अभिभावकों को बच्चे के सबसे मजबूत और कमजोर विषयों के बारे में पता होना चाहिए: जिला शिक्षा अधिकारी गुरशरण सिंह

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। शिक्षा विभाग की तरफ से राजकीय विद्यालयों में पैरेंटस टीचर्स मीट का आयोजन किया गया। स्कूलों में शिक्षकों के साथ माता-पिता का संवाद भी हुआ। बच्चों की पढ़ाई औऱ व्यवहार औऱ कमियों को लेकर भी चर्चा हुई । माता-पिता के साथ ही बच्चे औऱ शिक्षक बेहद उत्साहित नजर आए। इसी दौरान जिला शिक्षा अधिकारी गुरशरण सिंह, उप जिला शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार ने विभिन्न स्कूलों में भी विजिट कर अध्यापकों और अभिभावकों को मोटिवेट किया। सरकारी मिडल स्कूल मिर्जापुर में जिला शिक्षा अधिकारी गुरशरण सिंह और उप जिला शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार की उपस्थिति में बैठक के दौरान अभिभावकों ने शिक्षकों से पूछा कि बच्चा पढ़ाई में कैसा चल रहा है। किस विषय में अच्छा है, किसमें कमजोर है। अन्य बातों पर तो ध्यान नहीं देता समेत विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की गई। शिक्षकों ने विद्यार्थियों की घर पर पढ़ाई की जानकारी ली। टेस्ट में आने वाले नंबरों के बारे में जाना। अभिभावकों से स्कूलों में विकास को लेकर भी चर्चा की। शिक्षकों ने अच्छे सुझावों को नोट किया गया। स्कूल में प्रवेश करते ही हर अभिभावक की रजिस्टर में एंंट्री की गई। नाम, पते व मोबाइल नम्बर दर्ज किए। उसके बाद क्लास में पहले से बैठे शिक्षकों के पास पहुंचे और रूबरू हुए। बैठक के लिए अभिभावकों को आमंत्रण पत्र देकर बुलाया गया था ।

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बैठक में आने वाले सुझावों को स्कूल के कार्यवाही रजिस्टर में डाला गया, ताकि उच्च अधिकारियों को इससे अवगत करा के जमीनी स्तर पर इन पर काम हो सके। अभिभावकों को संबोधित करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी गुरशरण सिंह ने कहा के पीटीए बैठकें अभिभावकों के लिए एक अवसर है कि वे अपने बच्चे के शिक्षकों के साथ शैक्षिक प्रदर्शन पर चर्चा करें। उन्होंने अभिभावकों से कहा के आपको अपने बच्चे के सबसे मजबूत और सबसे कमजोर विषयों के बारे में पता होना चाहिए, उन विषयों में उसकी ताकत और कमजोरियों के प्रमाण क्या हैं, और चिंता के किसी विशेष क्षेत्र में सुधार कैसे किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को शुरू से ही उनकी जिम्मेदारियों के प्रति प्रेरित करना चाहिए। इसकी शुरूआत घर से की जानी चाहिए। घर के छोटी छोटी जिम्मेदारियां सौंपनी चाहिए जैसे पढ़ाई से फुर्सत के दौरान छोटे मोटे सामान लाने के लिए बाजार जाने, घर में मेहमान आते हैं तो जलपान आदि परोसने, माता पिता के साथ बागवानी में हाथ बंटाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इससे बड़े होने पर वे अपनी जिम्मेदारी समझ सकेंगे। इससे उनमें घर व्यवहार की समझ विकसित होगी। इस दौरान गलती होने पर उन्हें डांटने के बजाय समझाते हुए प्रेरित करना चाहिए। कई बार अभिभावक बच्चों को नालायक या बिल्कुल ही नाकारा मानने लगते हैं। इससे बच्चों के मानस पटल पर गलत प्रभाव पड़ता है। हमें इससे बचना चाहिए। बच्चे गलती करें तो भी उनके काम की तारीफ करते हुए उनकी खामियों को बताना चाहिए ताकि वे अगली बार उन गलतियों को नहीं दोहराएं। बच्चों को अपना जीवन जीने के लिए प्रेरित करना चाहिए। हमारा दायित्व केवल उन्हें मार्गदर्शन करने का होना चाहिए।

उप जिला शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार ने कहा बच्चों को अपने जीवन के उद्देश्यों के प्रति जागरूक होना चाहिए।शिक्षण संस्थानों में क्लास मोनिटर बनाने के साथ उन्हें जो जिम्मेदारियां सौंपी जाती है उसका कारण उन्हें जिम्मेदारी बोध कराना है। यही कारण है कि विभिन्न सदनों के माध्यम से बच्चों को कई प्रभार सौंपे जाते हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी शिक्षकों का कर्तव्य बनता है कि समाज व विद्यालय के हर बच्चे को संस्कारी बनाने का प्रयास करें जिससे वह देश व समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बन सके। अनुशासन प्रेम एवं वात्सल्य के साथ दी गई शिक्षा ही विद्यार्थियों को अच्छा नागरिक बना सकती है। इस अवसर पर अमरिक सिंह जिला कोऑर्डिनेटर, रविंद्र पाल सिंह, परमजीत कौर, गुरमेल सिंह, रजनीश कुमार गुलियानी और दलबीर सिंह मसीतपालकोट बड़ी संख्या में अभिभावक इत्यादि उपस्थित थे।

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