी सीडर तकनीक से जमीन के स्वास्थ्य में सुधार होता है व गेहूं की बिजाई समय पर हो जाती है। इस मशीन से दिन में वे 7-8 एकड़ गेहूं बिजाई करते हैं। उन्होंने बताया कि हैप्पी सीडर तकनीक से गेहूं की फसल में नदीन भी कम उगते हैं व गेहूं का झाड़ भी बढिय़ा आता है। संदीप ने एम.ए(राजनीतिक शास्त्र) की डिग्री हासिल की है व पी.ए.यू और किसान क्लब का सदस्य भी है। वह कृषि संबंधी तकनीक को दूसरे किसानों से सांझा करता है। संदीप सिंह कृषि विज्ञान केेंद्र की वैज्ञानिक सलाहकार कमेटी का सदस्य भी मनोनित है व जिले की पराली प्रबंधन संस्था का उपाध्यक्ष है।

गांव के किसान सुखविंदर सिंह ने वर्ष 2018 के दौरान नई रेक व बेलर मशीन खरीदी, जिसको कृषि विभाग होशियारपुर की ओर से सब्सिडी भी मुहैया करवाई है। सुखविंदर दूसरे किसानों के खेत में खड़े करचियों को स्टबल शेवर से काटता है, फिर रेक चलाता है, जिससे पराली की लाइने बन जाती है, इन लाइनों पर बेलर के माध्यम से पराली की गांठे बनाता है। यह किसान बेलर मशीन से दिन में 6-7 एकड़ रकबे में पराली की गांठे बनाता है। पराली की गांठों को गांव बिंजो में लगे बायोमास प्लांट पर बेचता है। सुखविंदर ने बताया कि बेलर मशीन की मदद से वह गांव में लगभग 300 एकड़ की पराली की गांठे बना लेता है। उसके व उसके साथियों ने वर्ष 2019 व 2020 के दौरान दो और बेलर भी खरीदे हैं व नजदीकी गांवों में बेलर के माध्यम से पराली संभाल रहे हैं। यह किसान बेलर मशीन के माध्यम से धान की पराली के अलावा गन्ने की बोरी की भी गांठे बनाता है। सुखविंदर के.वी.के होशियारपुर के किसान क्लब का सदस्य भी है।

कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल के डिप्टी डायरेक्टर डा. मनिंदर सिंह बौंस ने बताया कि के.वी.के की ओर से गांव टोडरपुर को धान की पराली के विशेष कार्य के लिए वर्ष 2018-19 में केंद्रीय प्रोजैक्ट के अंतर्गत अपनाया गया था व इस बाबत प्रशिक्षण कोर्स, जागरुकता अभियानों व प्रदर्शनियों के माध्यम से अलग-अलग गतिविधियां शुरु की गई थी। उन्होंने बताया कि पी.ए.यू की सिफारिश तकनीकों को अपनाकर गांव टोडरपुर ने सितंबर 2019 के किसान मेले के दौरान मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से राज्यपाल पंजाब सर्वोत्तम गांव पुरुस्कार भी हासिल किया है।

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