स्वामी विवेकानंद : एक संक्षिप्त परिचय (पुण्यतिथि पर विशेष)

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द स्टैलर न्यूज, अरविंद शर्मा।
पूरी दुनिया में हिन्दू धर्म की पताका फहराने वाले महामानव स्वामी विवेकानंद जी के निर्वाण दिवस ( 4 जुलाई) पर उन्हें याद करते हुए उन्हें सादर नमन करना हर हिन्दू का दायित्व है। घोरदास्ता के गहन अंधकार में ऐसे व्यक्तित्व का भारत में जन्म निस्संदेह एक वरदान ही था। प्रेरणा के अपार स्रोत स्वामी विवेकानंद की कही एक-एक बात हमें ऊर्जा से भर देती है। अपने अल्प जीवन में ही उन्होंने पूरे विश्व पर भारत और हिन्दुत्व की गहरी छाप छोड़ दी, शिकागों में दिया गया उनका भाषण आज भी लोकप्रिय है और हमें हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरास्त का आभास करवाता है। आज की युवा पीढ़ी के आदर्श ऐसे महामानव ही होने चाहिए। सार रूप में उनकी कही कुछ बाते का वर्णन आवश्यक समझते हुए यहां लिखना उचित समझता हूं।
1. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य न प्राप्त हो जाए।
2. उठो, मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, ना ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है, तुम तत्व के सेवक नहीं हो।
3. खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
4. किसी की निंदा न करें, अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते है तो जरुर बढ़ाए, अगर नहीं बढ़ा सकते तो अपने हाथ जोडि़ए, अपने भाईयों को आशीर्वाद दीजिए और उन्हें उनके मार्ग पर जाने दीजिए।
5. उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।
6. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
7. विश्व एक व्यायामशाला है, जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते है।
12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में पिता श्री विश्वनाथ दत्त और माता भुवनेश्वरी देवी के घर जन्में नरेंद्र नाथ दत्त (स्वामी विवेकानंद) ने 4 जुलाई 1902 को अल्पायु में ही महास्माधि ले ली। उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी। जिसमें धर्म या जाति के आधार पर मनुष्य मनुष्य में कोई भेद न रहे।

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