होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। सरकारी बैंकों के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों ने यूनाइटेड फार्म ऑफ बैंक यूनियन के बैनर के तहत 15 व 16 मार्च को हड़ताल कर रहे हैं। यूएफ बीयू में संलिप्त सभी यूनियन और एसोसिएशन के सदस्यों ने पहले दिन हड़ताल जारी रखी। बैंक कर्मियों ने कहा कि जब 1947 में भारत देश आजाद हुआ था तब भारत की आर्थिक स्थिति बहुत पिछड़ी हुई थी तब बहुत बड़े स्तर पर भारत देश को आर्थिक विकास की जरूरत थी लेकिन, तब बदकिस्मती से बैंकों का नियंत्रण प्राइवेट हाथों में थआ और उनमें बहुत से बैंकों का नियंत्रण तो उस समय के औद्योगिक घर औ र पुंजिपतियों को हाथों में था, इसलिए यह बैंक व्यापार विकास, कृषि विकास और कुटीर उद्योग और ग्रामीण विकास में कोई हिस्सा पाने के लिए ओ नगीं आते थे जो उस समय भारत के विकास के लिए रीड़ की हड्डी थे। इसलिए आजादी के बाद भारत के विकास के लिए छोटे बड़े सभी बैंकों को सरकारी नियंत्रण में लेना उस समय की सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्णय था, तब 1968 में 14 बैंकों को तथा 1980 में 6 बैंकों को सरकारी हाथों में लिया गया था तभी से इन बैंकों का फैलाव छोटे शहरों से होते हुए ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुंच गया और इस तरह हर भारतीय नागरिक की पहुंच इन बैंक तक हो गई और इसका लाभ भआरतीय अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र को हुआ।
लेकिन, आज की सरकार इन सरकारी बैंकों को फिर प्राइवेट हाथों में बेचने के लिए आतुर है, जिसका बहुत बड़ा नुकसान इन बैंकों से जुड़े हर वर्ग के होने वाला है फिर वोह चाहे जमाकर्ता हो या बैंक का कर्मचारी हो या उधार लेने वाला हो इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि पब्लिक सैक्टर बैंकों को और सुदृढ़ और मजबूत किया जाए। उन्होंने कहा कि समाज विरोधी लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो और रिकवरी नियमों को और कड़ा किया जाए। हम सरकार की पब्लिक सैक्टर बैंकों को प्राइवेट हाथों में बेचने की प्रक्रिया को पुरजोर विरोध करते हैं। क्योंकि, यह वही सरकारी क्षेत्र के बैंक है जिन्होंने नोटबंदी के दौरान सरकार का साथ दिया तथा सरकार की हर स्कीम को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
आज यही बैंक जीरो बैलेंस पर खाते खोलते हैं, टैक्स एकत्र करते हैं, पैंशन का काम, स्कूलों की फीस जमा करने का काम, कमजोर से कमजोर वर्ग को सस्ती दरों पर लोन देने का काम कर रहे हैं लेकिन कुछ समय से हर सरकार इन सरकारी क्षेत्र के बैंकों को नष्ट कर रही है। इसलिए यह हड़ताल सरकार की जनविरोधी बैंकिंग एवं आर्थिक नीतियों तथा सरकारी क्षेत्र के बैंकों को नीजिकरण और उनमें निवेश के सरकार के फैसलों के विरोध में और आम जनता किसानों, लघु, पैंशन उपभोक्ताओं छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापारियों , पिछड़े वर्गों तथा कर्मचारियों के रूप में देश की 95प्रतिशत जनता के हितों की रक्षा के लिए है।