होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। एडवोकेट जिवेद सूद ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ एवं बैरिस्टर व नौटरी पब्लिक कनाडा के विभिन्न बार एसोसिएशनों द्वारा जल्दी फिजिकल कोर्ट लगाने की मांग को समर्थन देते हुए कहा है कि कोरोना महामारी के शुरू होने के बाद मार्च 2020 में करफ्यू तथा अन्य पाबन्दियों के चलते अदालती कामकाज भी ठप्प कर दिए गए थे।
इसके बाद अनलॉक की प्रक्रिया शुरू करने के बाद करीब सभी कामों में काफी हद तक राहत मुहैया करवाई जा चुकी है, परंतु लंबे समय से वकीलों की उचित मांगों को नकारते हुए हाईकोर्ट व सरकार ने अदालतों में फिजिकल कामकाज शुरू नहीं किया, जोकि गहरी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि फिजिकल कोर्ट न लगने से सभी संबंधित पक्षों का भारी नुकसान हो रहा है क्योंकि ऑनलाइन अदालतों में केवल आपातकालीन केस सुने जाते हैं।
उसमें वकीलों का जज साहिब का आमने-सामने बहस न कर पाने के कारण तथा ऑनलाइन प्रणाली में विभिन्न टेक्निकल मुश्किलें आने के कारण लोगों को सही न्याय नहीं मिल पा रहा। वकील वर्ग बेरोजगारी की स्थिति में समय काट रहा है तथा न्याय प्रणाली से जुड़े कई प्रकार के लोग भूखे मरने की नौबत में पहुंच गए हैं। जिवेद सूद ने कहा कि लोगों को न्याय दिलवाने वाले वकील आज अपने लिए न्याय पाने को भटक रहे हैं। उन्होंने मांग की कि लोगों को सही न्याय दिलवाने के लिए तुरंत न्याय अदालतों में फिजिकल अदालती काम शुरू करवाया जाए तथा बेरोजगारी की स्थिति में फंस चुके सभी वकीलों को मार्च 2020 से फिजिकल अदालतें शुरू होने तक के पंजाब सरकार प्रति वकील 50,000 रुपए प्रतिमाह राहत राशि देने का प्रबंध करें।