कुल्हाड़ा महादेव जी: यहां होती है हर मन्नत पूरी

हिमाचल (द स्टैलर न्यूज)रिपोर्ट: राकेश शर्मा। कुल्हाड़ा महादेव जी का पावन स्थान देव भूमि हिमाचल के जिला मंडी की तहसील सुंदर नगर के गांव केरन के साथ लगती त्रिमली धार श्रृंखला के ताम्रकूट पर्वत की सवसे ऊंची चोटी पर स्थित है। मन्दिर के अंदर भोले बाबा की प्राचीन गुफा है। पिछले दस वर्षों से लगातार सेवा में लगे हुए उदासीन सम्प्रदाय से सम्वन्धित बाबा श्री सत्या नाम दास जी ने बताया कि जब भोले वावा ने दैत्य भस्मासुर की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया था कि वो जिसके भी सिर पर हाथ रक्खेगा,वह वहीं भस्म हो जाएगा। तब भस्मासुर ने कहा था कि वो इतने घने जंगल में किसको ढूंढने जाएगा,जिसके सिर पर वो हाथ रख कर देख सके कि उसको दिया गया वरदान ठीक भी है या नहीं। तो क्यों न भोले शंकर जी के सिर पर ही हाथ रख कर चैक कर लिया जाए। इस स्थिती में शंकर बाबा भागते भागते यहां अब मन्दिर है में स्थित एक गुफा में छिप गए थे। भोले बाबा ने इस गुफा के आस पास चार और गुफांएं अपनी शक्ति से निर्मित कर दी थीं।जिनमें भस्मासुर भोले बाबा को ढूंढता रहा था। बाद में विष्णु भगवान जी द्वारा मोहनी रूप वना कर नृत्य करते हुए उसी का हाथ उसी के सिर पर रखवा कर उस का अंत किया गया था।ऐसे पावन पवित्र स्थान के दर्शनों का सोभाग्य विरले भक्तों को ही मिलता है।

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गाँव केरन से लगभग 2 किलोमीटर पैदल घने जंगल के वीच से ,कठिन चढ़ाई चढ कर भोले बाबा के इस पावन पवित्र स्थान में हाजरी लग सकती है।अव यहां निर्मित भव्य मंदिर की शोभा शब्दों में व्यक्त नहीं की जा सकती है ।

बाबा सत्या नाम दास जी ने बताया कि इस घने जंगल में यहाँ वाघ इत्यादि का निरंतर छोर रहता है,मंदिर परिसर में या इसके आसपास भी कोई जंगली जानवर यहाँ तक कि बंदर तक भी प्रवेश नहीं करता है।अति दुर्गम रास्ता होने के कारण यहाँ राशन या अन्य सामान पहुँचाना टेढ़ी खीर है पर भक्तों द्वारा श्रद्धा सहित किया गया यहाँ भव्य मंदिर का निर्माण देखते ही वनता है।वावा ने मन्दिर में नत्मस्तक होने पहुंचे राकेश भार्गव उनकी धर्मपत्नि रेनू बला सपुत्र रघुनंदन, सुरेश कुमार एवं उनकी धर्मपत्नि संजीवनी अग्रवाल को बताया कि प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर दो दिन तथा बाबा शंकर मुनि उदासीन जी की पुण्य स्मृति में 28 मार्च को भंडारे का आयोजन भक्तों के सहयोग से किया जाता है।

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