पंजाब पुलिस के साईबर क्राईम सैल ने साईबर हैकरों के अंतरराज्यीय गिरोह के 6 सदस्यों को किया गिरफ़्तार

चण्डीगढ़(द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब पुलिस के साईबर क्राईम सैल ने बड़ी कार्यवाही करते हुए मुख्यमंत्री पंजाब के मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार के फेसबुक अकाउंट को हैक करने वाले 6 हैकरों को राजस्थान और मध्य प्रदेश से गिरफ़्तार किया है। गिरफ़्तार किये गए व्यक्तियों की पहचान नरिन्दर सिंह, गुलाब सिंह, भाग सिंह और रमन राजस्थान के रहने वाले हैं जबकि दिनेश और राहुल मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। एक दोषी अभी भी फऱार है। यह दोषी पंजाब, हरियाणा और यू.पी राज्यों में गिरोह चलाते थे।पुलिस ने दोषियों के पास से कई ए.टी.एम. कार्ड, नकदी, सिम और एक पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन बरामद की है।इस सम्बन्धी अधिक जानकारी देते हुए ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के डायरैक्टर-कम-ए.डी.जी.पी. अर्पित शुक्ला ने बताया कि उक्त दोषियों की तरफ से फेसबुक पर फज़ऱ्ी अकाउँट बनाया गया था जिसका नाम सुरेश नांगिया, मुख्य प्रमुख सचिव / मुख्यमंत्री, पंजाब रखा गया था।

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वह इस फज़ऱ्ी अकाउँट के द्वारा ख़ुद को मुख्यमंत्री के मुख्य प्रमुख सचिव बताकर लोगों से धोखो से पैसे मांगने की धाँधली को अंजाम देते थे। उन्होंने कहा कि मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार के फेसबुक अकाउंट को हैक करने की जानकारी मिलने के उपरांत राज्य के डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता ने तुरंत असिस्टेंट इंसपैक्टर जनरल, स्टेट साईबर क्राईम इन्दरवीर सिंह की निगरानी में इंस्पेक्टर गुरचरन सिंह, सब-इंस्पेक्टर आलमजीत सिंह सिद्धू और सब-इंस्पेक्टर गगनप्रीत सिंह के नेतृत्व वाली तीन टीमें गठित कीं और इन टीमों को जांच के लिए यू.पी., राजस्थान और मध्य प्रदेश के लिए रवाना किया। समूचे ऑपरेशन की निगरानी साईबर क्राइम के ए.आई.जी.( स्टेट) इन्दरबीर सिंह और साईबर क्राइम के डी.एस.पी. (स्टेट) समरपाल सिंह ने की। उन्होंने कहा कि इस कार्यवाही में सब-इंस्पेक्टर विकास भाटिया ने भी अहम भूमिका निभाई। श्री शुक्ला ने कहा कि छह साईबर अपराधियों की गिरफ़्तारी से फेसबुक हैकिंग, ओएलएक्स/बैंक धोखाधड़ी और अन्य साईबर से सम्बन्धित अपराधों के साथ जुड़े अन्य मामलों को सुलझाने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि जांच से पता चला है कि मध्य प्रदेश के रहने वाले दोषी दिनेश और राहुल, मदन लाल के भतीजे हैं जिन्होंने मदन लाल के पहचान पत्रों का प्रयोग करके उसके (मदन लाल) नाम पर बैंक खाता खोलने के लिए उसके पहचान पत्र भेजे थे जिससे धोखाधड़ी में प्राप्त हुए पैसे इस खाते के द्वारा वसूले जा सकें। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिली और राजस्थान के साईबर अपराधी आपस में एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं और अलग-अलग राज्यों में अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।

ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के डायरैक्टर ने आगे बताया कि दोषी तीन अलग-अलग राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में धोखाधड़ी की कार्यवाहियों को अंजाम देते थे। इसके अलावा, पुलिस टीम ने दोषी नरिन्दर सिंह का पता लगाया जिसके खाते में गैरकानूनी पैसा जमा किया गया था और उसे राजस्थान के भरतपुर से गिरफ़्तार किया गया।श्री शुक्ला ने कहा, ‘‘आगे की जांच से गिरोह के एक और मैंबर गुलाब सिंह को पकड़ा गया जिससे इस क्षेत्र में एक बड़े रैकेट का खुलासा हुआ, जहाँ अलग-अलग लोगों से एटीएम कार्ड किराये पर लेकर या नकली पहचानपत्रों के द्वारा बैंक खाते खोलने का धंधा चलता था।’’ श्री शुक्ला ने आगे कहा कि इन बैंक खातों को अलग-अलग घौटालों जैसे कि ओएलएक्स घौटाले, फेसबुक घौटाले, सैक्स घौटाले और किसी भी किस्म के नाजायज पैसे या धोखाधड़ी से कमाए गए पैसे रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।

उन्होंने कहा कि पूरे रैकेट में कुछ बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।उन्होंने कहा कि इस केस की आगे की जांच से भाग सिंह और रमन कुमार को पकड़ा गया जो ऐसे रैकेट में पैसों को इधर-उधर करने वाले मुख्य आरोपी थे क्योंकि वह धोखाधड़ी करने वालों को एटीएम कार्ड, सिम कार्ड और पहचान पत्र मुहैया करवाते थे और अपनी सेवाओं के लिए धोखाधड़ी से प्राप्त हुए पैसो में 10 प्रतिशत हिस्सा लेते थे। दोषियों के विरुद्ध थाना स्टेट साईबर क्राइम में आइपीसी की धारा 170, 419, 420, 506, 120-बी और आईटी एक्ट की धारा 66, 66-सी, 66-डी के अंतर्गत केस दर्ज किया गया।

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