होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। श्री नन्द अन्नपूर्णा मन्दिर एकता नगर खानापूरी गेट होशियारपुर वालो का होशियारपुर में 19 वां व भारत मे 169 वां श्री रुद्रचंडी महायज्ञ श्री ब्रह्मर्षि नन्द किशोर शास्त्री जी महाराज के आशीर्वाद से समस्त शिष्यगनो के सहयोग से आज दूसरे दिन में प्रवेश कर गया है।
आज के यज्ञ में मुख्य यजमान के तौर पर निखिल सिंगला व रेणु ने आहुति दी। यज्ञ सम्बन्धी जानकारी देते प्रधान रमेश चन्द्र अग्रवाल महासचिव तरसेम मोदगिल ने श्री रुद्रचंडी महायज्ञ के महंत के बारे में बताते हुए कहा कि आचार्य रजिंदर प्रसाद हरिद्वार वालो ने यज्ञ के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि यज्ञों की भौतिक या आध्यात्मिक जिस क्षेत्र पर भी दृष्टि डाले उसी में यज्ञ की महत्वपूर्ण उपयोगिता दृष्टिगोचर होती हैं।वेद ज्ञान कर्म का अभिप्राय कर्म कणु से है कर्म काण्ड यज्ञ को कहते है। जो भी वेद मन्त्र एसे हैं जिसकी शक्ति को प्रफुल्लित करने के लिए उनका उच्चारण करते हुए यज्ञ करने की आवश्यकता होती हैं।
सनातन धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले यज्ञ या हवन किया जाता है। हवन में जितनी भी आहुति डाली जाती है, उतनी बार स्वाहा का उच्चारण करके हवन सामाग्री का भोग भगवान को अर्पित किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है हवन में आहुति देते समय स्वाहा का उच्चारण क्यों किया जाता है। आज हम आपको बताते हैं कि हवन क्यों किया जाता है और इसका महत्व क्या ह
सनातन धर्म में हवन में आहुति देते समय देवी-देवताओं को याद किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। हवन के अंतर्गम हम अग्नि द्वारा देवी-देवताओं को हवि पहुंचाते हैं। हवि यानि फल, शहद, घी, काष्ट, सामाग्री आदि की हम आहुति देते हैं।
दरअसल ऋग्वैदिक काल में आर्यों ने यज्ञ करने के दौरान देवी-देवताओं तक हवन की सामाग्री सही रिति से पहुंचाने के लिए अग्नि का प्रयोग शुरू किया था। अग्नि एक ऐसा माध्यम है जो मनुष्यों को देवताओं के साथ जोड़ता है और मनुष्य जो भी देवताओं को समर्पित करना चाहता है वो अग्नि में आहुति देकर उन तक पहुंचा देते हैं। इस अवसर पर प्रधान रमेश चन्द्र अग्रवाल, महासचिव तरसेम मोदगिल, अशोक कुमार, के अलावा यज्ञ में मधु बाला, सीमा, शमा , राजेश कुमार, मनी, जया, दीक्षा, नंदिनी, राधा रानी आदि मौजूद थे।