मनरेगा में खर्च किए साढे 46 करोड़ रुपये, उपायुक्त ने की कार्यों की समीक्षा

हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़)। उपायुक्त देबश्वेता बनिक ने कहा है कि 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान हमीरपुर जिला में मनरेगा के तहत लगभग साढे 46 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जोकि वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में लगभग 15 करोड़ अधिक है। शुक्रवार को यहां जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के हॉल में ग्रामीण विकास, पंचायतीराज और योजना विभाग के विकास कार्यों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त ने यह जानकारी दी।

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उन्होंने बताया कि जिला के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को गति प्रदान करने तथा कोरोनाकाल में लोगों को घरद्वार पर ही रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए गत वित्त वर्ष में मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा धनराशि खर्च की गई है। वित्त वर्ष के आखिरी महीने मार्च में भी जिला की सभी ग्राम पंचायतों में मस्टरोल जारी किए गए हैं। उपायुक्त ने सभी खंड विकास अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे मनरेगा के तहत लंबित पुराने विकास कार्यों को 30 अप्रैल तक हर हाल में पूरा करें, ताकि इस योजना में जिला की रैंकिंग और अच्छी हो सके।

उपायुक्त ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न विभागों के विकास कार्यों को मनरेगा कनवरजेंस के तहत भी करवाया जा सकता है। इसके लिए बीडीओ और पंचायत जनप्रतिनिधि संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करें। गत वित्त वर्ष में मनरेगा कनवरजेंस से जिला में लगभग 5 करोड़ 85 लाख रुपये के विकास कार्य पूरे किए गए हैं। इसी योजना के तहत जिला में 10 आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण पर करीब 72 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। पंचवटी योजना के तहत जिला के 6 विकास खंडों में 20 योजनाएं मंजूर की गई हैं, जिनमें से 13 के काम शुरू कर दिए गए हंै।

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने कहा कि ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन के लिए जिला में कूड़ा संयंत्र स्थापित करने के लिए चार स्थान पहले ही चिह्नित किए जा चुके हैं। संबंधित बीडीओ इन स्थानों पर अतिशीघ्र कार्य आरंभ करवाएं। इन प्रस्तावित कूड़ा संयंत्रों के लिए कुल 2 करोड़ 69 लाख रुपये मंजूर किए गए हैं। देबश्वेता बनिक ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वीकृत धनराशि अतिशीघ्र खर्च होनी चाहिए। यह धनराशि खर्च होने के बाद ही जिला हमीरपुर को केंद्र सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि मिलेगी।

उपायुक्त ने बताया कि मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत गत वित्त वर्ष में जिला के 71 गरीब परिवारों को मकान निर्माण के लिए धनराशि जारी की गई है, जिनमें से 39 मकान बनकर तैयार हो चुके हैं। 88 मकानों की मरम्मत के लिए भी बजट दिया गया है। जिला के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में मुख्यमंत्री लोकभवनों के निर्माण के लिए 30-30 लाख रुपये जारी किए गए हैं। बैठक में मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, जलागम विकास, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और अन्य योजनाओं की भी समीक्षा की गई।

बैठक में एडीएम जितेंद्र सांजटा ने भी विभिन्न योजनाओं के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव रखे, जबकि परियोजना अधिकारी केडीएस कंवर ने इन योजनाओं का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया। इस अवसर पर जिला पंचायत अधिकारी हरबंस सिंह, जिला योजना अधिकारी विनोद कुमार, सभी बीडीओ और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

14वें वित्त आयोग की धनराशि खर्च करें पंचायतें
 पंचायतीराज विभाग की योजनाओं की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने जिला की पंचायतीराज संस्थाओं को लगभग 104 करोड़ रुपये जारी किए थे। इनमें से लगभग 90 करोड़ की धनराशि खर्च की जा चुकी है। शेष धनराशि को भी खर्च करने के लिए सभी बीडीओ पंचायत जनप्रतिनिधियों के साथ समन्वय स्थापित करें। उपायुक्त ने अधिकारियों को पंचायतों के ऑडिट पैरा से संबंधित सभी मामलों, पंचायत पदाधिकारियों से रिकवरी और शिकायतों को जल्द निपटाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि नई पंचायतों के पंचायतघरों और सामुदायिक भवनों के प्रस्तावों को भी जल्द भेजें, ताकि इन भवनों के लिए बजट का प्रावधान किया जा सके। बैठक में पंचायतों से संबंधित अन्य मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा की गई।

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