-बैठक में सैनेटर वैद्य जगजीत ने वाइस चांसलर ओ.पी. उपाध्याए को कहा निकम्मा- उपाध्याय ने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा, सभी काम ठीक चल रहे हैं- रीवैल्यूएशन फीस 3 हजार की जगह वसूले जा रहे 3500 रुपये, आखिर क्या है गोलमाल-
होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। गुरु रविदास आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी के खुलने से लेकर अब तक अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सुर्खियों में रहने वाली यह यूनिवर्सिटी एक बार फिर से चर्चाओं में है। इस बार चर्चा जहां पेपर रीचैकिंग की 3000 की जगह 3500 रुपये लिए जानेको लेकर और अन्य प्रकार के कार्यों को लेकर हो रही है वहीं सैनेट की बैठक में एक सैनेटर द्वारा वाइस चांसलर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जाने से एक नई चर्चा को जन्म मिल गया है। बैठक दौरान एक सैनेटर ने जहां वाइस चांसलर को निकम्मा कह दिया वहीं उसने वाइस चांसलर की कार्यप्रणाली पर कई प्रकार के प्रश्नचिंह भी लगाए।
रीवैल्यूऐशन फीस जहां यूनिवर्सिटी में जमा होती थी अब कालेजों में हो रही है तथा वहां पर प्रति बच्चा 500 रुपये अतिरिक्त चार्ज किए जा रहे हैं। विद्यार्थियों
का कहना है कि यह बात समझ से परे है कि मैरिट में आने वाले विद्यार्थियों की सपली तथा फेल होना किसी षड्यंत्र की तरफ इशारा करता है, जिसकी गहनता से जांच होनी अनिवार्य है। विद्यार्थियों ने बताया कि यूनिवर्सिटी द्वारा जब फीस 3000 रुपये तय की गई है तो फिर कालेज वाले 3500 रुपये क्यों वसूल रहे हैं इसकी भी जांच होनी चाहिए।
23 मई दिन मंगलवार को यूनिवर्सिटी कैंपस में सैनेटर की बैठक थी। बैठक में सैनेट सदस्यों ने वाइस चांसलर प्रो. ओ.पी. उपाध्याय की कार्यप्रणाली की कड़े शब्दों में आलोचना की वहीं एक सैनेटर तो यहां तक कह डाला कि भारत की समस्त यूनिवर्सिटीयों में से इस यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर सभी के मुकाबले निकम्मा चांसलर साबित हुआ है। जिसके बाद बैठक में हंगामा हो गया। सदस्यों ने कहा कि यूनिवर्सिटी तरक्की करने की बजाए पीछे जा रहा है।
सदस्यों के आरोपों को नकारते हुए वाइस चांसलर ने कहा कि सरकार की तरफ से जितने भी साधन उनको उपलब्ध करवाए गए हैं, उस मुताबिक उन्होंने अपने कार्यकाल दौरान बेहतर काम करने का प्रयास किया है। परन्तु सैनेटरों द्वारा एक के बाद एक लगाए जा रहे आरोपों का वाइस चांसलर तसल्लीबख्श जवाब नहीं दे पाए।
बैठक के दौरान सैनेट सदस्यों की तरफ से उठाए गए अलग-अलग ऐतराज़ों को ध्यान में रखते हुए वाइस चांसलर ने सात सदस्यीय समिति का गठन किया। जिसमें जिसमें 4 सैनेट सदस्य, 1 सदस्य गवर्निंग काउंसिल और एक पंजाब सरकार का कर्मी शामिल होगा। उक्त समिति सैनेट सदस्यों की तरफ से उठाए गए अलग-अलग मुद्दों
जिनमें पेपरों की जांच, मार्कशीट के साथ संबंधित मामला सहित अन्य मामलों की जांच करेगी। समिति के सदस्य डा. तजिंदरपाल सिंह एम.डी. होम्योपेथी ने कहा कि वह जल्द ही अलग-अलग मामलों की जांच करने उपरांत एक जांच रिपोर्ट सैनेट के सामने रखेंगे।
बैठक में वैद्य जगजीत सिंह द्वारा चेयरमैन होम्योपैथिक काउंसिल पंजाब और सैंट्रल काऊंसिल आफ मैडिसिन इंडिया के सदस्य की तरफ से यूनिवर्सिटी में तैनात रिर्सच अधिकारी डा. दगन की सेवाओं पर भी सवाल खड़ा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि वाइस चांसलर ने अपने करीबी को सरकारी लाभ देने के लिए रिर्सच अधिकारी के तौर पर यूनिवर्सिटी में तैनात किया है, जबकि उक्त अधिकारी ने अपनी सेवा दौरान कोई खोज की ही नहीं तो यदि मेरी तरफ से इस संबंधित सवाल किया जाता है तो इस पर वाइस चांसलर जवाब देते हैं कि उक्त अधिकारी ने संस्कृत की एक किताब का पंजाबी में अनुवाद किया है जोकि बेहद हैरानीजनक जवाब है। सदस्यों ने आरोप लगाया की कि डा. दगन जिन्होंने खुद 10वीं कक्षा में पंजाबी नहीं पढ़ी और वाइस चांसलर द्वारा जो कार्य डा. दगन से करवाने की बात कही जा रही है उसके तो वे योग्य ही नहीं हैं।
वैद्य जगजीत सिंह ने सवाल उठाया कि सैनेट की बैठकें बिना एजैंडे के ही होती रही हैं तथा आज 23 मई दिन मंगलवार को हुई बैठक भी बिना एजैंडे के ही हुई। उन्होंने बताया कि वाइस चांसलर का कहना है कि यूनिवर्सिटी में एम.डी. मैडीसिन की कक्षाएं शुरु करवाई जाएं, जबकि इस संबंधी सरकार द्वारा लैटर
ऑफ इंटैंट जारी ही नहीं किया गया तो कक्षाएं कैसे शुरु हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी के पास साधनों की भारी कमी है और वाइस चांसलर गुमराह करने वाली बातें करके सदस्यों की दिल बहला रहे हैं। सदस्यों ने बताया कि यूनिवर्सिटी को अस्तित्व में आए करीब 6 साल हो चुके हैं और अभी तक एक भी प्रोफैसर को यूनिवर्सिटी द्वारा अप्रूवल नहीं दी गई। जिससे वाइस चांसलर की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगना स्वभाविक सी बात है।
यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. ओ.पी. उपाध्याय ने सैनेट सदस्य वैद्य जगजीत सिंह द्वारा लगाए आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी में सबकुछ ठीक चल रहा है। यूनिवर्सिटी की बेहतरी और विद्यार्थियों की भलाई को ध्यान में रख कर ही फैसले लिए जा रहा हैं।
यूनिवर्सिटी के अधीन पंजाब में 17 आयुर्वेद कालेज और 4 होम्योपैथिक कालेज चल रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल यूनिवर्सिटी से पास आउट हुए विद्यार्थियों को प्रैक्टिस करने का अधिकार न दिए जाने को लेकर भी विवाद हुआ था। जिससे ऐसा लग रहा था कि कहीं न कहीं गड़बड़ तो है, अन्यथा यूनिवर्सिटी विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ न होने देती और विद्यार्थियों को लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद भी अपने भविष्य के लिए संघर्ष करना पड़ा।