राजस्व विभाग की लोक समर्थकीय पहलकदमियां जल्द और निर्विघ्न ढंग से सेवाएं प्रदान करने को बनाएंगी यकीनी: राजस्व मंत्री

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। प्रांतीय प्रशासन में लोगों का विश्वास पैदा करने की कोशिश के तौर पर राजस्व एवं पुनर्वास विभाग ने अपने कामकाज में और ज्य़ादा कुशलता, पारदर्शिता और जवाबदेही को यकीनी बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसका प्रगटावा करते हुए राजस्व एवं पुनर्वास मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़ ने कहा कि विभाग की कार्य योजना 2017-22 के अंतर्गत लोक समर्थकीय सुधार और आई.टी. पहलकदमियां, सेवाएं प्रदान करने की प्रणाली में ग़ैर ज़रूरी देरी को घटाने और पुराने अभ्यासों की जगह नए अभ्यास अपना कर लोगों का भरोसा जीतने में मददगार साबित होंगी।

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मंत्री ने आगे बताया कि राजस्व अदालत प्रबंधन प्रणाली (आरसीएमएस) को कार्यशील बनाया गया है और राजस्व अदालतों में लम्बित सभी पुराने मामलों से सम्बन्धित डेटा को आरसीएमएस पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है। इसके अलावा, 31 अक्तूबर, 2020 से पहले पास किए गए आखिरी गौण/अंतरिम आदेश भी अपलोड किए गए हैं। मंत्री ने कहा कि इसके बाद हरेक केस की प्रगति ऑनलाइन दर्ज की जाएगी और मुकदमेबाज़ों और अन्य सम्बन्धित व्यक्तियों द्वारा इस ओर नजऱ रखी जा सकती है। मंत्री ने कहा कि नए मामलों सम्बन्धी कार्यवाही ऑनलाइन आरंभ की जाएगी। इस प्रणाली के और लाभ गिनाते हुए मंत्री ने कहा कि कारणों सम्बन्धी सूची पंजाब की हरेक राजस्व अदालत के लिए ऑनलाइन उपलब्ध होगी। आरसीएमएस हर केस के राइट्स और कार्यवाही के रिकॉर्ड सम्बन्धी सीधे तौर पर सम्बन्धित है और जो भी ऑर्डर राजस्व रिकॉर्ड में लागू करना होता है, वह अपने आप ही जमाबन्दी के टिप्पणी कॉलम में दर्ज हो जाता है।

मंत्री ने आगे बताया कि विभाग ने नेशनल जेनेरिक डॉकूमेंट रिकॉर्ड सिस्टम (एनजीडीआरएस) में भी एक व्यवस्था की है जिसके अंतर्गत जब रजिस्टर्ड सेल डीड, सब-रजिस्ट्रार दफ़्तर द्वारा अपलोड की जाती है, तो रजिस्टर्ड डीड की कॉपी अपने आप सम्बन्धित पटवारी के इनबॉक्स में चली जाएगी। जब पटवारी रजिस्टर्ड डीड को दिखाने के लिए जमाबन्दी में ऐसी किसी डीड सम्बन्धी टिप्पणी करता है तो सम्बन्धित पक्ष को एसएमएस के द्वारा जानकारी दी जाएगी। जहाँ पटवारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती, वह पर्चा यादाश्त को ऐसीं टिप्पणियों के साथ सब-रजिस्ट्रार को वापस भेज देगा। यह कंट्रोलिंग अफसरों को पर्चा यादाश्त के लागू करने के प्रभाव की निगरानी करने में सहायता करेगा। इस बारे में एक डैशबोर्ड सभी कंट्रोलिंग अधिकारियों के लिए भी उपलब्ध होगा। ख़ास तौर पर सभी रजिस्टर्ड डीडज़ नैशनल जैनेरिक डॉकूमेंट रिकॉर्ड सिस्टम (एनजीडीआरएस) पोर्टल द्वारा किया जा रहा है।

दस्तावेज़ों की रजिस्ट्रेशन के काम करने वाला सॉफ्टवेयर पंजाब लैंड रिकॉर्ड सॉफ्टवेयर के अनुकूल नहीं था। इस प्रकार, पर्चा यादाश्त अब तक हाथों द्वारा जारी किया जा रहा था और पर्चा यादाश्त की प्रगति को देखने के लिए कोई सॉफ्टवेयर नहीं है। इंतकाल की प्रगति की ऑनलाइन निगरानी को सुनिश्चित करने के लिए, अब सॉफ्टवेयर में पर्चा यादाश्त के जारी होने से इंतकाल की प्रक्रिया की निगरानी करने, इंतकाल एंट्री करने, कानूनगो द्वारा तस्दीक करने और सर्कल राजस्व दफ़्तर (सीआरओ) के फ़ैसले तक की व्यवस्था की गई है। मंत्री ने कहा कि प्रगति की जानकारी अधिकारित / सम्बन्धित व्यक्ति को एसएमएस के द्वारा दी जाएगी। इस दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विश्वजीत खन्ना ने भी एक व्यवस्था का जि़क्र किया, जिसके अंतर्गत आवेदनकर्ता द्वारा नॉन-इनकमब्रैंस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन-पत्र ऑनलाईन जमा किया जा सकता है। अपेक्षित फीस भी ऑनलाइन जमा की जा सकती है।

अगर आवेदनकर्ता नकद में फीस जमा करना चाहता है तो ऐसा फ़र्द केन्द्रों पर भी किया जा सकता है। ‘नॉन इनकमब्रैंस सर्टिफिकेट’ के लिए पटवारी/कानूनगो/ सीआरओ की रिपोर्ट मांगने की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और सर्टिफिकेट की कॉपी आवेदनकर्ता द्वारा ऑनलाइन डाऊनलोड की जा सकती है। अगर आवेदनकर्ता हार्ड कॉपी चाहता है, तो वह सम्बन्धित सब-रजिस्ट्रार दफ़्तर/ सी.आर.ओ. से प्राप्त कर सकता है। इन अजिऱ्यों पर राजस्व अदालत प्रबंधन प्रणाली द्वारा निगरानी की जाएगी। एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू को उजागर करते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव ने खुलासा किया कि हदबंदी की अजऱ्ी अब से ही ऑफ़लाईन प्राप्त की जा रही है और हदबंदी की अजिऱ्यों की नजऱ की निगरानी के लिए कोई आईटी विधि उपलब्ध नहीं है। एक सॉफ्टवेयर है जिससे सम्बन्धित व्यक्ति हदबंदी सम्बन्धी अजऱ्ी ऑनलाइन दे सकता है। फीस ऑनलाइन जमा की जा सकती है और अगर आवेदनकर्ता फीस को नकद जमा करना चाहता है, तो अजऱ्ी फ़र्द केंद्र या सी.आर.ओ. के पास जमा करनी पड़ेगी। इसके बाद, हदबंदी के लिए सभी अजिऱ्याँ आरसीएमएस का हिस्सा बन जाएंगी।

ऐसी अजिऱ्यों की स्थिति की निगरानी आरसीएमएस पोर्टल द्वारा की जा सकती है। सॉफ्टवेयर में एक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत कानूनगो हदबंदी की तारीख़ तय करेगा, हदबंदी की रिपोर्ट पेश करेगा, सम्बन्धित को सूचित करेगा और अन्य सभी सम्बन्धित गतिविधियां ऑनलाईन करने के योग्य होगा। आवेदनकर्ता को हरेक पड़ाव पर एस.एम.एस. के ज़रिये ऑनलाइन सूचित किया जाएगा।  इसी तरह अब सब रजिस्ट्रार दफ़्तर (एसआरओज़) द्वारा रजिस्ट्रेशन के दो दिनों के अंदर-अंदर ज़रुरी दस्तावेज़ अपलोड करने की व्यवस्था की गई है। जब रजिस्टर्ड दस्तावेज़ एसआरओ द्वारा अपलोड किए जाते हैं तो यह अधिकारित व्यक्तियों को देखने और डाऊनलोड करने के लिए उपलब्ध होंगे। दस्तावेज़ों की रजिस्ट्रेशन समय प्रदान किए गए टैलिफ़ोन नंबर अधिकारित व्यक्तियों की पहचान करने के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे। सब तहसील/तहसील सब-डिविजऩ/जि़ला स्तर पर रिकॉर्ड रूम के आधुनिकीकरण और रिकॉर्ड को डिजीटाईज़ेशन करने के उद्देश्य से विभाग द्वारा पहले कदम के तौर पर एक प्रक्रिया की जा रही है, जिससे रिकॉर्ड को कम्पैकटरों में रखा जा सके और इस रिकॉर्ड को डिजीटाईज़ करने के लिए एक मैनुअल तैयार किया जा रहा है।

मैनुअल महत्ता रखता है क्योंकि डिजीटाईजेशन केवल तभी मददगार होगी अगर प्राप्त करना (रीट्रीविंग) आसान है। इसके अलावा, राज्य रिमोट सेंसिंग सैंटर, लुधियाना में 70,000 मुसाविस को राज्य में डिजीटाईज़, जीआईएस टैग करवाने और ज़मीनी हकीकत प्राप्त करने के लिए एक प्रोजैक्ट शुरू किया गया है। प्रोजैक्ट के जून, 2021 तक पूरा होने की उम्मीद है। इस रास्ते से एक तरफ़ हट कर पहलकदमियों के अलावा, विभाग लाल लकीर में अधिकारों के रिकॉर्ड की सृजन करने के लिए विस्तृत ढांचा लाया जा रहा है क्योंकि इस कार्य को पूरा करने के लिए राजस्व एवं पंनर्वास विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। ज़मीनों का दुरुपयोग से बचाव के लिए विभाग ने पंचायतों की ज़मीनें, म्युंसीपल ज़मीनें, नाज़ोल लैंड्ज़, खाली ज़मीनें, वर्फ जैसी जायदादों / ज़मीनें, अधिकार के रिकॉर्ड के अनुसार सरकार की मल्कीयत या संस्था के साथ जुड़े हुए हैं और अलग-अलग विभाग के अधिकार अधीन हैं, के रजिस्टर तैयार करने के उपाय भी विकसित किए हैं। सभी डिप्टी कमिश्नरों को हिदायत की गई है कि वह इस सम्बन्धी जि़ला-बार रिकॉर्ड को पहल के आधार पर कम्पायल करें।

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