योग साधन आश्रम में होता है हर बीमारी का इलाज: आचार्य चंद्रमोहन

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। योग साधन आश्रम होशियारपुर में रविवार को सत्संग का आयोजन आचार्य चंद्रमोहन अरोड़ा जी द्वारा आयोजित किया गया। इस मौके पर उन्होंने सदगुरुदेव चमन लाल जी महाराज के संदेश को भक्तों के समक्ष रखते हुए कहा कि आयुर्वेद में रोगों का कारण वात, पित्त, कफ बताया जाता था। परंतु आज डॉक्टर शरीर और मन के रोगों का एक नया कारण तनाव बताते हैं। आज बीमारियों का कारण घबराहट बताया जाता है अर्थात मन से भी रोग पैदा होते हैं। केवल कीटाणु, जीवाणु, गंदगी व वात पित्त कफ से ही नहीं रोग पैदा होते हैं।

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घबराहट असंतोष से पैदा होती है। उन्होंने कहा कि तनाव अथवा घबराहट के तीन कारण है। शरीर, परिवारिक जीवन व सामाजिक जीवन। शरीर में एक बीमारी की चिंता दूसरी बीमारियों को भी ला सकती है। इसी तनाव के कारण एक रोगी व्यक्ति का मन हर समय चिंता में रहता है जिससे घबराहट बढ़ जाती है। शारीरिक बीमारियों के ज्यादा हो जाने पर मन बुझ जाता है तथा कई बार इंसान भयानक कदम भी उठा लेता है।े योग साधन आश्रम में लगभग सभी बीमारियों का उपचार सरल साधनों से किया जाता है। शरीर के रोगों का मन पर प्रभाव पड़ता है तथा मन की चिंताओं का शरीर के रोगों पर असर पड़ता है। दोनों आपस में जुड़े हुए हैं। घबराहट अथवा तनाव के मुख्य तीन कारण हैं -असंतोष ,परिवारिक कारण तथा सामाजिक कारण। संतुष्ट न रहने से मन दुखी रहता है ,चिंताएं बढ़ जाती है, जिससे स्वास्थ्य खराब हो जाता है। जैसे हृदय रोग, माइग्रेन, सर्वाइकल, डिप्रेशन इत्यादि। जब परिवार में पति पत्नी के विचार नहीं मिलते तब भी तनाव पैदा हो जाता है।

जब बच्चों पर माता-पिता का नियंत्रण नहीं रहता तब भी मानसिक तनाव बढ़ जाता है। इसलिए हमें परिवारिक जीवन को योग मार्ग पर चलाना चाहिए। इमानदारी ,सच्चाई ,चोरी न करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना तथा अधिक चीजों का लालच न करने से हमारा परिवारिक जीवन सुखमय रहता है। तनाव का तीसरा कारण समाज की बुराइयां है अथवा लोक दिखावा है। जिसके कारण मन में सदा घबराहट बनी रहती है। विवाह में अधिक दिखावा करना ,अपनी प्रतिष्ठा हेतु या लोगों से बढक़र प्रदर्शन करना, रात में शादी करना ,फिजूल खर्ची करना हमारे लिए व अन्य लोगों के लिए भी तनाव का कारण बन जाता है। समाज में अन्य बहुत सी बुराइयां है, अंधविश्वास व वहम है जिनके कारण आज समाज दुखी रहता है।

योग आश्रम में सद्गुरु की शरण में रहकर उनकी शिक्षाओं पर चलते हुए हमारे अंदर इन समाजिक बुराइयों को तोडऩे का साहस प्राप्त होता है। गुरु की कृपा से हम जीवन योग मार्ग पर चलाकर मन से सुखी रहते हैं। योग के सरल साधन नेति, बमन, कपालभाति ,प्राणायाम, सीखकर निरोग शरीर में सुख अनुभव कर सकते हैं। सत्संग के दौरान “नीना ने बेड़ा कर दियो पार मैनु आसरा तेरा” भजन गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

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